दुनिया भर में समान लिंग वाले माता-पिता के अधिकार
समलैंगिक जोड़ों के लिए माता-पिता बनना सबसे कठिन प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है. दुनिया के हर पांच में से एक से भी कम देश इन लोगों को बच्चे गोद लेने का अधिकार देते हैं.
कितने देश देते हैं बच्चा गोद लेने के अधिकार
एक अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएलजीए) के आंकड़ों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल 40 देश समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने की इजाजत देते हैं और उनमें से ज्यादातर यूरोप, उत्तरी और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं. ये वही देश हैं जिन्होंने सेम सेक्स मैरिज या सिविल यूनियन की इजाजत दी है.
सबसे पहले नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स दुनिया का पहला देश था जिसने 2001 में समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने की अनुमति दी थी और 22 यूरोपीय, लैटिन और उत्तरी अमेरिकी देशों के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, इस्राएल, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने यह कानून पारित किया है.
कठिन चुनौती
जिन देशों में गोद लेना कानूनी है वहां गोद लेने के लिए अपेक्षाकृत कम बच्चे उपलब्ध हैं, जिसके कारण कुछ समान-लिंग वाले जोड़े खुद बच्चे पैदा करने की कोशिश करते हैं.
कानून से मिला बच्चा गोद लेने का अधिकार
दुनिया भर में समलैंगिक विवाह कानूनों के तहत दोनों पार्टनर एक साथ बच्चा गोद लेने के पात्र हैं.
लंबा इंतजार
फ्रांस में समलैंगिक विवाह विधेयक के लागू होने के आठ साल बाद 2021 में समलैंगिक महिला जोड़ों को प्रजनन उपचार तक पहुंच प्राप्त हुई थी.
पुरुषों के लिए चुनौती
कई समलैंगिक पुरुष जोड़े बच्चा पैदा करने के लिए सरोगेसी की तलाश करते हैं, लेकिन फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और स्वीडन समेत कई यूरोपीय देशों में सरोगेसी पर प्रतिबंध है.
एशियाई देशों की स्थिति
एशियाई देश थाईलैंड और भारत जिन्हें अतीत में मुख्य सरोगेसी गंतव्य माना जाता था, दोनों ने हाल के सालों में कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया.
रूस और यूक्रेन में क्या स्थिति
यूक्रेन, जो फरवरी 2022 में रूस के हमले से पहले सरोगेसी चाहने वाले जोड़ों के लिए एक प्रमुख गंतव्य था, केवल समलैंगिक विवाहित जोड़ों के लिए सरोगेसी को वैध बनाता है, जबकि रूस ने सभी विदेशियों को सरोगेसी की मदद से बच्चे पैदा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.