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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मोटापे की नई परिभाषा, 20 फीसदी लोग बाहर हुए

१६ जनवरी २०२५

किसे मोटा माना जाए, वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर मतभेद हैं. बीएमआई एक आधार है, लेकिन उसे सबसे सटीक नहीं माना जाता. अब वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका सुझाया है.

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मोटापा
मोटापा एक महामारी का रूप ले चुका हैतस्वीर: Jan Woitas/picture alliance/dpa

दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने मोटापे की परिभाषा और इसका इलाज करने का एक नया तरीका सुझाया है. अब तक मोटापे की परिभाषा तय करने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पर ज्यादा जोर रहता है, लेकिन इस तरीके को लेकर वैज्ञानिकों के बीच काफी मतभेद हैं. नए तरीके में बीएमआई पर कम जोर दिया गया है और ऐसे लोगों की पहचान पर ध्यान दिया गया है जिन्हें मोटापे के कारण इलाज की जरूरत है.

इसी हफ्ते जारी सिफारिशों के मुताबिक, अब मोटापे को केवल बीएमआई के आधार पर परिभाषित नहीं किया जाएगा. इसके साथ-साथ कमर के माप और अतिरिक्त वजन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर भी मोटापे की पहचान की जाएगी.

मोटापा दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोगों को प्रभावित करता है. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक देश में, करीब 40 फीसदी वयस्क मोटापे से पीड़ित हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 50 लाख से ज्यादा लोगों की मौत मोटापे के कारण होती है. 

डॉ. डेविड कमिंग्स वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के मोटापा विशेषज्ञ हैं और इस रिसर्च रिपोर्ट के 58 लेखकों में से एक हैं. वह कहते हैं, "इसका मुख्य उद्देश्य मोटापे की सटीक परिभाषा देना है ताकि उनकी मदद की जा सके जिन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है."

यह रिपोर्ट ‘द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुई है. 

मोटापे के दो नए वर्ग 

रिपोर्ट में मोटापे के दो नए वर्ग दिए गए हैं. पहला है क्लीनिकल मोटापा, जिसमें बीएमआई और मोटापे के दूसरे संकेत शामिल हैं. इसके साथ ही दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर या किडनी की समस्या, या घुटने और कूल्हे के गंभीर दर्द जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसे लोगों को डाइट, एक्सरसाइज और मोटापे की दवाओं जैसे इलाज के लिए पात्र माना जाएगा. दूसरे वर्ग को प्री-क्लीनिकल मोटापा कहा गया है. इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्हें इन बीमारियों का खतरा है, लेकिन फिलहाल कोई समस्या नहीं है.

बीएमआई का मतलब है बॉडी मास इंडेक्स. यह एक सरल मापदंड है जो किसी व्यक्ति के वजन और लंबाई के अनुपात के आधार पर यह बताता है कि उसका वजन उसके स्वास्थ्य के लिए सही है या नहीं. इसकी गणना के लिए वजन को ऊंचाई से भाग किया जाता है.

बीएमआई को हमेशा से एक अधूरा माप माना गया है. यह कई बार मोटापे का गलत या अधूरा आकलन करता है. अभी तक 30 या उससे ज्यादा बीएमआई वाले लोगों को मोटा माना जाता था. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि हर बार बीएमआई 30 से ऊपर होने पर मोटापा नहीं होता. कभी-कभी ज्यादा मांसपेशियों वाले लोगों का बीएमआई ज्यादा हो सकता है, जैसे फुटबॉल खिलाड़ी. 

नई परिभाषा के अनुसार, करीब 20 फीसदी ऐसे लोग जो पहले मोटापे की श्रेणी में आते थे, अब नहीं आएंगे. वहीं, 20 फीसदी ऐसे लोग जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन्हें अब क्लीनिकल मोटापा के वर्ग में माना जाएगा.

इस नई परिभाषा को दुनियाभर के 75 से ज्यादा मेडिकल संगठनों ने मंजूरी दी है. हालांकि इसे अपनाने में समय और पैसा लगेगा. स्वास्थ्य बीमा संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इन मानकों को कब और कैसे अपनाया जाएगा. 

नई परिभाषा की चुनौतियां

मोटापा विशेषज्ञ डॉ. कैथरीन सॉन्डर्स कहती हैं कि कमर की माप लेना आसान नहीं है. अलग-अलग प्रोटोकॉल, डॉक्टरों की कमी और बड़े मेडिकल टेप मेजर का अभाव इस प्रक्रिया को जटिल बनाता है. इसके अलावा, क्लीनिकल और प्री-क्लीनिकल मोटापा तय करने के लिए हेल्थ असेसमेंट और लैब टेस्ट की जरूरत होगी.

क्या बीएमआई पेट का मोटापा मापने का सही तरीका है

रिपोर्ट के सह-लेखक डॉ. रॉबर्ट कुशनर कहते हैं, "यह प्रक्रिया का पहला कदम है. चर्चा शुरू होगी और समय के साथ बदलाव आएगा." 

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव जनता के लिए जटिल हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट केट बाउर कहती हैं, "लोग आसान संदेश पसंद करते हैं, यह जटिल परिभाषा शायद ज्यादा असर नहीं डालेगी." 

फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव को अपनाने में वक्त लगेगा, लेकिन यह मोटापे की परिभाषा को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

वीके/एनआर (एपी)