नजरिया: जर्मनी के लिए एक शर्म की बात
६ फ़रवरी २०२०एक सप्ताह पहले 29 जनवरी 2020 को जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में यहूदी नरसंहार के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई थी. इस दिन आउश्वित्ज के नाजी कैंप से आजादी के 75 साल पूरे होने की वर्षगांठ भी मनाई गई.
इस मौके पर इस्राएली राष्ट्रपति रेउवेन रिवलिन ने कहा कि जर्मनों को इतिहास याद रखना चाहिए और यहूदी विरोध, नस्लभेद और यहूदियों के प्रति दुर्भावना के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए. रिवलिन ने कहा कि जर्मन नागरिकों और उनकी राजनीतिक पार्टियों को एतिहासिक जिम्मेदारी जिम्मेदारी दिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जर्मनों को याद रखना चाहिए कि "जर्मनी मस्ट नॉट फेल" यानी "जर्मनी नाकाम होने का जोखिम नहीं उठा सकता."
लेकिन इसके एक हफ्ते बाद ही थुरिंजिया राज्य में व्यापार समर्थक फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी का एक सदस्य धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के समर्थन से मुख्यमंत्री चुना जाता है. इस चुनाव ने जर्मनी को हिलाकर रख दिया है. ये चुनाव इस बात का पुख्ता सबूत है कि चांसलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू और एफडीपी पार्टी के राज्य स्तर के राजनेता जिन्होंने इस चुनाव में एएफडी का समर्थन लिया है वो इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी को नहीं समझ रहे हैं. ये एक ऐसा चुनाव था जो देश की राजनीतिक पार्टियों के लिए एक परीक्षा था जिसका परिणाम अंतत: देश में नए सिरे से आम चुनाव हो सकता है.
क्या सत्ता की भूख से भूले जिम्मेदारी?
अब आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि जर्मन राजनीतिक पार्टियां एएफडी से कभी समर्थन ना लेने के अपने वादे पर टिकी रहती हैं या फिर सत्ता की भूख में सब भूल जाती हैं. हालांकि सीडीयू की मुखिया अनेग्रेट क्रांप कारेनबाउर ने थुरिंजिया राज्य के सीडीयू पार्टी सदस्यों के इस गठबंधन में शामिल होने पर रोक लगा दी है. शायद वे ऐसा ही करें लेकिन अपनी ही पार्टी पर उनका पूरी तरह नियंत्रण ना होने का क्या मतलब है.
चांसलर मैर्केल क्या करेंगी अगर उनकी पार्टी के थुरिंजिया के सदस्य एएफडी और उसके नेता ब्यॉर्न हॉएके के साथ चले जाते हैं? हॉएके हॉलोकोस्ट पर दिए विवादित बयानों समेत अपने विवादों के लिए जाने जाते हैं. साथ ही सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी क्या करेगी? क्या वह सीडीयू के साथ केंद्र सरकार में अपना गठबंधन खत्म कर देगी और देश में नए सिरे से चुनाव होंगे?
अपना इतिहास भूल रहे हैं जर्मन
इस दिन से जर्मनों को अंदर तक हिला हुआ महसूस करना चाहिए. अब लोकतांत्रिक राजनीतिक दलों को दिखाना चाहिए कि वे कितनी मजबूती से खड़े हैं. साथ ही वो इस अभूतपूर्व घटना को फिर से ना होने देने के लिए क्या कर रहे हैं. कुछ दिन पहले जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वॉल्टर श्टाइनमायर ने याद वाशेम वर्ल्ड रिमेम्बरेंस सेंटर पर अपने भाषण में कहा था कि "राष्ट्रीय समाजवाद कोई आसमान से नहीं गिरा था". लेकिन 5 फरवरी के दिन से लगता है कि कई सारे जर्मन लोग अपना इतिहास भूल गए हैं. साथ ही ये भी कि रिवलिन की चेतावनी 'जर्मनी मस्ट नॉट फेल' से भी इसका कितना लेना देना है. यह हमें याद दिलाता है कि जर्मनी में किसी को इस भुलावे में नहीं चाहिए कि इतिहास खुद को दोहरा नहीं सकता.
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