लाल सागर पर हमले से वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ेगा?
२२ दिसम्बर २०२३पिछले हफ्ते, दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों में से ज्यादातर ने कहा है कि वे यमन स्थित हूथी विद्रोहियों द्वारा इस्राएल-हमास युद्ध के दौरान मालवाहक जहाजों पर मिसाइलें दागने के बाद लाल सागर और स्वेज नहर से जाने से बचेंगे.
इस वजह से, सुदूर पूर्व से यूरोप की ओर जाने वाले जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के माध्यम से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप का चक्कर लगाना होगा. यात्रा में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा और यह यात्रा करीब 3,500 समुद्री मील यानी करीब 6,482 किलोमीटर की होगी.
स्वेज नहर, लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है और इसकी वजह से यह यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा मार्ग है. वैश्विक शिपिंग यातायात का लगभग 12 फीसद आमतौर पर जलमार्ग से गुजरता है.
शिपिंग कंपनियों की लागत आसमान छू रही है
उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय पहले से ही शिपिंग माल की लागत को काफी प्रभावित करता है. ऐसे में यदि यह एक विस्तारित संकट बन जाता है, तो उपभोक्ताओं के लिए आयातित वस्तुओं की कीमत और ज्यादा बढ़ सकती है.
कोपेनहेगन स्थित मार्केट एनालिटिक्स फर्म जेनेटा के मुख्य विश्लेषक पीटर सैंड ने डीडब्ल्यू को बताया, "आप शंघाई से रॉटरडैम तक एक राउंड-ट्रिप यात्रा करें, और केप ऑफ गुड होप के रास्ते वही यात्रा करें तो ईंधन लागत आपकी लाखों डॉलर बढ़ जाएगी. यह अपने आप में ही बहुत बड़ा खर्च है.”
सैंड कहते हैं कि हमलों की वजह से बीमा प्रीमियम बढ़ गया है, जबकि एशिया और यूरोप के बीच साप्ताहिक सेवाएं चलाने वाली कंटेनर शिपिंग लाइनों को समान स्तर की सेवा सुनिश्चित करने के लिए तीन अतिरिक्त जहाजों की लागत को ध्यान में रखना होगा.
शिपिंग में होने वाली देरी का पूरे यूरोप में कंटेनर बंदरगाहों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जो आमतौर पर बड़ी संख्या में कंटेनरों के प्रवाह को संभालने में अत्यधिक कुशल होते हैं.
डेनमार्क स्थित शिपिंग इंडस्ट्री कंसल्टेंसी वेस्पुची मैरीटाइम के सीईओ लार्स जेन्सन कहते हैं, "मान लीजिए कि मेरे पास एक बंदरगाह है जो प्रति सप्ताह 50,000 कंटेनरों को संभालता है. लेकिन आगे यदि एक हफ्ते तक मेरे पास कुछ भी नहीं आता है और अगले सप्ताह एक लाख कंटेनर आ जाते हैं, तो जाहिर है कि इससे भीड़ की समस्या हो सकती है.”
लाल सागर संकट ने मार्च 2021 की यादें ताजा कर दी हैं जब कंटेनर जहाज एवर गिवन के फंसने के बाद स्वेज नहर छह दिनों के लिए बंद हो गई थी. उस समय दुनिया कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से बाहर निकल रही थी और वैश्विक व्यापार आपूर्ति श्रृंखलाओं में पहले से ही बड़ी बाधाएं उभरी हुई थीं.
सैकड़ों जहाजों को लाल सागर में हफ्तों तक रोके रखा गया और एक कंटेनर की शिपिंग की लागत 2,000 डॉलर से बढ़कर 14,000 डॉलर तक हो गई थी. एवर गिवन संकट के कारण एशिया से आयातित माल में कई महीनों की अतिरिक्त देरी हुई.
आपूर्ति श्रृंखला आज ज्यादा मजबूत हैं
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि आपूर्ति शृंखलाएं लगभग सामान्य हो गई हैं, लेकिन लाल सागर में सुरक्षा खतरे के कारण अगले कुछ हफ्तों में कीमतें दोगुनी हो सकती हैं. पिछले महीने पनामा नहर में सूखे के कारण अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले जलमार्ग पर चलने वाले जहाजों की संख्या पर अंकुश लग गया जिसके बाद वैश्विक माल ढुलाई की दरें पहले से ही बढ़ने लगी थीं.
सौभाग्य से, शिपिंग उद्योग ने कोविड आपूर्ति श्रृंखला संकट के बाद से सबक सीखा है और कई कंपनियों ने अपने मालवाहक जहाजों के बेड़े का विस्तार किया है, जिसका मतलब है कि लाल सागर के किसी भी स्थायी मार्ग परिवर्तन का प्रभाव उतना विनाशकारी नहीं होगा.
जेन्सन कहते हैं, "फिलहाल, हमारे पास क्षमता से अधिक कंटेनर जहाज हैं. इसलिए सबसे खराब स्थिति में भी जहां हमें कुछ समय के लिए अफ्रीका के आसपास जाना जारी रखना है, हमारे पास ऐसा करने के लिए दुनिया भर में कंटेनर जहाज हैं.”
मौजूदा संकट के पहले कुछ दिनों तक, शिपिंग कंपनियों ने इस उम्मीद में अपने जहाजों को होल्डिंग पैटर्न में रखा था कि हमलों को कम किया जाएगा या क्षेत्र में सुरक्षा जल्दी से बढ़ा दी जाएगी.
जेन्सन कहते हैं, "इस हफ्ते ज्यादा से ज्यादा जहाजों को अफ्रीका के चारों ओर जाने के लिए पुनर्निर्देशित किया जा रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस संकट को बहुत तेजी से हल किए जाने की उम्मीद लोग खोते जा रहे हैं.”
अमेरिका और सहयोगियों ने नौसैनिक सुरक्षा बढ़ाई
मंगलवार को अमेरिका ने लाल सागर में समुद्री वाणिज्य की सुरक्षा के लिए एक बहु-राष्ट्रीय अभियान की घोषणा की. सुरक्षा के उपाय के तरीके के रूप में, ब्रिटेन, बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, सेशेल्स और स्पेन दक्षिणी लाल सागर और अदन की खाड़ी में संयुक्त रूप से गश्त करेंगे.
क्षेत्र में अमेरिकी और ब्रिटिश युद्धपोतों ने हाल के दिनों में हूथी मिसाइलों और ड्रोनों को मार गिराना शुरू कर दिया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बड़े नौसैनिक बल की मौजूदगी हमलों को पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त होगी या नहीं.
हालांकि, कुछ जहाज सशस्त्र गार्डों के साथ लाल सागर में आवाजाही जारी रखे हुए हैं, ताकि अगर उनके जहाजों पर हूथी विद्रोही सवार हो जाते हैं तो उनसे निपटा जा सके. हूथी विद्रोहियों ने मंगलवार को जोर देकर कहा था कि अमेरिका के नेतृत्व वाला सुरक्षा अभियान उन्हें रोक नहीं पाएगा.
जेन्सन कहते हैं, "एवर गिवन के साथ यह देखना आसान था कि इसे जल्द ही हल कर लिया जाएगा. लेकिन मौजूदा संकट ज्यादा मुश्किल है क्योंकि हूथी विद्रोहियों को जहाजों पर मिसाइलों और ड्रोनों को लॉन्च करने से रोकने के लिए क्या करना होगा यह नहीं पता है. खासकर तब जबकि वे लगातार इस्राएल-हमास संघर्ष की ओर लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हों.”
मंगलवार को सप्लाई चेन रिसर्च फर्म प्रोजेक्ट 44 ने एक नोट में कहा कि शिपमेंट में देरी से क्रिसमस की खरीदारी पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर देरी जारी रही तो फरवरी तक दुकानों में स्टॉक कम होने की आशंका है.
वहीं अन्य विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि कुल मिलाकर कंटेनर शिपिंग पर अधिक असर पड़ सकता है, यूरोप में जीवाश्म ईंधन ले जाने वाले जहाजों में देरी सबसे पहले महसूस की जा सकती है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में सैंड कहते हैं, "हम देख रहे हैं कि उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के कारण एनर्जी शिपमेंट पर इस वक्त असर पड़ रहा है- चाहे वह तेल हो या कोयला या गैस हो.” इससे ऊर्जा कीमतों पर असर पड़ सकता है.