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पुतिन के आलोचक ऐलेक्सी नावाल्नी की जेल में मौत की खबर

१६ फ़रवरी २०२४

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, रूस में विपक्षी नेता और पुतिन के आलोचक ऐलेक्सी नावाल्नी की जेल में मौत हो गई है. इस खबर पर कई राष्ट्राध्यक्षों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कई ने रूस को नावाल्नी की मौत का जिम्मेदार बताया है.

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ऐलेक्सी नावाल्नी की यह तस्वीर 2010 की है. उन्होंने रूस में भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का नेतृत्व किया. वह राजनैतिक बंदी थे.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, नावाल्नी की मौत 16 फरवरी को हुई. वह जेल में बेहोश होकर गिर गए. उन्हें आर्कटिक सर्कल की एक बेहद सख्त जेल में रखा गया था.तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance

नावाल्नी के मौत की "वजह" नहीं बताई गई है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों को बताया, "इसकी जानकारी राष्ट्रपति को दे दी गई है. यह डॉक्टरों की जिम्मेदारी है कि वे मौत की वजह स्पष्ट करें." हालांकि नावाल्नी के सहयोगियों का कहना है कि उन्हें मौत की कोई पुष्टि नहीं मिली है.

नावाल्नी की पत्नी यूलिया नावाल्नी ने अप्रैल 2021 में जेल प्रमुख को एक चिट्ठी भेजी थी. इंस्टाग्राम पर साझा की गई इस चिट्ठी में लिखा था, "अगर ऐलेक्सी की जान जाती है, तो उसकी मौत का नैतिक भार आप पर होगा और पुतिन पर भी इसकी जिम्मेदारी होगी." 

कैसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं

नावाल्नी के मौत की खबर पर कई राष्ट्राध्यक्षों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "ऐलेक्सी नावाल्नी के निधन पर मुझे गहरा दुख हुआ है. वह रूस में लोकतंत्र और आजादी के लिए खड़े हुए और आखिरकार उन्हें जान देकर अपनी हिम्मत की कीमत चुकानी पड़ी. यह दुखद खबर एक बार फिर यह रेखांकित करती है कि रूस किस तरह बदल चुका है और मॉस्को में किस तरह की ताकत सत्ता में है."

जर्मनी की विदेश मंत्री आनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि नावाल्नी की मौत इसलिए हुई कि वह आजाद और लोकतांत्रिक रूस का एक प्रतीक थे. बेयरबॉक ने एक्स पर लिखा, "यही वजह है कि उन्हें अपनी जान देनी पड़ी. उनकी पत्नी और बच्चों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं."

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने नावाल्नी की मौत के लिए रूस को "जिम्मेदार" बताया है. यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा कि नावाल्नी ने अपने आदर्शों के लिए जान दी है. उन्होंने कहा, "लड़ाके मरते हैं, लेकिन आजादी की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती." मिशेल ने कहा कि नावाल्नी "आजादी और लोकतंत्र के मूल्यों" की खातिर लड़े.

रूस के लोकतंत्र समर्थक और पुतिन के आलोचक विपक्षी नेता ऐलेक्सी नावाल्नी
2011, 2012 और 2013 में पुतिन और उनकी नीतियों के खिलाफ बड़े स्तर पर हुए प्रदर्शनों में नावाल्नी बड़ा चेहरा थे. 2017 में किसी ने उन पर एक द्रव्य फेंक दिया था. कुछ समय के लिए उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी. तस्वीर: Yulia Morozova/REUTERS

रूस की कुख्यात स्पेशल रीजीम जेल में बंद थे

दिसंबर 2023 में नावाल्नी की लीगल टीम ने बताया था कि वह रूसी जेल व्यवस्था के विशाल नेटवर्क में गुम हो गए हैं. कई दिनों तक उनके वकीलों और सहयोगियों का उनसे संपर्क कटा रहा. फिर खबर आई कि उन्हें आईके-6 नाम की जेल से आर्कटिक सर्कल के पास एक बेहद सख्त पीनल कॉलोनी (रूस का जेल तंत्र) आईके-3 भेज दिया गया है.

अगस्त 2023 में नावाल्नी को 19 साल की अतिरिक्त कैद सुनाई गई थी. पहले भी उन्हें लगभग 11 साल जेल की सजा मिल चुकी थी. नावाल्नी के सहयोगियों ने बताया था कि प्रशासन ने उन्हें "स्पेशल रीजीम" जेल में भेजा था. रूस की पीनल कॉलोनी जेल व्यवस्था में सबसे सख्त दो श्रेणियां हैं: स्पेशल रीजीम और स्ट्रिक्ट रीजीम.

नावाल्नी को अदालत ने चरमपंथ और फ्रॉड से जुड़े आरोपों में दोषी पाया था. हालांकि आलोचक और जानकार इन आरोपों को राजनैतिक मंशा से प्रेरित बताते हैं. आरोप लगते हैं कि राष्ट्रपति पुतिन की आलोचना और सरकार विरोधी मुहिम चलाने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

ऐलेक्सी नावाल्नी मौजूदा समय में रूस के विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा थे.
यह जनवरी 2024 की तस्वीर है, जब वीडियो लिंक के माध्यम से नावाल्नी एक सुनवाई के दौरान अदालत के आगे पेश हुए. नावाल्नी की टीम ने कई बार बताया कि उनकी सेहत गिरती जा रही है. तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/ASSOCIATED PRESS/picture alliance

"नर्व एजेंट देकर मारने की कोशिश"

अगस्त 2020 में साइबेरिया से मॉस्को आते हुए एक विमान यात्रा के दौरान नावाल्नी कोमा में चले गए थे. संदेह था कि उन्हें "नर्व एजेंट देकर मारने की कोशिश की गई थी." उन्हें इलाज के लिए जर्मनी लाया गया. करीब चार महीने तक बर्लिन में उनका इलाज चला. नावाल्नी पर हुए हमले में रूस की एफएसबी एजेंसी के शामिल होने के आरोपों को खारिज करते हुए पुतिन ने कहा था, "अगर कोई उन्हें जहर देना चाहता, तो उन्होंने उसे खत्म कर दिया होता."

ठीक होने के बाद जनवरी 2021 में नावाल्नी स्वेच्छा से रूस लौट गए, जबकि कई जानकारों ने रूस में उनके सुरक्षित रहने पर संदेह जताया था. लौटने के तुरंत बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. उनके वकील लगातार उनकी हालत की अपडेट देते थे. बताया गया कि उनकी सेहत गिरती जा रही है.

फिर खबर आई कि नावाल्नी ने जेल में भूख हड़ताल की है. उनका कहना था कि जब तक उन्हें उनकी पसंद के डॉक्टर से दिखवाने की मांग नहीं मानी जाती, वह खाना नहीं खाएंगे. पिछले साल नावाल्नी ने जेल से ही एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें हर दिन आठ घंटे से ज्यादा वक्त तक सरकारी टीवी देखने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्होंने जेल की स्थितियां रेखांकित करते हुए बताया था कि हालात, चीन के लेबर कैंपों जैसे हैं.

कैसा रूस चाहते थे नावाल्नी

नावाल्नी पेशे से वकील थे. 2011, 2012 और 2013 में पुतिन और उनकी नीतियों के खिलाफ बड़े स्तर पर हुए प्रदर्शनों का में वह बड़ा चेहरा था. नावाल्नी 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन के खिलाफ खड़े होने वाले थे, लेकिन अदालती प्रक्रिया के कारण वह चुनाव नहीं लड़ पाए. कई आलोचकों ने आरोप लगाया कि नावाल्नी को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए जान-बूझकर व्यवधान खड़े किए गए.

नावाल्नी का आरोप था कि 1996 के बाद रूस में निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए हैं. वह पुतिन और उनके सहयोगियों पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाते थे. 2011 में रॉयटर्स को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "भ्रष्टाचार, मौजूदा रूस की बुनियाद है. यह पुतिन की राजनीतिक ताकत की नींव है." यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करते हुए उन्होंने अदालत में कहा था, "यह एक मूर्खतापूर्ण युद्ध है, जिसे आपके पुतिन ने शुरू किया है. यह जंग झूठ पर खड़ी की गई है."

2021 में एक दफा अदालती सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए नावाल्नी ने बताया था कि वह रूस का कैसा भविष्य चाहते हैं. उन्होंने कहा था, "मैं चाहता हूं कि रूस उतना समृद्ध बने, जितनी उसमें संभावनाएं हैं. मैं चाहता हूं कि इसकी संपन्नता और संसाधनों का ज्यादा निष्पक्ष बंटवारा हो. मैं चाहता हूं कि लोग इतनी लंबी उम्र जीएं कि रिटायर हो पाएं क्योंकि फिलहाल आधे लोग रिटायर होने तक जी ही नहीं पाते. मैं चाहता हूं कि हमारे यहां सामान्य शिक्षा व्यवस्था हो और लोग शिक्षा हासिल कर सकें. मैं चाहता हूं कि लोग इतना पैसा कमाएं, जितना उतने ही काम के लिए किसी यूरोपीय देश में मिलता है."