अयोध्या में दंगा भड़काने की साजिश
२९ अप्रैल २०२२अयोध्या पुलिस का कहना है कि कुल 11 लोगों ने मिलकर 26 अप्रैल की रात शहर की कई मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर, सूअर का मांस और कुरान के फटे हुए पन्ने डाल कर शहर में दंगा फैलाने की कोशिश की.
सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि चार मोटरसाइकिलों पर सवार इन लोगों ने इन गतिविधियों को करते समय सर पर उजली टोपियां पहनी हुई थीं, जिससे देखने पर लगे कि ये काम मुसलमानों ने किया हो.
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माहौल को बिगाड़ना था उद्देश्य
लेकिन पुलिस ने बताया कि टोपी पहनना भी इनकी साजिश का हिस्सा था क्योंकि जिन सात लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है उनके नाम महेश कुमार मिश्रा, प्रत्युष श्रीवास्तव, नितिन कुमार, दीपक कुमार गौड़, बृजेश पांडेय, शत्रुघ्न प्रजापति और विमल पांडेय हैं.
पुलिस ने इनमें से महेश कुमार मिश्रा को 'मुख्य साजिशकर्ता' बताया और यह भी बताया और उसने यह साजिश दिल्ली में हाल ही में घटी घटनाओं का विरोध करने के लिए रची. चार और लोग अभी तक फरार हैं. पुलिस ने स्पष्ट कहा कि इन लोगों का उद्देश्य अयोध्या के "माहौल को बिगाड़ना" और वहां की "अमन-चैन की संस्कृति को प्रभावित करना" था.
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दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर बिना पुलिस की अनुमति एक 'शोभायात्रा' निकाली गई थी, जिसमें शामिल लोगों पर हथियारों का प्रदर्शन करने और भड़काऊ नारे लगाने का आरोप लगा था. इस घटना के बाद वहां सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी.
अब बारी उत्तर प्रदेश की
रामनवमी और उसके आस पास के दिनों में और भी कई राज्यों में ठीक इसी तरह की घटनाएं हुई थीं, जिनमें इस तरह की 'शोभायात्राओं' के दैरान भड़काऊ नारे लगाए गए और भड़काऊ गाने भी चलाए गए. इसके बाद इन सभी स्थानों पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिनमें कई लोगों की जान चली गई और काफी संपत्ति को भी जला दिया गया.
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इन घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनके प्रदेश में रामनवमी पर दंगे तो दूर "कोई तू-तू मैं मैं भी नहीं हुई." लेकिन अयोध्या की इस घटना ने दिखाया है कि उत्तर प्रदेश में भी सुनियोजित तरीके से सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश की जा रही है.