साक्षी मलिक के आंसुओं से उठते सवाल
२२ दिसम्बर २०२३बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था और उसके बाद बृजभूषण ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद पद खाली था और गुरुवार को हुए चुनाव में संजय सिंह महासंघ के अध्यक्ष चुने गए. 21 दिसंबर को चुनाव और नतीजों की घोषणा हुई.
बृजभूषण के करीबी के चुनाव जीतने के बाद ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा है कि डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह की जीत के बाद वह अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी. संजय सिंह की जीत के बाद साक्षी मलिक ने अपना दर्द बयां किया है.
महिला खिलाड़ियों का दर्द
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साक्षी मलिक भावुक हो गईं हैं. वो बोली,"मैं निराश हूं और मैं अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी." उन्होंने आगे कहा, "मैं अब कुश्ती से संन्यास ले रही हूं. चुनाव में बृजभूषण जैसा व्यक्ति फिर से जीत गया. हम 40 दिनों तक सड़कों पर सोए और देश के कई हिस्सों से लोगों ने आकर हमारा समर्थन किया. यहां तक हमारा समर्थन करने बूढ़ी महिलाएं तक आईं. ऐसे लोगों ने हमें अपना समर्थन दिया जिनके पास खाने-कमाने के पैसे नहीं हैं. लेकिन हम जीत नहीं पाए. हम सबका धन्यवाद करते हैं."
साक्षी मलिक ने कहा, "हमने महिला अध्यक्ष की मांग की थी. अगर अध्यक्ष महिला होती तो उत्पीड़न नहीं होता. लेकिन, पहले महिलाओं की भागीदारी नहीं थी और आज आप सूची देख सकते हैं, एक भी महिला को पद नहीं दिया गया." साक्षी ने कहा, "हम पूरी ताकत से लड़े थे लेकिन यह लड़ाई जारी रहेगी. नई पीढ़ी के पहलवानों को लड़ना होगा."
वहीं एक और महिला खिलाड़ी विनेश फोगाट भी कैमरे पर रो पड़ीं. फोगाट इसी साल बृजभूषण के खिलाफ धरने पर बैठी थीं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमें बहुत कम उम्मीदें हैं. लेकिन हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा. यह दुखद है कि कुश्ती का भविष्य अंधकार में है. हम अपना दुख किसे बताएं. हम अभी भी लड़ रहे हैं."
फोगाट ने कहा, "अब जब संजय सिंह को महासंघ का प्रमुख चुना गया है, तो महिला पहलवानों को उत्पीड़न का सामना करना जारी रहेगा."
इसी साल जनवरी में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण के खिलाफ ने जंतर-मंतर पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. इन पहलवानों ने बृजभूषण पर महिला खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
पहलवानों ने आधिकारिक तौर पर 7 जून को अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया था, जब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य या उनका करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई चुनाव मैदान में उतरने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने के ऐलान के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ओलंपिक विजेता खिलाड़ी की आंखों में आंसू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की देन है.
कांग्रेस ने सोशल मीडिया एक्स पर साक्षी के रोते हुए वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "देश की बेटी साक्षी मलिक न्याय मांग रही थी. सरकार के तमाम लोगों से मिली, धरना दिया, लाठियां खाईं और आज इतना मजबूर हो गई कि संन्यास ले लिया. दुर्भाग्य की बात है...देश-विदेश में अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाली देश की बेटी आज कह रही है...मैं हार गई."
"दबदबा था, दबदबा रहेगा"
साक्षी मलिक के खेल छोड़ने के बारे में पूछे जाने पर बृजभूषण ने मीडिया से कहा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने संजय सिंह की जीत पर कहा, "दबदबा था, दबदबा रहेगा." उन्होंने कहा, "मैं जीत का श्रेय देश के पहलवानों को और डब्ल्यूएफआई के सचिव को देना चाहता हूं. मुझे उम्मीद है कि नए फेडरेशन के गठन के बाद से कुश्ती प्रतियोगिताएं फिर से शुरू होंगी."
उन्होंने आगे कहा, "जीत का श्रेय मतदाताओं और पहलवानों को जाता है. एक तरीके से सरकार के आदेश पर चुनाव हुआ है. मैं सरकार और खेल मंत्रालय को बधाई देता हूं."
इस चुनाव में कुल 47 वोट पड़े जिसमें से संजय सिंह को 40 वोट मिले हैं. जबकि उनकी विरोधी अनीता श्योराण को इस चुनाव में सिर्फ 7 वोट ही मिले.
साल 2011 से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण सिंह का कब्जा था, लेकिन जब महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया तो उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा.