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यूएन महासभा के बीच सिर उठाती बड़े युद्ध की आशंका

२१ सितम्बर २०२२

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा पर रूस के यूक्रेन युद्ध की छाया है. महासभा में रूसी विदेश मंत्री भी भाग ले रहे हैं, लेकिन इसी दौरान रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज करने का एलान भी कर दिया है.

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न्यूयॉर्क में महासभा
तस्वीर: Mary Altaffer/AP/picture alliance

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहले ही दिन असेंबली हॉल में तनाव और अनिश्चितता का माहौल बन गया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरष ने महासभा को संबोधित करते हुए, यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन और महिला अधिकारों का मुद्दा छेड़ा. उनके संबोधन के बाद सदस्य देशों की बारी आई और फिर मामला रूस के इर्द गिर्द ही घूमने लगा. अमेरिका, रूस, चीन, भारत और ईरान के प्रतिनिधियों से पहले जर्मन, फ्रांस, सेनेगल और फिलीपींस के नेताओं ने आमसभा को संबोधित किया.

यूएन महासभा को संबोधित करते जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्सय.चत
यूएन महासभा को संबोधित करते जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्सतस्वीर: Stephanie Keith/Getty Images

पुतिन पर यूरोप का कड़ा रुख

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने रूस पर खुलम खुल्ला साम्राज्यवाद का आरोप लगाते हुए कहा, "पुतिन अपने इस युद्ध को और अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा को तभी छोड़ेंगे जब उन्हें यह अहसास हो जाएगा कि वे यह युद्ध नहीं जीत सकते हैं."

जर्मनी दुनिया की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत की तरह जर्मनी भी लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनना चाहता है. न्यूयॉर्क में यूएन महासभा के मंच से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित करते हुए शॉल्त्स ने यह भी कहा कि, "वह (पुतिन) सिर्फ यूक्रेन को ही तबाह नहीं कर रहे हैं, वह अपने देश को भी बर्बाद कर रहे हैं."

फिर से सैन्य शक्ति बनने की तैयारी करता जर्मनी

जर्मन चांसलर ने आने वाले दिनों में यूक्रेन की और ज्यादा मदद करने का एलान भी किया, "हम अपनी पूरी शक्ति से यूक्रेन की मदद करेंगे: वित्तीय, आर्थिक, चैरिटी और हथियारों के जरिये." शॉल्त्स के न्यूयॉर्क रवाना होने से ठीक पहले जर्मन सरकार ने जर्मन सेना के स्टॉक से यूक्रेन को और ज्यादा हथियार देने का वादा किया. नई खेप में चार सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर भी शामिल हैं.

विश्व के नेताओं से अपील करते हुए शॉल्त्स ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि यहां 141 देश एक स्वर में रूस के हमले की निंदा करें."

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने भी यूक्रेन पर रूस के हमले को "नए दौर के साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद की वापसी" करार दिया. फ्रेंच राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस बात की भी जिक्र किया जो मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से कही. पिछले हफ्ते उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में एससीओ की बैठक के दौरान मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा कि "ये युद्ध का युग नहीं है."

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फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, "यह पूरब और पश्चिम या उत्तर व दक्षिण के बीच किसी पक्ष को चुनने का मामला नहीं है. यह जिम्मेदारी का मामला है."

महासभा के दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की द्विपक्षीय बैठक
महासभा के दौरान पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों की द्विपक्षीय बैठकतस्वीर: Ludovic Marin/AFP

विकासशील देशों का रुख

पश्चिमी देश चाहते हैं कि विकास कर रहे देश भी रूस की आलोचना करें. विकासशील देश यूक्रेन को दिए जा रहे अरबों डॉलर के पश्चिमी हथियारों को लेकर भी चिंता में हैं. यूएन जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए सेनेगल के राष्ट्रपति माकी साल ने कहा, "अफ्रीका ने इतिहास के बोझ को बहुत झेला है." सेनेगल फिलहाल अफ्रीकी यूनियन का अध्यक्ष देश है. सेनेगल ने यूक्रेन के मुद्दे को बातचीत और मध्यस्थता से सुलझाने की अपील की.

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोज जूनियर ने महासभा के सामने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का मुद्दा उठाया. मार्कोज ने कहा, "एशिया में बढ़ते रणनीतिक और विचारधारा संबंधी तनाव के कराण हमारी बड़ी मुश्किल से जीती गई शांति और स्थिरता खतरे में है."

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यूक्रेन के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई धमकी
यूक्रेन के मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई धमकीतस्वीर: Russian Presidential Press and Information Office/Russian Look/picture alliance

यूक्रेन के लिए रूस का जनमत संग्रह

महासभा में रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव भी हिस्सा ले रहे हैं. मंगलवार को लावरोव और उनके अधिकारी जब आमसभा को सुन रहे थे, उसी वक्त रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले और तेज करने का एलान कर दिया. पुतिन ने फिर से सेना के हिस्से के आगे बढ़ने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने धमकी भी दी कि रूसी इलाकी रक्षा के लिए "हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा."

पूर्वी और दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के कई इलाके अभी रूस के कब्जे में हैं. रूसी नियंत्रण वाले इलाकों में यूक्रेन से अलग होने के लिए जनमत संग्रह कराने का एलान किया गया है. यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इस जनमत संग्रह की कड़ी आलोचना की है. रूस का कहना है कि पूर्वी यूक्रेन के लुहांस्क और डोनेत्स्क और दक्षिण के खेर्सोन व जापोरित्सिया में 23 सितंबर 2022 से पांच दिन तक जनमत संग्रह कराया जाएगा.

ओएसजे/एनआर (डीपीए, एएफपी, एपी)