राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर अयोध्या से बाहर कैसी तैयारी
१८ जनवरी २०२४58 साल के भोगेंद्र झा दिल्ली में रहते हैं. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही भोगेंद्र इस उम्मीद में अयोध्या पहुंच गए कि उन्हें राम मंदिर के दर्शन हो जाएंगे. कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के कारण उन्हें नए मंदिर के थोड़ा पहले ही रोक दिया गया. पेशे से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट भोगेंद्र कहते हैं, "राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होना हमारे लिए बहुत मायने रखता है. इस वक्त अयोध्या नगरी में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. मैं सुबह ही सरयू नदी में स्नान के लिए पहुंच गया, लेकिन पांच घंटे इंतजार करने के बाद मुझे डुबकी लगाने का मौका मिला. "
भोगेंद्र, राम मंदिर के उद्घाटन के बाद दोबारा अयोध्या आने की योजना बना रहे हैं. ये पहली दफा नहीं जब वह अयोध्या आए हों, लेकिन इस बार उन्हें शहर में बहुत बदलाव दिखा. वह कहते हैं, "अयोध्या का विकास, साफ-सफाई और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए हो रहे इंतजाम देखकर मैं काफी संतुष्ट हूं. "
22 जनवरी को जब अयोध्या के राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तब तमाम शहरों के मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस अवसर पर हिंदू समाज के विभिन्न संगठन अपने-अपने स्तर पर दीपोत्सव, राम कथा, शोभा यात्रा, कलश यात्रा, रामायण पाठ और भंडारे जैसे आयोजन कर रहे हैं.
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करोड़ों हिंदुओं के लिए एक बड़े सपने के सच होने जैसा है. देश ही नहीं, विदेश में भी रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग इसको लेकर उत्साहित हैं. पिछले महीने अमेरिका में हिंदू समुदाय के कई लोगों ने वॉशिंगटन डीसी में एक कार रैली निकाली थी. अमेरिकी हिंदू समुदाय ने इस मौके पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें अलग-अलग शहरों में कार रैलियां निकालना, भव्य उद्घाटन समारोह का सीधा प्रसारण करना और सामुदायिक सभा शामिल हैं.
हाउसिंग सोसायटी में मंदिर उद्घाटन का जश्न
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई ऐसी हाउसिंग सोसायटियां हैं, जहां इस मौके पर विशेष आयोजन की तैयारियां हो रही हैं. दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और हाउसिंग सोसायटियां, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के "राम मंदिर आउटरीच" कार्यक्रमों की प्रेरक शक्ति बन गई हैं. ये संगठन सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्राण प्रतिष्ठा का मौका, हर क्षेत्र में शानदार प्रभाव डाले.
दिल्ली-एनसीआर की बहुमंजिला इमारतों वाली सोसायटी हों या फिर मुहल्ले, हर जगह की समितियों के वॉट्सऐप ग्रुप में इन दिनों प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े संदेश भेजे जा रहे हैं. इन संदेशों में लोगों से इस दिन को खास बनाने की अपील की जा रही है. नोएडा की कई सोसायटियों और सेक्टरों के प्रवेश द्वारों पर राम मंदिर से जुड़े बैनर और पोस्टर लगे हैं. ऐसा ही हाल दिल्ली और गुरुग्राम में भी है.
आईटी सेक्टर में काम करने वाले 40 साल के राकेश गुप्ता ग्रेटर नोएडा की एक सोसायटी में रहते हैं. वह बताते हैं कि 22 जनवरी उनके लिए यादगार दिन होगा. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "हम अपने बड़े-बूढ़ों से सुनते आए हैं कि भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए थे, लेकिन उनके लिए कोई मंदिर नहीं बन पाया था. अब भगवान राम के लिए एक भव्य मंदिर बनकर तैयार है, हम जैसे लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं जो इस मौके के गवाह बन रहे हैं."
दिल्ली-एनसीआर में कई हफ्तों से राम मंदिर के उद्घाटन की हलचल है. 22 जनवरी को अधिकतर सोसायटियों में प्रभात फेरियां निकाली जाएंगी. राम मंदिर के उद्घाटन को प्रसारित करने के लिए बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाने की भी योजना है. मंदिरों में पूजा और रामायण पाठ के बाद भंडारे की तैयारी है.
बीजेपी और आरएसएस के नेता राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर काफी सक्रिय हैं. वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर लोगों से अपने घर और सोसायटी के मंदिरों में विशेष पूजा कराने की बात कह रहे हैं. घर में राम ज्योति जलाने और राम भजन कराने की भी अपील की जा रही है.
बाजारों में भी रौनक
ऐसा ही कुछ हाल बाजारों का है. वहां राम ध्वजा, मिट्टी के दीये, भगवान राम की मूर्ति और अन्य पूजा सामग्रियों की बिक्री जोरों पर है. दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में पूजा सामग्रियों की थोक दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने बताया कि इस समय राम ध्वजा, राम टोपी और भगवा गमछे की सबसे ज्यादा मांग है. दुकानदार ने बताया वह पूरे साल पूजा सामग्री बेचते हैं, लेकिन राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर भगवान राम से जुड़ी चीजें ज्यादा मांग में हैं. इस दुकानदार के मुताबिक, उनके कारोबार के लिए यह "बोनस" साबित हो रहा है.
चांदनी चौक में ही सलवार-कमीज के एक थोक कारोबारी का कहना है कि राम मंदिर को लेकर जिस तरह का प्रचार-प्रसार हो रहा है, उससे तो लगता है कि देश में कोई और मुद्दा बचा ही नहीं है. इस कारोबारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "देश में और भी चीजें हैं, लेकिन नेताओं का क्या. वो तो वहीं करेंगे, जिससे उन्हें वोट मिले. उन्हें भी तो अपना रिपोर्ट कार्ड ऊपर तक पहुंचाना है."
इसी बाजार में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल दुकान-दुकान जाकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मौके पर होने वाले कार्यक्रमों का न्योता बांटते नजर आए. उन्होंने स्थानीय कारोबारियों को मिट्टी के दीये, अक्षत और भगवान राम की तस्वीर भेंट की. इसके जवाब में उत्साही भक्त "जय श्री राम" का नारा लगाते नजर आए.
हिंदी राज्यों में गजब का उत्साह
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग या तो अयोध्या पहुंच रहे हैं या फिर राम मंदिर के उद्घाटन के बाद वहां जाने की योजना बना रहे हैं. जो अभी अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं, वो स्थानीय स्तर पर या अपने घरों में ही विशेष पूजा या रामायाण पाठ कराने की सोच रहे हैं.
22 जनवरी को बिहार की राजधानी पटना के डाकबंगला चौराहे को 51 हजार दीपों से रोशन करने की तैयारी है. जानकारी के मुताबिक, पटना की विभिन्न पूजा समितियों और व्यापारिक संगठनों ने घरों में दीप जलाने के लिए लोगों के बीच सवा लाख दीप बंटवाए हैं. वहां 21 और 22 जनवरी को विभिन्न जगहों पर दीपोत्सव के साथ-साथ भजन कीर्तन, अखंड पाठ और प्रभात फेरी की तैयारी है.
जमशेदपुर, रांची, धनबाद और हजारीबाग जैसे झारखंड के बड़े शहरों में भी ऐसी ही तैयारी दिख रही है. जमशेदपुर की एक निजी कंपनी में काम करने वाले मिथलेश झा ने बताया कि उनके समाज के जो लोग इस अवसर पर अयोध्या जा नहीं पाए, वो 22 जनवरी को घरों में दीपावली की तरह दीप जलाकर खुशियां मनाएंगे.
झारखंड के पीयूष अग्रवाल की 85 वर्षीय दादी ने राम मंदिर के लिए 32 साल "मौन व्रत" रखा. पीयूष बताते हैं, "हमारे मारवाड़ी समाज में बहुत उत्साह है. समाज के अधिकांश परिवारों के मुखिया अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं. उनके लौट आने के बाद अन्य सदस्य वहां जाएंगे."
हिंदू समाज के अंदर राम मंदिर को लेकर जैसा उत्साह देखा जा रहा है, उस पर प्रोफेसर अपूर्वानंद कहते हैं हिंदुओं की एक एक बड़ी आबादी के दिमाग में यह बात बिठा दी गई है कि यह एक बहुत बड़ी घटना है. अपूर्वानंद कहते हैं, "उन्हें यकीन दिला दिया गया है कि 800 साल पहले हिंदुओं के साथ जो नाइंसाफी हुई थी, उसका यह बदला है. यह एक राष्ट्रीय महत्व की घटना है. यह सिर्फ एक मंदिर का उद्घाटन नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा बड़ी चीज है."
अपूर्वानंद आगे कहते हैं, "हिंदू आबादी को यकीन है कि यह मौका सिर्फ अयोध्या तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के लिए, बल्कि पूरे हिंदू समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसी वजह से उनके भीतर उत्साह है, जो दिखता तो स्वाभाविक है, लेकिन यह स्वाभाविकता पिछले 40-50 साल में पैदा की गई है." आरएसएस के अभियान पर अपूर्वानंद कहते हैं कि "यह मुहिम सिर्फ उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दक्षिण भारत के राज्यों तक फैली हुई है भले ही वहां के अधिकतर लोग उनका विरोध करते हों."