जलवायु को बचाने का एक अनूठा तरीका
जर्मनी के कील शहर में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के एक अनूठे तरीके पर शोध हो रहा है. बाल्टिक सागर में समुद्री घास का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, इस उम्मीद में की इससे जलवायु संरक्षण में मदद मिलेगी.
समुद्री घास के अंकुर
जर्मनी के उत्तरी शहर कील के पास ही समुद्री डाइवर खुर्पियों का इस्तेमाल कर समुद्री घास के एमेराल्ड ग्रीन रंग के अंकुर जड़ों के साथ निकाल रहे हैं और सावधानी से उसे झाड़ रहे हैं. जमीन पर इन अंकुरों को बड़े बड़े कूलरों में रखा जाता है. एक दिन बाद उन्हें और उत्तर की तरफ एक बंजर इलाके में ले जा कर फिर से रोप दिया जाता है.
सामुदायिक भागीदारी पर भरोसा
डाइवर खिलती हुई समुद्री घास को इकठ्ठा कर उसमें से बीज निकालते हैं. जिओमार हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर ओशन रिसर्च के नेतृत्व में कील में सीस्टोर नाम के शोध प्रोजेक्ट में पहली बार स्थानीय निवासियों को बाल्टिक सागर में समुद्री घास का जीर्णोद्धार करने के लिए ट्रेन किया जा रहा है.
महत्वपूर्ण कार्बन कुंड
समुद्री घास एक विशालकाय प्राकृतिक कुंड की तरह काम करती है जिसमें लाखों टन कार्बन का भंडारण किया जा सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते 100 सालों में पानी की गिरती गुणवत्ता की वजह से समुद्री घास बहुत कम हो गई है.
बाल्टिक सागर को फिर से हरा बनाना
जिओमार में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता एंगेला स्टीवेंसन इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं. उन्होंने हाल के सालों में तीन टेस्ट फील्डों की स्थापना की और यह पाया कि शाखें बीजों से ज्यादा मजबूत है. स्टीवेंसन ने कहा, "हमारा लक्ष्य है इस पायलट पीरियड के बाद इसका स्केल बढ़ाना. अंतिम लक्ष्य है बाल्टिक सागर को फिर से हरा करना."
जमीन के नीचे बागवानी की ट्रेनिंग
21 साल की वेटरनरी असिस्टेंट ली वरफौनडर्न जुलाई के शुरुआत में हुई ट्रेनिंग लेने वाले स्थानीय निवासियों के पहले बैच में थीं. वो कहती हैं, "यह पानी के नीचे बागवानी के जैसा है. पर्यावरण को बचाने के लिए सबको मिल कर योगदान देना चाहिए क्योंकि इसका हम सब पर असर पड़ता है." वीकेंड के कोर्स में छह दूसरे डाइवरों और जमीन पर कुछ वालंटियरों के साथ मिल कर उन्होंने करीब 2,500 पौधे लगाए हैं.
समुद्री घास की अहमियत
एक कर्मी बीज के साथ समुद्री घास की एक डंठल और एक मादा फूल की पुष्प-योनि दिखा रहा है. 2019 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, अकेले यूरोप में 1860 के दशक और 2016 के बीच में समुद्री घास के एक-तिहाई इलाके खत्म हो गए. इन इलाकों के खोने की वजह से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गई और जलवायु परिवर्तन और तेज हुआ.
बड़ा काम
समुद्री घास लगाना कितना बड़ा काम है यह एक चौंकाने वाले आंकड़े से पता चलता है. स्टीवेंसन का अनुमान है कि जर्मनी के तट के करीब बाल्टिक सागर में जितनी समुद्री घास खो गई उसे फिर से जीवित करने के लिए पांच लाख डाइवरों को एक साल तक रोजाना 12 घंटों तक घास रोपनी पड़ेगी.
लैब में शोध
थॉर्स्टन रौश जिओमार सेंटर में मरीन वैज्ञानिक हैं. अपनी प्रयोगशाला में वो समुद्री घास की तापमान में बढ़ोतरी का सामना करने की क्षमता पर शोध कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि हीट-रेसिस्टेंट नस्लों को उगाया जा सके, क्योंकि महासागरों के गर्म होने पर मछलियों की तरह समुद्री घास ठंडी जगहों पर माइग्रेट नहीं कर सकती है.
नई तकनीक
बीजों के लिए इकठ्ठा की गई खिलती हुई घास एक कैच बेसिन में तैर रही है. स्टीवेंसन कहते हैं, "हमें नई तकनीकों के बारे में सोचना होगा जो कार्बन को हटाने में भी हमारी मदद कर सकें. लेकिन अगर हमारे पास कार्बन के भंडारण के लिए प्राकृतिक समाधान मौजूद हैं, तो हमें उनका इस्तेमाल करना चाहिए." (यूली हुएनकेन)