ग्रीनहाउस उत्सर्जन को रोकने के लिए गायों की पॉटी ट्रेनिंग
१४ सितम्बर २०२१ऑकलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता लिंडसे मैथ्यूज और डगलस एलिफ ने जर्मनी में इंस्टीट्यूट फॉर फार्म एनिमल बायोलॉजी संस्थान द्वारा चलाए जाने वाले एक तबेले में 16 बछड़ों के साथ शोध किया. उनके साथ जर्मन शोधकर्ताओं ने भी इस प्रयोग में साथ दिया. उन्होंने अपने बयान में कहा कि बछड़ों को "शौच रोकने" की ट्रेनिंग दी जा सकती है और वे ऐसा कर सकते हैं.
गोमूत्र में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए अगर गायों को "शौचालय" में पेशाब करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है तो ऐसे में कम से कम कुछ नाइट्रोजन से निपटा जा सकता है, और उसे पानी को प्रदूषित करने से रोक पाना मुमकिन है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि बछड़े अगर गलत स्थान पर पेशाब करते तो वे उनके गले पर पड़े पट्टे को वाइब्रेट करते हैं. जब बछड़े सही स्थान पर पेशाब करते हैं तो उन्हें इनाम के तौर पर भोजन दिया जाता. शौचालय पेन को अलग-अलग रंगों से दर्शाया गया, गायों को जिस शौचालय पेन में पेशाब करना होता वह हरा रंग का बनाया गया था.
मैथ्यूज कहते हैं, "जिस तरह से कुछ लोग अपने बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं. वे उन्हें टॉयलेट सीट पर बिठाते हैं, बच्चे के पेशाब करने का इंतजार करते हैं और फिर अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें इनाम दिया जाता है. ऐसा ही कुछ काम बछड़ों के साथ किया गया."
15 दिनों के प्रशिक्षण के अंत तक तीन-चौथाई बछड़े ऐसे थे जो तीन-चौथाई पेशाब शौचालय में करना सीख गए. एलिफ कहते हैं, "अगर हम 10 या 20 प्रतिशत पेशाब इकट्ठा कर सकते हैं, तो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण ढंग से पर्याप्त होगा."
गाय दिन भर जुगाली करती है, यानि घास खाती है, उसे निगलती है, उसे फिर निकालती है और फिर उसे चबाती है. घास खाते समय डकार और गोबर के साथ वह मीथेन गैस भी निकालती है.
मीथेन गैस को सबसे खतरनाक ग्नीनहाउस गैस माना जाता है और यह पृथ्वी के वायुमंडल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है. खाने के साथ साथ गाय का गोबर भी मीथेन का एक बड़ा स्रोत है.
दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब एक तिहाई हिस्सा जुगाली करने वाले जानवरों से आता है. एक किलो मीथेन कार्बन डायॉक्साइड से जलवायु को कहीं ज्यादा गुना हानि पहुंचा सकती है. गायों से अगर मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सके, तो पर्यावरण को भी फायदा होगा.
एए/सीके (डीपीए)