सना मरीन की डांस पार्टी को लेकर बेवजह का हुआ हंगामा
२६ अगस्त २०२२फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं. इस बार उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह निजी पार्टी में दोस्तों के साथ डांस करती हुई दिख रही हैं. इसके बाद जो हुआ वह एक पारंपरिक ‘फिनिश स्कैंडल' है, जो वाकई में किसी तरह का स्कैंडल नहीं है. हालांकि, फिनलैंड की राजनीति इतनी आलोचनात्मक और थोड़ी उबाऊ होती है कि आपके थोड़ा-बहुत कुछ अलग करने पर ही विवाद पैदा हो जाता है. यह मामला काफी उच्च नैतिक आचरण की ओर इशारा करता है, जो राजनेताओं पर लागू होते हैं. साथ ही, उम्मीद की जाती है कि राजनेता इसी आचरण का पालन करते हुए जिंदगी जीएं. इसका नतीजा यह होता है कि दूसरी जगहों पर जिन घटनाओं को काफी ज्यादा सामान्य माना जाता है उन मामूली घटनाओं के लिए फिनलैंड के नेताओं को इस्तीफा देना पड़ जाता है.
उदाहरण के लिए, 2008 में फिनलैंड के तत्कालीन विदेश मंत्री इल्का कनेर्वा को टेक्स्ट मैसेज स्कैंडल की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था. वे एक विवादास्पद महिला सेलिब्रिटी को टेक्स्ट मैसेज भेज रहे थे. सना मरीन भी एक ‘स्कैंडल' की वजह से ही प्रधानमंत्री बनी हैं. दरअसल, सना से पहले देश के पीएम अंती रीन्ने थे. डाकघर की हड़ताल से जुड़े एक स्कैंडल की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. उस समय सना परिवहन और संचार मंत्री थीं.
27 वर्ष की उम्र में अपने गृहनगर टाम्पेरे की नगर परिषद का प्रमुख चुने जाने के बाद सना ने फिनलैंड की राजनीति में तेजी से ऊंचाइयां हासिल कीं. एक के बाद एक पायदान ऊपर चढ़ते हुए वह दिसंबर 2019 में देश की प्रधानमंत्री बनीं. उस समय उनकी उम्र महज 34 साल थी. वे फिनलैंड की अब तक की सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं और दुनिया की अब तक की सबसे कम उम्र महिला सरकार प्रमुख भी. 2019 के बाद से, महिला नेतृत्व वाली यह सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही है.
नाटो स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने 2021 में एक अध्ययन किया. इसमें पाया गया कि मरीन सरकार की महिला मंत्रियों को काफी ज्यादा संख्या में आपत्तिजनक संदेश भेजे जाते हैं. मरीन खुद भी अक्सर घरेलू ‘स्कैंडल' में घिरी रही हैं. जैसे, इंस्टाग्राम पर कुछ खास सेल्फी पोस्ट करने को लेकर या पार्टी करने से जुड़ी घटनाओं को लेकर. इस वजह से मीडिया ने उन्हें ‘पार्टी सना' का नाम भी दिया है.
सना के कुछ चर्चित ‘स्कैंडल' में ‘ब्रेकफास्टगेट' है जिसमें उनके नाश्ते के खर्च को लेकर विवाद हुआ था. इसी तरह का एक विवाद सफाई को लेकर सामने आया था कि वह खुद से सफाई करना पसंद करती हैं. यहां तक कि वह अपने कार्यालय को भी खुद से साफ करती हैं.
गलतफहमी की बू
बहुत से घरेलू बेतुके विवादों में गलतफहमी की बू आती है, क्योंकि मरीन असाधारण परिस्थितियों में लगातार फिनलैंड का नेतृत्व कर रही हैं, जो महामारी से शुरू हुई थी और अब नाटो में शामिल होने तक जा पहुंची है.
यह अपने-आप में बड़ी बात है कि एक 36 वर्षीय महिला सक्षम प्रधानमंत्री हो सकती हैं, एक छोटे बच्चे की मां हो सकती हैं, जो देश की सबसे कठिन नौकरी में रहते हुए भी सामाजिक जिंदगी जीने के लिए समय निकालती हैं, त्योहारों में शामिल होती हैं, और यहां तक कि कभी-कभी पार्टी भी करती हैं.
आमतौर पर, घरेलू ‘स्कैंडल' अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां नहीं बटोरते हैं. इस बार उनके ऊपर ड्रग्स लेने का आरोप लगा था. इसकी वजह यह थी कि मरीन का पार्टी करते हुए वीडियो लीक हुआ. उसमें सुनाई दे रहे एक वाक्य की वजह से यह पूरा विवाद पैदा हुआ, जिसे "जौहोजेंगी" ("फ्लोर गैंग") के रूप में गलत सुना गया था और इसका अर्थ ‘ड्रग्स' निकाला गया.
दरअसल, मरीन और उनके दोस्त वीडियो में फिनिश पॉप गीत के बोल गाते हुए दिख रहे हैं, जिसमें फिनलैंड में मिलने वाले शराब ‘जल्लू' का जिक्र है. वैसे भी फिनलैंड में कोई भी ड्रग्स को ‘फ्लोर' नहीं कहेगा. इससे इस कारोबार के बारे में लोग और भी नहीं समझ पाएंगे.
गलत सूचना तेजी से फैलती है
यह घटना अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तेजी से फैली. बिना सोचे-समझे और जांचे-परखे कई विदेशी मीडिया संस्थानों ने यह भी आरोप लगाया कि बैकग्राउंड में ‘कोकीन' शब्द बोला जा रहा था.
कई विपक्षी नेताओं ने पीएम की आलोचना की. गठबंधन में शामिल दल के एक नेता ने उनका ड्रग टेस्ट करवाए जाने की भी मांग की. 19 अगस्त को उनका यूरीन सैंपल जांच के लिए भेजा गया. उनकी ड्रग टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई. फिनलैंड सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इसमें किसी ड्रग्स के अंश नहीं मिले. साथ ही, यह भी जानकारी दी गई कि पीएम मरीन ने इस जांच का खर्च खुद उठाया.
इस मामले में मीडिया से बात करते हुए मरीन ने कहा कि उनके व्यवहार को लेकर किसी को कोई संदेह या गलतफहमी न हो, इसके लिए उन्होंने ड्रग टेस्ट कराया है. उन्होंने यह भी कहा कि वीकेंड पर अपने दोस्तों के साथ पार्टी की थी और तब उनकी कोई मीटिंग नहीं थी.
इस मामले में मरीन को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर समर्थन भी मिला और इससे यह भी पता चलता है कि कितनी आसानी से गलत सूचना जंगल की आग की तरह तेजी से फैल सकती है. इससे नुकसान तो आसानी से हो जाता है, लेकिन छवि को सुधारने के लिए काफी कुछ करना पड़ता है.
किसी संस्थान की छवि में सुधार करना, नेता के लिए बड़ी चुनौती के समान होता है. जैसे कि प्रधानमंत्री क्या है और कौन हो सकता है. मरीन के लिए भी यह इसी तरह की चुनौती थी. प्रधानमंत्री के पद पर आसीन किसी व्यक्ति के लिए, यह शायद ही आखिरी फिनिश स्कैंडल होगा और शायद यह आखिरी हो भी सकता है. यह एक अच्छी बात है.
मिन्ना अलांडर फिनलैंड की विदेश और सुरक्षा नीति विश्लेषक हैं. उन्होंने बर्लिन में जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स (एसडब्ल्यूपी) में काम किया है और फिनिश इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स में एक शोधकर्ता के रूप में वापस अपने मूल देश फिनलैंड लौटने वाली हैं.