असम में बाढ़ का कहर, लाखों लोग चपेट में
१७ मई २०२२ब्रह्मपुत्र और उसकी कई सहायक नदियां पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न इलाकों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. असम के अलावा मेघालय, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में लगातार कई दिनों से भारी बारिश हो रही है. भारी बारिश और उसके कारण जमीन धंसने की वजह से कई मकान ढह गए, तो वहीं दो पैसेंजर ट्रेनें पटरियों पर फंस गईं. लेकिन भारतीय वायु सेना की सहायता से उसमें सवार सैकड़ों यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया. राहत व बचाव कार्यों में सेना की मदद ली जा रही है. राज्य के सात जिलों में 55 राहत शिविर बनाए गए हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के बुलेटिन में कहा गया है कि लगातार बारिश से भूस्खलन के बाद पहाड़ी जिले डिमा हसाओ राज्य के बाकी हिस्सों से कट गया है. वैसे तो राज्य के 24 जिलों के दो लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में हैं. लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रकोप कछार और डिमा हसाओ जिलों में देखने को मिल रहा है. राज्य के अकेले पर्वतीय पर्यटन केंद्र हाफलांग का रेलवे स्टेशन पानी में डूब गया है और वहां खड़ी एक यात्री ट्रेन भी पानी और मलबे में फंस गई है.
बाढ़ का कहर
कछार जिले में बाढ़ से तीन और डिमा हसाओ में चार लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा भी कई लोग लापता बताए जा रहे हैं. लगातार भारी बारिश की वजह से लखीमपुर, नगांव, होजाई, जिलों में कई सड़कों और पुलों को भारी नुकसान पहुंचा है. नगांव जिले में कोपिली नदी का जलस्तर बढ़ने से कई अन्य इलाके भी जलमग्न हो गए हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने गुवाहाटी में जारी एक बयान में कहा है कि इस समय राज्य के 24 जिलों में बाढ़ आई हुई है. बारिश और बाढ़ के कारण अब तक सात लोगों की मौत हुई है. कई लोग अभी भी लापता हैं उनका पता लगाने की कोशिशें जारी हैं. डिमा हसाओ जिले में बाढ़ से रेलवे की पटरियां बह गई. कई स्टेशनों पर पानी भर गया है.
बीते 24 घंटों में विभिन्न जिलों में 16 स्थानों पर तटबंध टूट गए हैं. हाफलांग का राज्य के बाकी हिस्सों से सड़क संपर्क टूट गया है.
गुवाहाटी में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने बताया कि न्यू हॉफलांग रेलवे स्टेशन पूरी तरह डूब गया है और स्टेशन पर खड़ी एक खाली ट्रेन भारी भूस्खलन के कारण बाढ़ में बह गई. न्यू हाफलांग रेलवे स्टेशन के पास पैसेंजर ट्रेन में फंसे तमाम 180 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. रेलवे के मुताबिक, करीब 18 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है जबकि 10 को अलग-अलग स्टेशनों पर रोक दिया गया है. पटरियों की मरम्मत कर रेल यातायात बहाल करने का काम युद्धस्तर पर जारी है.
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सड़क संपर्क टूट जाने की वजह से राहत व बचाव कार्यों में बाधा पहुंच रही है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने एक ट्वीट में ट्रेन में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना, वायु सेना, रेलवे और जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सराहना की है.
नियति बनती आपदा
बाढ़ दरअसल असम की नियति बनती जा रही है. देश में असम में ही सबसे पहले बाढ़ आती है. यह राज्य लंबे अरसे से बाढ़ की समस्या से जूझ रहा है. हाल के दशकों में स्थिति लगातार बदतर हुई है. इसके लिए पेड़ों की कटाई, राज्य की भौगोलिक स्थिति, अरुणाचल प्रदेश और उससे सटे तिब्बत में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों पर बड़े पैमाने पर बांधों के निर्माण के अलावा तेजी से बढ़ते शहरीकरण को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. साल में कई दौर की बाढ़ से राज्य में जान और माल का भारी नुकसान होता है.
भारत, तिब्बत, भूटान और बांग्लादेश यानी चार देशों से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी असम को दो हिस्सों में बांटती है. इसकी दर्जनों सहायक नदियां भी हैं. तिब्बत से निकलने वाली यह नदी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लेकर आती है. वह गाद धीरे-धीरे असम के मैदानी इलाकों में जमा होता रहता है. इससे नदी की गहराई कम होती है. इससे पानी बढ़ने पर बाढ़ और तटकटाव की गंभीर समस्या पैदा हो जाती है.
पर्यावरणविदों का कहना है कि पहाड़ियों से आने वाला पानी ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ा देता है. यही वजह है कि राज्य में बाढ़ की समस्या साल-दर-साल गंभीर हो रही है. इसके अलावा भौगोलिक रूप से असम ऐसे जोन में है जहां मानसून के दौरान तो देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले ज्यादा बारिश होती है.