1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विज्ञानविश्व

संयुक्त अरब अमीरात के मंगल मिशन के पीछे है यह चेहरा

२१ जुलाई २०२०

सारा अल अमीरी 12 साल की थीं जब उन्होंने एंड्रोमेडा गैलेक्सी की तस्वीर देखी. तारों को उन्होंने अपने सपनों में बसा लिया. वह नहीं जानती थीं कि एक दिन अंतरिक्ष का यह सपना सच में पूरा हो जाएगा.

https://p.dw.com/p/3fe2n
Vereinigte Arabische Emirate 2015 | Sarah Amiri, Mars-Mission
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Jebreili

पिछले पांच वर्षों से संयुक्त अरब अमीरात विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना नाम करने की खूब कोशिश कर रहा है. 2017 में उसने मशीन लर्निंग और इस तरह की अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मंत्रालय की घोषणा की. उसी साल उसने एक युवा इंजीनियर को देश के अंतरिक्ष प्रोग्राम का नेतृत्व करने का जिम्मा दिया. यह युवा इंजीनियर थीं सारा अल अमीरी. अल अमीरी ने ब्रिटिश विज्ञान पत्रिका "नेचर" को दिए  इंटरव्यू में कहा, "हम एक नए देश को अनुभव कर रहे हैं जो वैश्विक स्तर पर इस प्रतिस्पर्धा में काफी देर से उतरा है." यूएई के मंगल मिशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "लोगों का यह सोचना स्वाभाविक है कि यह पागलपन है."

अल अमीरी ने कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में शुरुआत की थी. बाद में वे एमिरेट्स इंस्टीट्यूशन फॉर एडवांस्ड साइंस एंड टेक्नॉलोजी में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रिसर्च करने लगीं. यहां उन्होंने यूएई के पहले उपग्रहों पर काम किया. अल अमीरी के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा था. 2017 में दुबई में उन्होंने एक टेडएक्स टॉक दिया था, जिसमें उन्होंने कहा, "12 साल की उम्र में मैंने एंड्रोमेडा गैलेक्सी की तस्वीर देखी, जो हमारी मिल्कीवे के सबसे करीब स्थित आकाशगंगा है." उन्होंने बताया कि इस एक तस्वीर ने उन्हें अंतरिक्ष के बारे में सब कुछ जानने के लिए उत्साहित किया, "और फिर एक दिन मुझे पता चला कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम हो रहा है, बस फिर क्या था, मेरा सपना पूरा होने वाला था."

Sarah Al Amiri | Vorsitzende des Wissenschaftsrates der Vereinigten Arabischen Emiraten
सारा अल अमीरीतस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/L. Radin

इसके बाद 2016 में उन्हें एमिरेट्स साइंस काउंसिल का प्रमुख नियुक्त किया गया और एक साल बाद सरकार ने उन्हें मंत्रालय संभालने के लिए बुलाया. आज 33 साल की उम्र में वे मंगल मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर और साइंस लीड हैं. संयुक्त अरब अमीरात के मार्स मिशन का नाम है "अमल". अरबी के इस शब्द का मतलब होता है "आशा". इस मिशन के बारे में वे कहती हैं, "मिशन को आशा का नाम दिया गया है क्योंकि हम एक ग्रह की वैश्विक समझ में योगदान दे रहे हैं. हम अपने इलाके में चल रहे उथल-पुथल से परे जा कर विज्ञान के क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देना चाहते हैं."

इस मिशन ने यूएई के सामाजिक ढांचे को भी काफी बदला. नेचर पत्रिका के अनुसार महिलाएं मिशन का 34 फीसदी हिस्सा हैं और साइंस टीम में तो 80 प्रतिशत महिलाएं हैं. अमीरात की वर्कफोर्स की तुलना में यह 28 प्रतिशत ज्यादा है. अल अमीरी को उम्मीद है कि इससे युवाओं को साइंस, टेक्नॉलोजी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में हिस्सा लेने में प्रोत्साहन मिलेगा, "मेरे ख्याल में विज्ञान अंतरराष्ट्रीय सहयोग का सबसे अच्छा तरीका है. यह असीम है, इसकी कोई सीमा नहीं है और इंसानी समझ के फायदे के लिए लोगों का जुनून ही इसे आगे बढ़ाता है."

अल अमीरी का प्रोफाइल स्पेस मिशन तक ही सीमित नहीं है. अडवांस्ड साइंसेज मंत्रालय की मंत्री होने के नाते अल-अमीरी पर "विज्ञान के इस्तेमाल से संयुक्त अरब अमीरात और उसकी अर्थव्यवस्था के विकास" की जिम्मेदारी है. वे कहती हैं, "जब आप अगले 30 वर्षों में यूएई की अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हैं, तो इसकी नींव में विज्ञान और प्रौद्योगिकी है क्योंकि आप ज्ञान के आधार पर अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं - उत्पादन का ज्ञान, इस ज्ञान का सही उपयोग और इसके जरिए मुनाफा बनाना होगा. दुनिया भर की सभी टिकाऊ अर्थव्यवस्थाएं ऐसे ही काम करती हैं."

रिपोर्ट: एल सैंडर्स/आईबी/सीके

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी