रूस ने वेस्ट को दी प्रतिबंधों की चेतावनी, कहा तकलीफ होगी
९ मार्च २०२२रूस ने पश्चिमी देशों और अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों पर पलटवार की चेतावनी दी है. उसने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि वह खुद पर लगे प्रतिबंधों की विस्तृत प्रतिक्रिया तैयार कर रहा है और उसके उठाए कदमों का असर पश्चिमी देश वहां महसूस करेंगे, जो उनके सबसे संवेदनशील पक्ष हैं.
1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से रूस की अर्थव्यवस्था अभी सबसे गंभीर स्थिति में है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस की करीब-करीब समूची वित्तीय और कॉर्पोरेट व्यवस्था पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब रूस ने जवाबी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है. रूसी विदेश मंत्रालय के आर्थिक सहयोग विभाग के निदेशक दिमित्री बिरिचेव्स्की ने कहा, "रूस की प्रतिक्रिया तीव्र और सोची-समझी होगी. जो इसके निशाने पर होंगे, उन्हें इसका असर महसूस होगा."
अंतरराष्ट्रीय बाजार पर असर
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर हुए हमले के जवाब में 8 मार्च को रूसी तेल और बाकी एनर्जी आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया. इसी हफ्ते रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन रूस से क्रूड आयात रोकते हैं, तो तेल की कीमत 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
रूस का कहना है कि यूरोप सालाना 50 करोड़ टन तेल का इस्तेमाल करता है. इसका लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा रूस निर्यात करता है. साथ ही, वह आठ करोड़ टन पेट्रोकेमिकल का भी निर्यात करता है. 8 मार्च को ही रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने टीवी पर प्रसारित अपने संबोधन में यूरोप को चेतावनी दी थी, "यह बिल्कुल स्पष्ट है कि रूसी तेल का बहिष्कार करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार को बेहद गंभीर नतीजे भुगतने होंगे."
रूसी अर्थव्यवस्था को तेल और गैस निर्यात की जरूरत है
जर्मनी के नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया रोके जाने के फैसले का जिक्र करते हुए नोवाक ने कहा, "हमें भी पूरा अधिकार है कि हम भी ऐसा भी फैसला लें और नॉर्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन से होकर जा रही गैस की आपूर्ति रोक दें. यूरोपीय नेताओं को चाहिए कि वे अपने नागरिकों और उपभोक्ताओं को ईमानदारी से आगाह कर दें कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है." नोवाक ने ब्योरा दिए बिना कहा, "अगर आप रूस की ऊर्जा सप्लाई ठुकराना चाहते हैं, तो ठीक है. हम इसके लिए तैयार हैं. हमें पता है कि हम अपनी सप्लाई की दिशा किस तरह मोड़ सकते हैं."
रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है. वह प्राकृतिक गैस का भी बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. रूस की कमाई का एक बड़ा हिस्सा जीवाश्म ईंधन के निर्यात से आता है. 2011 से 2020 के बीच रूस के संघीय बजट का लगभग 43 प्रतिशत हिस्सा तेल और गैस से मिले राजस्व से आया था.
बड़े खरीदार
रूस के तेल उत्पादन की क्षमता 1.13 करोड़ बैरल प्रतिदिन है. इनमें से ज्यादातर सप्लाई पूर्वी साइबेरिया, यमल और तातरस्तान इलाके से आती है. वह करीब 34.5 लाख बैरल तेल प्रतिदिन का घरेलू इस्तेमाल करता है और 70 लाख बैरल से ज्यादा क्रूड ऑइल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद प्रतिदिन निर्यात करता है. पिछले साल यूरोपीय संघ ने जितने कच्चे तेल का आयात किया, उसमें से लगभग एक चौथाई की आपूर्ति रूस ने की थी.
रूसी ऊर्जा आयात पर निर्भरता के मामले में यूरोपीय संघ के देशों की अलग-अलग स्थिति है. इनमें सबसे ज्यादा आयात जर्मनी और पोलैंड ने अपनी घरेलू जरूरतों के लिए किया. स्लोवाकिया, फिनलैंड, हंगरी और लिथुआनिया भी ज्यादातर रूसी आयात पर निर्भर हैं. मध्य और पूर्वी यूरोप के देश रूसी तेल के बड़े खरीदारों में शामिल हैं. बेलारूस ने अपने कुल तेल आयात का 95 प्रतिशत रूस से खरीदा.
चीन बन सकता है और बड़ा खरीदार
यूरोप के अलावा चीन भी रूसी तेल का बड़ा खरीदार है. अक्टूबर 2021 को खत्म हुए साल में चीन ने रूस से 16 लाख बैरल प्रतिदिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा. सऊदी अरब के बाद चीन को सबसे ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति रूस ने ही की. चीन के कुल तेल आयात का 15 हिस्सा रूस से आया. पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंध के बाद रूस, चीन को बिक्री बढ़ा सकता है. भारत भी एक संभावित खरीदार हो सकता है. उसे रोजाना करीब 43 लाख बैरल तेल की जरूरत है. इसका 85 प्रतिशत हिस्सा भारत आयात करता है. हालांकि अभी इसमें से तीन प्रतिशत से भी कम हिस्सा वह रूस से खरीदता है.
एसएम/एनआर (रॉयटर्स)