एफएम रेडियो बंद करने वाला दुनिया का पहला देश बना नॉर्वे
१२ जनवरी २०१७11 जनवरी को स्थानीय समयानुसार 11 बजकर 11 मिनट पर देश के उत्तरी हिस्से में नॉर्डलांड काउंटी में एफएफ ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम बंद कर दिया गया. सरकारी रेडियो एनआरके और अन्य निजी ब्रॉडकास्टर्स ने अपना एफएम प्रसारण बंद करके डीएबी से प्रसारण शुरू कर दिया. इस मौके पर एनआरके के ब्रॉडकास्टिंग चीफ थोर जेर्मनुंड इरिकसन ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक पल था." इरिकसन ने इस बात पर जोर दिया कि नॉर्वे राष्ट्रव्यापी पैमाने पर ऐसा करने वाला पहला मुल्क बन गया है. अब धीरे धीरे पूरे देश के रेडियो चैनल्स को एफएम से डैब पर लाया जाएगा. डैब आधुनिक तकनीक है. कहा जाता है कि यह ज्यादा ताकतवर तकनीक है और इसमें खर्च भी कम होता है. डैब का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए प्रसारण में कम बिजली इस्तेमाल होती है. नॉर्वे के अधिकारियों का कहना है कि वे अब ज्यादा चैनल और बेहतर ऑडियो दे पाएंगे.
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नॉर्वे का भूगोल ऐसा है कि छोटे छोटे समुदाय दूर-दराजों इलाकों में बसे हुए हैं. इनके बीच पहाड़ और घाटियां हैं. इस कारण एफएम रेडियो का प्रसारण ज्यादा मुश्किल हो जाता था. एफएम तरंगें पहाड़ और घाटियां पार नहीं कर पातीं और इसका असर क्वॉलिटी पर पड़ता था. यह बात भी नॉर्वे के लिए बड़े बदलाव का कारण बनी.
इरिकसन ने बताया, "अब पहली बार ऐसा होगा कि पूरे देश में एनआरके की सेवाएं एक जैसी होंगी, फिर चाहे वे राजधानी ओस्लो में रहते हों या उत्तर में लोफोटन में." हालांकि तकनीक में बदलाव की राह में जो रोड़े आए, उनमें लोगों का अनिच्छुक होना भी शामिल है. दिसंबर में एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर लोग एफएम रेडियो बंद किए जाने के खिलाफ थे. डेली वीजी नाम की संस्था ने एक हजार से ज्यादा लोगों से बात करके निष्कर्ष निकाला कि देश के 55.5 फीसदी लोग एफएम छोड़कर डैब अपनाने से नाखुश हैं. 25.1 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में थे जबकि 19.1 फीसदी लोग कोई फैसला नहीं ले पाए. इसकी वजह यह भी हो सकती है कि अब लोगों को रेडियो सुनने के लिए नए डैब रेडियो सेट खरीदने होंगे. या फिर वे कंप्यूटर अथवा स्मार्टफोन से रेडियो सुन पाएंगे. लोगों को अपनी कारों के सिस्टम भी बदलने होंगे.
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संसद ने डैब तकनीक के लिए इजाजत 2011 में ही दे दी थी. लेकिन 42 लाख लोगों के देश को पूरी तरह डैब पर लाने में पूरा 2017 लग जाएगा. सरकार के मुताबिक 13 दिसंबर तक पूरे देश में एफएम रेडियो बंद हो जाएंगे और डैब शुरू हो जाएगा. सरकारी अनुमान के मुताबिक 2017 से 2019 के बीच ही डैब तकनीक से 2.1 करोड़ डॉलर की बचत होगी.
वीके/एके (डीपीए)