मिल गया प्लास्टिक को विघटित करने वाला एंजाइम
१ जून २०२२लाइपजिष की एक कब्रगाह में कॉम्पोस्ट में कुछ खास खोज रहे रिसर्चर क्रिस्टियान जोनेनडेकर और उनकी टीम को सात ऐसे एंजाइम मिले हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे थे. बहुत समय से उन्हें ऐसे प्रोटीन की तलाश थी जो पीईटी प्लास्टिक को खा जाएं. पीईटी यानी पॉलीएथिलीन टेरेफथलेट विश्व में सबसे ज्यादा पैदा किया जाने वाला प्लास्टिक है. इसका सबसे आम इस्तेमाल पानी की बोतलों और फलों को पैक करने के डिब्बों में होता है.
सैंपलों को लाइपजिष यूनिवर्सिटी की लैब में वापस लाने तक भी रिसर्चरों की टीम को बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं. हालांकि उन्हीं में से एक सैंपल में उन्हें वह एंजाइम मिला जिसका नाम पॉलीएस्टर हाइड्रोलेज या पीएचएल7 है. वैज्ञानिक अपनी ही खोज से हैरान थे क्योंकि पीएचएल7 एंजाइम प्लास्टिक के एक टुकड़े को एक दिन से भी कम समय में विघटित कर सकता है.
आजकल प्लास्टिक को खा कर खत्म करने वाले प्रयोगों में एलसीसी का इस्तेमाल होता है. अब पता चला है कि एलसीसी के मुकाबले पीएचएल7 प्लास्टिक को काफी जल्दी विघटित कर सकता है. इसकी पुष्टि करने के लिए जोनेनडेकर की टीम ने पीएचएल7 और एलसीसी की तुलना की और इसे सही पाया.
हर ओर पीईटी प्लास्टिक
पीईटी प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकता है लेकिन परमाणु कचरे की ही तरह यह भी अपने आप विघटित नहीं होता. रिसाइकिल किए जाने पर भी प्लास्टिक की क्वालिटी कम होती जाती है. इसलिए उससे बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद नहीं बनते. सबसे आम है झोला या दरी बनाना.
सही मायने में प्लास्टिक कचरे को कम करने के दो ही रास्ते हैं. पहला है पीईटी प्लास्टिक का उत्पादन बंद करना. हालांकि आजकल इसका इतना इस्तेमाल होता है कि अगर सारी कंपनियां आज ही उसे बनाना बंद भी कर दें तो भी लाखों, करोड़ों बोतलें आने वाले हजारों सालों तक कहीं ना कहीं होंगी.
दूसरा तरीका है प्लास्टिक को विघटित करना. इसके लिए किसी एंजाइम की तलाश में वैज्ञानिक कम से कम एक दशक से लगे हैं. सन 2012 में उन्हें एलसीसी यानी "लीफ-ब्रांच कॉम्पोस्ट क्यूटिनेज" का पता चला था. एलसीसी की खोज एक बड़ा मौका था क्योंकि एलसीसी में पाये जाने वाले पीईटेज को जब एस्टरेज नाम के एक अन्य एंजाइम से मिलाया गया तो उनका मिश्रण पीईटी प्लास्टिक को विघटित करने में काफी असरदार साबित हुआ. वैज्ञानिकों ने एलसीसी में सबसे खास गुण यह पाया कि वह प्राकृतिक और कृत्रिम पॉलीमरों पर एक जैसा असर करता है. इसीलिए यह पीईटी प्लास्टिक को वैसे ही खा जाता है जैसे किसी प्राकृतिक पॉलीमर को.
कैसे बना एंजाइम
एलसीसी की खोज के बाद से ही जोनेनडेकर जैसे कुछ रिसर्चर प्रकृति में किसी ऐसे एंजाइम की तलाश में लगे थे जो पीईटी को खा जाती हो. एलसीसी यह काम जरूर करती है लेकिन उसकी कुछ सीमाएं हैं. पीईटी को विघटित करने में उसे कुछ दिनों का समय लगता है. ऊपर से इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत ऊंचा तापमान चाहिए होता है.
दूसरे कुछ वैज्ञानिकों ने भी एलसीसी को और आसान और प्रभावी बनाने की कोशिशें की हैं. जैसे फ्रेंच कंपनी कार्बियोस को ही लीजिए. वह एलसीसी में और इंजीनियरिंग करके उससे और तेज और प्रभावी एंजाइम बना रही है. वहीं, अमेरिका में टेक्सस यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पीईटी खाने वाले ऐसे प्रोटीन बना लिए हैं जो 24 घंटे में पीईटी प्लास्टिक को विघटित कर सकते हैं.
कनाडा के ओंटारियो प्रांत की क्वींस यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री के प्रोफेसर डेविड जेशेल बताते हैं कि ज्यादातर तरीकों में कुछ नया नहीं खोजा जाता बल्कि जो पहले से पता है उसी को आगे और सुधारने पर काम होता है. जोनेनडेकर के प्राकृतिक एंजाइम खोजने के काम पर वह कहते हैं कि इस मामले में "अभी हमने केवल सतह को खुरचने की शुरुआत भर की है."
बोतलें गलाने का उपाय नहीं
जोनेनडेकर के इस ताजातरीन आइडिया की भी सीमाएं हैं. जैसे कि यह एंजाइम पतले प्लास्टिक के पैकेजिंग वाले डब्बों को तो विघटित कर देगा लेकिन प्लास्टिक की वैसी बोतलों को नहीं जिनमें सॉफ्टड्रिंक्स पैक होती हैं. ऐसी बोतलों में जैसा पीईटी लगता है वह खिंचाव वाला और रासायनिक रूप से काफी बदला हुआ होता है.
जोनेनडेकर की टीम ने एक ऐसी चीज और बनाई है जिसे पीईटी बोतलों पर पहले लगाने से आगे चलकर उस पर एंजाइम बेहतर असर करता है. यह रिसर्च अभी प्रकाशित होनी बाकी है. रिसर्चरों का कहना है कि अगर इंडस्ट्री की मदद मिले तो पीईटी को विघटित करने वाली पीएचएल7 तकनीक केवल चार साल में बड़े स्तर पर तैयार की जा सकती है.