लोन देने वाले फर्जी ऐपों से सावधान!
२४ दिसम्बर २०२०केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कई लोगों और छोटे व्यापारियों के डिजिटल लोन देने वाली कई अनाधृकित सेवाओं/ऐपों के शिकार बन जाने की खबरें आई हैं. ये सेवाएं जल्दी और आसान तरीके से लोन देने का वादा करती हैं, लेकिन इनकी आड़ में उपभोक्ताओं से अत्यधिक ब्याज दरें और अतिरिक्त छिपे हुए शुल्क की भुगतान की मांग करने लगती हैं. आरबीआई के मुताबिक कि इन सेवाओं से जुड़े लोग फिर लोन दी हुई रकम की जबरन वसूली के तरीके भी अपनाते हैं.
ये अनाधिकृत तरीकों से उपभोक्ताओं के मोबाइल फोनों के अंदर का डाटा भी हासिल कर लेते हैं. केंद्रीय बैंक ने जनता को सावधान किया है कि लोग इस तरह की गतिविधियों का शिकार ना बनें और धोखा खाने से बचने के लिए लोन का प्रस्ताव करने वाली कंपनी की पूरी जांच कर लें. आरबीआई ने यह भी कहा है कि ऐसी फर्जी सेवाओं के खिलाफ केंद्रीय बैंक की वेबसाइट पर शिकायत भी दर्ज की जा सकती है.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार हैदराबाद में इस तरह के एक बड़े घोटाले का पता चला है. तीन लोगों की आत्महत्या के बाद पुलिस का पूरे मामले की तरफ ध्यान गया. जांच में पता चला की कुछ लोग कम से कम इस तरह के 30 ऐपों के जरिए यह घोटाला कर रहे थे. ये ऐप आरबीआई द्वारा अधिकृत नहीं थे लेकिन उपभोक्ताओं को 35 प्रतिशत तक की ब्याज दर पर तुरंत और आसान लोन दे रहे थे.
बकाया ब्याज ज्यादा हो जाने पर कई उपभोक्ताओं को लोन वापस चुकाने में मुश्किल हो रही थी, जिसके बाद ये कंपनियां इन लोगों को वसूली के लिए अलग अलग तरीकों से परेशान करने लगती थीं. तीनों आत्महत्याओं के लिए इसी उत्पीड़न को जिम्मेदार बताया जा रहा है. हैदराबाद पुलिस ने हैदराबाद और हरियाणा के गुडगांव से 16 लोगों को गिरफ्तार किया है.
हैदराबाद पुलिस को इन लोगों से जुड़े कम से कम 75 बैंक खाते मिले जिनमें 423 करोड़ रुपए जमा हैं. इन खातों को पुलिस ने अपने नियंत्रण में ले लिया है. खबरों में अमेरिका से डिग्री हासिल किए 32 वर्षीय इंजीनियर सरथ चंद्र का नाम सामने आया है. दावा किया जा रहा है कि सरथ ने इन गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने के लिए गुड़गांव, हैदराबाद और बेंगलुरु में कॉल सेंटर भी खोले हुए थे.
इनमें से सिर्फ तीन कॉल सेंटरों में ही 1,000 से ज्यादा लोग काम करते थे, जिन्हें उपभोक्ताओं को एक के बाद एक आसान लोन के चक्कर में फंसाने और फिर उन्हें परेशान करने और ब्लैकमेल करने की ट्रेनिंग दी जाती थी. इनमें से अधिकतर कर्मचारी कॉलेज ग्रेजुएट थे जिन्हें 10,000 से 15,000 रुपयों के मासिक वेतन पर रखा गया था.
इस घोटाले के तार दिल्ली, गाजियाबाद, नागपुर, मुंबई और बेंगलुरु की कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) से भी जुड़े बताए जा रहे हैं. यही नहीं पुलिस को चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों से इस घोटाले के अंतरराष्ट्रीय लिंक भी होने का संदेह है. अफसर कई शहरों में साथ जांच किए जाने की आवश्यकता रेखांकित कर रहे हैं.
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