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ट्विटर ने भारत सरकार पर मुकदमा कियाः रिपोर्ट

६ जुलाई २०२२

ट्विटर ने भारत सरकार के खिलाफ मुकदमा कर दिया है. भारत द्वारा ट्विटर पर सामग्री को हटाए जाने के कथित निर्देशों को चुनौती देते हुए ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

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भारत सरकार और ट्विटर में तनातनी जारी है
भारत सरकार और ट्विटर में तनातनी जारी हैतस्वीर: Thomas Trutschel/photothek/picture alliance

भारतीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ट्विटर ने बेंगलुरू स्थित कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें भारत सरकार के सामग्री हटाने के अनुरोधों को चेतावनी दी गई है. हालांकि इस बारे में ट्विटर की प्रवक्ता अदिति शोरेवाल ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकतीं.

लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर में एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि ट्विटर सामग्री ब्लॉक करने के आदेशों को चुनौती दे रहा है क्योंकि वे धारा 69ए की शर्तों को पूरा नहीं करते. इस सूत्र के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि सरकार के सामग्री को ब्लॉक करने के आदेश "गैरवाजिब हैं और ताकत का बेजा इस्तेमाल हैं." इस सूत्र के मुताबिक "कई मामलों में तो खाते को ही ब्लॉक कर देने की मांग की गई है."

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला?

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ट्विटर ने यह साझा नहीं किया है कि सरकारी आदेश में क्या कहा गया है लेकिन ऐसा समझा जाता है कि उसने अपनी याचिका में कहा है कि जिन लोगों की सामग्री हटाने का आदेश दिया गया है उन्हें समुचित नोटिस नहीं दिया जा रहा है और "कुछ सामग्री को ब्लॉक करना, मसलन राजनीतिक दलों के ट्वीट हटाना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला हो सकता है."

इस रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर ने याचिका में दावा किया है कि कई मामलों में तो यह भी साबित नहीं हो पाया कि जिन खातों को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया उन्होंने आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की थी और अधिकतर मामलों में सामग्री धारा 69 की बहुत कड़ी पाबंदियों के तहत आपत्तिजनक थे. ट्विटर ने यह भी कहा है कि कुछ आदेश ऐसी सामग्री हटाने के हैं जो पुरानी घटनाओं से जुड़ा है और अब असंगत हो चुका है.

इस मुकदमे के बारे में भारत के आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "देश की संसद द्वारा पारित किए गए कानूनों का पालन सभी की जिम्मेदारी है."

सोशल मीडिया पर सख्त भारत सरकार

ट्विटर का यह कदम भारत सरकार और सोशल मीडिया कंपनी के बीच बढ़ते तनाव का ही एक और कदम है. पिछले साल भारत ने सोशल मीडिया के बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए थे जिनके जरिए ऑनलाइन सामग्री पर नियंत्रण के लिए अधिकारियों को काफी अधिकार दिए गए हैं. सोशल मीडिया कंपनियों ने इन निर्देशों पर आपत्ति जताई थी.

नए नियमों के तहत कंपनियों को हर वह सामग्री हटानी होगी जिसे अधिकारी गैरकानूनी मानेंगे. इन नियमों के जरिए सोशल मीडिया कंपनियों जैसे फेसबुक और ट्विटर व टेक कंपनियों जैसे गूगल आदि के कर्मचारियों को सरकार के आदेश ना मानने के लिए जिम्मेदार माना जाएगा और उन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं.

पहले भी ट्विटर ने सरकार के नए नियमों को लेकर आपत्ति जताई थी. पिछले साल मई में कंपनी ने सरेआम भारत सरकार पर ऐसा व्यवहार करने का आरोप लगाया था जो "खुलेपन के लोकतांत्रिक मूल्यों" से मेल नहीं खाता. ट्विटर ने कहा था कि उसे ‘जायज मुक्त अभिव्यक्ति' को हटाने को मजबूर होना पड़ा है क्योंकि उसके कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरा है और उसे पेनल्टी का डर है.

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ट्विटर के इस बयान के बाद बीजेपी के एक प्रवक्ता ने उसे ‘मैनीपुलेटेड मीडिया' कहा था और उसके दफ्तरों पर पुलिस ने छापे मारे थे. उसी महीने वॉट्स ऐप ने भारत सरकार पर मुकदमा किया था जिसमें उसने कहा था कि वह उपभोक्ताओं की निजता की सुरक्षा के लिए यह मुकदमा दायर कर रही है क्योंकि नए नियमों के तहत उसके ग्राहकों के संदेश ‘बाहरी पक्षों' की पहुंच में आ जाएंगे. यह मुकदमा अभी भी अदालत में चल रहा है.

कई विशेषज्ञ भी भारत में इंटरनेट से जुड़े नए नियमों की आलोचना कर चुके हैं और उन्हें सेंसरशिप बताते हैं. उन्होंने भारत सरकार पर सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर आलोचकों का मुंह बंद करने का आरोप लगाया है. बीजेपी इन दावों को खारिज करती रही है. पिछले हफ्ते ही भारत में एक पत्रकार मोहम्मद जुबैर को 2018 के एक ट्वीट के लिए ‘एक धर्म विशेष' की भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तारकर लिया था.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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