भारत में एआई छीनने लगा लोगों की नौकरियां
२५ दिसम्बर २०२३ऑनलाइन पेमेंट सर्विस देने वाली पेटीएम की पैरेंट कंपनी 'वन97 कम्युनिकेशंस' ने हाल ही में अपने बहुत सारे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है. भारतीय अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक छंटनी अलग-अलग विभागों में हुई है और यह संख्या एक हजार के करीब है.
रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी अपने अलग-अलग व्यवसायों को फिर से व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में है और इस तरह से कंपनी ने लागत को कम करने के लिए इतनी बड़ी छंटनी की है. इकोनॉमिक टाइम्स ने इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा कि छंटनी पिछले कुछ महीनों में हुई है.
यह इस साल किसी भी भारतीय टेक कंपनी की ओर की जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी छंटनी बताई जा रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छीन रहा नौकरियां
वन97 कम्युनिकेशन ने सेल्स और इंजीनियरिंग समेत विभिन्न क्षेत्रों में छंटनी की है जिसकी पेटीएम के प्रवक्ता ने पुष्टि तो की है लेकिन असल संख्या नहीं बताई. प्रवक्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के लागू करने से सेल्स और इंजीनियरिंग में ज्यादातर नौकरियां प्रभावित हुई हैं.
पेटीएम की इस छंटनी में उसके पूरे वर्कफोर्स का करीब 10 फीसदी से अधिक हिस्सा प्रभावित होगा. रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि कंपनी ज्यादातर छंटनी अपने लोन कारोबार में कर सकती है. प्रवक्ता ने बताया कि पेटीएम के भुगतान के मुख्य व्यवसाय में आने वाले वर्ष में कर्मचारियों की संख्या में 15,000 की वृद्धि हो सकती है.
कंपनी का कहना है कि वह अपने ऑपरेशन को एआई-संचालित ऑटोमेशन के साथ बदल रही है. कंपनी विकास और लागतों में दक्षता बढ़ाने के लिए दोहराए जाने वाले कार्यों और भूमिकाओं को खत्म कर रही है, जिसके नतीजतन ऑपरेशन और मार्केटिंग में वर्कफोर्स में कटौती हो रही है.
भारत में स्टार्टअप कंपनियों में छंटनियां
देश भर में स्टार्टअप कंपनियां इस साल छंटनियों के कारण सुर्खियों में रहीं. कंपनियों ने फंडिंग की कमी और आर्थिक पुनर्गठन का कारण बता कर हजारों लोगों को नौकरी से निकाला. सिर्फ पेटीएम ही नहीं, बल्कि कई नए टेक स्टार्टअप्स ने भी अपने यहां छंटनी की है. लॉन्गहाउस कंसल्टिंग के डाटा से पता चलता है कि नई कंपनियों ने इस साल लगभग 28,000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया.
आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो सालों की तुलना में छंटनी की दर तेजी से बढ़ी है. जहां 2021 में इन कंपनियों से केवल 4,080 लोगों को निकाला गया था तो वहीं 2022 में 20,000 से अधिक लोगों को निकाला गया. इस साल केवल छह महीने के भीतर 28,000 लोग अपनी नौकरी खो बैठे.
तो क्या एआई से खत्म हो जाएंगी नौकरियां
ब्राजीलियन मूल के अमेरिकी शोधकर्ता बेन गोएर्त्सेल ने कुछ महीने पहले दावा किया था कि आने वाले कुछ ही सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसान से 80 प्रतिशत तक नौकरियां ले सकता है. हालांकि उन्होंने कहा है कि यह अच्छी बात होगी. गोएर्त्सेल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में बड़ा नाम हैं और उन्हें एआई गुरु भी कहा जाता है.
56 साल के गणितज्ञ और एक मशहूर रोबोटविज्ञानी गोएर्त्सेल शोध संस्थान 'सिंग्युलैरिटीएनईटी' के संस्थापक हैं. उन्होंने यह संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसान जैसी समझ (एजीआई) विकसित करने के लिए शोध करने के वास्ते स्थापित किया था.
गोएर्त्सेल ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा था, "अगर हम चाहते हैं कि मशीनें इंसानों जैसी बुद्धिमान हो जाएं और वैसे काम भी कर सकें, जिनके बारे में वे पहले से नहीं जानतीं, तो उन्हें अपनी ट्रेनिंग और प्रोग्रामिंग से ज्यादा बड़े कदम उठाने होंगे. अभी हम वहां नहीं पहुंचे हैं लेकिन ऐसा मानने के कई कारण हैं कि हमें वहां तक पहुंचने में कुछ दशक नहीं बल्कि कुछ साल लगेंगे."
गोएर्त्सेल कहते हैं कि समाज को आजाद होना चाहिए और जैसे इंटरनेट को बैन नहीं किया गया है, एआई पर भी रोक नहीं लगाई जानी चाहिए. हालांकि वह मानते हैं कि आने वाले सालों में बड़ी संख्या में इंसानी काम एआई कर रहा होगा. वह कहते हैं, "आप बिना एजीआई (आर्टिफिशियल जेनरेटिव इंटेलिजेंस) के 80 फीसदी इंसानी कामों को तो खत्म ही समझिए. चैटजीपीटी जैसा अभी है, उससे नहीं लेकिन अगले कुछ सालों में विकसित होने वाले सिस्टम के जरिए. लेकिन यह कोई खतरा नहीं है. यह एक फायदा है. लोग रोजी-रोटी कमाने के बजाय कुछ बेहतर काम कर पाएंगे. जो भी काम कागज पर होता है, वो सब ऑटोमेट हो जाना चाहिए."