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सेक्सटॉर्शन: कॉल में 'बगैर कपड़ों वाली लड़की' से रहें सावधान

मनीष कुमार
९ जून २०२३

'सेक्सटॉर्शन,' ब्लैकमेलिंग और वसूली का एक कमोबेश नया तरीका है. पीड़ित अक्सर हिचक या शर्मिंदगी के भाव से पुलिस में शिकायत नहीं करते हैं. अनुमान है कि अभी साइबर क्राइम के लगभग 60 फीसद मामले सेक्सटॉर्शन से जुड़े हैं.

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'सेक्सटॉर्शन' ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली का एक कमोबेश नया तरीका है.
'सेक्सटॉर्शन' ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली का एक कमोबेश नया तरीका है. तस्वीर: Dominic Lipinski/PA/dpa/picture alliance

"फेसबुक पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आया. प्रोफाइल पिक्चर इतनी खूबसूरत थी कि मैंने एक्सेप्ट कर लिया. थोड़ी देर बाद उसने मैसेंजर पर वॉट्सऐप नंबर मांगा. मैंने दे दिया. फिर वीडियो कॉल आ गया. जब मैंने स्क्रीन पर बिना कपड़े पहने एक लड़की की तस्वीर देखी, तो डर गया. मैंने फोन काट दिया."

यह बिहार के मुजफ्फरपुर के एक शख्स की आपबीती है. आगे क्या हुआ, वह बताते हैं, "फिर दूसरे नंबर से कॉल आया और एक  शख्स ने खुद को पुलिस अधिकारी बताया. उसने कहा कि एक लड़की ने अश्लील तस्वीर और वीडियो भेजकर तंग करने की शिकायत की है. मैंने इनकार किया, तो उसने लोकल थाने को मामला सौंपने की धमकी दी. जब मैंने अपनी सफाई दी, तो उसने मामला रफा-दफा करने के लिए 10,000 रुपये मांगे. मैंने उसे पैसा ट्रांसफर कर दिया. थोड़ी देर बाद ही मेरे अकाउंट से कई बार में पैसे निकाले जाने का मैसेज आ गया. जब तक कुछ सोच पाता, डेढ़ लाख रुपये निकाले जा चुके थे."

बात इतने पर भी खत्म नहीं हुई. पीड़ित ने आगे बताया, "उन लोगों का दुस्साहस तो देखिए. खुद को पुलिस अधिकारी बताने वाले उस शख्स के रुपया लेने के बाद उस लड़की ने और पैसे मांगे. ना देने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई. गलती मेरी ही थी. चंद मिनटों ने मुझे तबाह कर दिया."

रुपये गंवाने के बाद पीड़ित शख्स को साइबर थाने में पता चला कि वह सेक्सटॉर्शन नाम के एक साइबर अपराध के शिकार हो गए हैं. पीड़ित अपना अनुभव साझा करते हुए आग्रह करते हैं कि अगर किसी और के साथ ऐसा हो, तो बदनामी के डर से पुलिस में शिकायर्त दर्ज ना कराने की गलती ना करें.

अनुमान है कि अभी साइबर क्राइम के लगभग 60 फीसद मामले सेक्सटॉर्शन से जुड़े हैं.
अनुमान है कि अभी साइबर क्राइम के लगभग 60 फीसद मामले सेक्सटॉर्शन से जुड़े हैं.तस्वीर: Marko Lukunic/Pixsell/picture alliance

सेक्सटॉर्शन: ब्लैकमेलिंग और वसूली

'सेक्सटॉर्शन' ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली का एक कमोबेश नया तरीका है. इसकी मोडस ऑपरेंडी कमोबेश यही है: फोन पर पहले दोस्ती का प्रस्ताव भेजना, फिर वॉट्सऐप पर अश्लील तस्वीर या वीडियो भेजकर आकर्षित करना और अंत में वीडियो कॉल. कॉल रिसीव करते ही सामने न्यूड लड़की. चंद सेकेंड के इस खेल में स्क्रीन रिकॉर्डर के जरिए आपका वीडियो बन जाता है और फिर शुरू हो जाता है डराने-धमकाने व पैसे की उगाही का खेल.

मुजफ्फरपुर के रहने वाले पीड़ित के मामले में तो अपराधियों ने बैंक खाते में भी सेंध लगाई. कई अन्य मामलों में अपराधी वीडियो और फोटो डिलीट करने के नाम पर किस्तों में रुपये वसूल करते हैं. रोजाना कई लोग फेसबुक, वॉट्सऐप, डेटिंग ऐप या मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिए ऑनलाइन फ्रॉड के इस तरीके का शिकार हो रहे हैं. सब कुछ फर्जी अकाउंट्स के जरिए किया जाता है. लफड़े से बचने के लिए कई मामलों में पीड़ित ले-देकर मामला निपटाने में अपनी भलाई समझते हैं और अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं. अनुमान है कि अभी साइबर क्राइम के लगभग 60 फीसद मामले सेक्सटॉर्शन से जुड़े हैं.

अंगूठे के निशान की क्लोनिंग

फ्रॉड के और भी तरीके हैं. कभी ऑनलाइन कमाई का झांसा, तो कभी पार्ट टाइम नौकरी दिलाने के बहाने, तो कभी क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर, तो कभी वॉट्सऐप या टेलीग्राम पर मैसेज भेजकर, तो कभी सेना का अधिकारी बन सॉफ्ट स्किल की जानकारी देने की बात कहकर लोगों के साथ ठगी के मामले सामने आए हैं. इनमें से कुछ तरीके तो काफी पुराने हो चुके हैं. मसलन, खुद को बैंक का कर्मचारी बताकर यह कहना कि खाता बंद होने से बचाने के लिए ओटीपी बताओ.

ऐसा नहीं कि ऑनलाइन फ्रॉड के प्रति लोग जागरूक नहीं हुए हैं. इसे रोकने के लिए सरकार, बैंक और कंपनियां भी तरह-तरह के उपाय कर रही हैं. संचार माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिये लोगों को जागरूक किया जा रहा है. लेकिन साइबर अपराधी भी लोगों को ठगने और ब्लैकमेल करने के नए-नए तरीके ला रहे हैं. थोड़ी सी चूक हुई नहीं कि आपका बैंक अकाउंट खाली हो जाएगा या फिर आप ब्लैकमेल किए जाएंगे. अपराध के तरीकों को लेकर आम आदमी उस हद तक सोच भी नहीं पाता है.

बिहार के पूर्णिया जिले में ऐसा गिरोह पकड़ा गया, जो जमीन की रजिस्ट्री के कागजात से अंगूठे के निशान का क्लोन या नकली फिंगर प्रिंट बनाकर उस व्यक्ति का अकाउंट खाली कर देता है. पिछले दिनों पकड़े गए आठ अपराधियों द्वारा दी गई जानकारी से पुलिस भी भौंचक रह गई.

इन अपराधियों का नेटवर्क कई राज्यों में है. वे इसके लिए भूमि व राजस्व विभाग की वेबसाइट को निशाना बनाते हैं. जमीन की रजिस्ट्री या सेल डीड से वे फिंगर प्रिंट को डाउनलोड करते हैं. फिर शुरू हो जाती है क्लोन बनाने की प्रक्रिया. इसके लिए अपराधी खास तरह के रसायन और बटर पेपर का उपयोग करते हैं. गिरोह के सदस्यों के कब्जे से एक पॉलीमर स्टांप मशीन, पॉलीमर लिक्विड, पॉलीमर रबड़ शीट तथा पॉलीमर रबड़ शीट पर बने अंगूठे के 97 फिंगर प्रिंट बरामद किए गए. ट्रांजेक्शन ऐप का इस्तेमाल करने वाले अकाउंट होल्डर भी आसानी से इनके शिकार हो जाते हैं.

बिहार के पूर्णिया जिले में ऐसा गिरोह पकड़ा गया, जो जमीन की रजिस्ट्री के कागजात से अंगूठे के निशान का क्लोन या नकली फिंगर प्रिंट बनाकर उस व्यक्ति का अकाउंट खाली कर देता है.
बिहार के पूर्णिया जिले में ऐसा गिरोह पकड़ा गया, जो जमीन की रजिस्ट्री के कागजात से अंगूठे के निशान का क्लोन या नकली फिंगर प्रिंट बनाकर उस व्यक्ति का अकाउंट खाली कर देता है. तस्वीर: Jochen Tack/IMAGO

देशभर में साइबर अपराध के कई हॉट स्पॉट

अब झारखंड का जामताड़ा या बिहार का नवादा ही साइबर अपराध का गढ़ नहीं रहा. इसकी जड़ें धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रही हैं. दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश तक और गुजरात से लेकर असम तक, देश के नौ राज्यों में ऐसे कई जामताड़ा हैं, जो साइबर अपराध का गढ़ बन गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और असम इसके हॉट स्पॉट बन चुके हैं. बिहार में बैठकर देशभर में ठगी करने वाले शातिरों का तो पाकिस्तानी कनेक्शन भी सामने आया है.

सूरत पुलिस ने बीते मई महीने में बिहार में पटना, वैशाली और जमुई से तीन साइबर फ्रॉड को गिरफ्तार किया था. सूरत की एक महिला प्रोफेसर की आत्महत्या का मामला भी तब सेक्सटॉर्शन का निकला, जब ये तीनों पकड़े गए. इन लोगों ने उनसे करीब 50,000 रुपये ठग लिए थे और इसके बाद भी परेशान कर रहे थे. वे बिहार में बैठकर पाकिस्तानी नंबर से महिला को फोन पर धमकी देते थे. तंग आकर महिला ने जान दे दी. इन तीनों की निशानदेही पर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से एक महिला को पकड़ा गया, जो पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में थी. वह देशभर में फैले अपने एजेंटों से सेक्सटॉर्शन के जरिए ठगी करवाती थी और उस पाकिस्तानी एजेंट को रोजाना 50 हजार से एक लाख रुपये भेज रही थी.

साइबर सुरक्षा पर काम कर रहे प्रतीक बताते हैं, "अनजान नंबरों से आए वीडियो कॉल को किसी भी हालत में रिसीव न करें. कुछ अश्लील दिखते ही कॉल काट दें और तुरंत पुलिस को सूचित करें. उनकी धमकियों से डरें नहीं. सोशल साइट्स पर किसी से बातचीत करने के पहले उसकी पूरी पड़ताल कर सुनिश्चित हो जाएं. किसी भी संदिग्ध साइट या लिंक को किसी भी हालत में ना खोलें." जाहिर है, इससे बचने का उपाय लोगों को खुद ही करना होगा. सतर्क रहें, सुरक्षित रहें.

दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश तक और गुजरात से लेकर असम तक, देश के नौ राज्यों में ऐसी कई जगहें हैं, जो साइबर अपराध का गढ़ बन गई हैं.
दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश तक और गुजरात से लेकर असम तक, देश के नौ राज्यों में ऐसी कई जगहें हैं, जो साइबर अपराध का गढ़ बन गई हैं.तस्वीर: allOver-MEV/IMAGO

बच्चों का भी इस्तेमाल करते हैं अपराधी

कई बार दरियादिली भी भारी पड़ सकती है. अपराध का एक तरीका ऐसा है, जिसमें यात्रा के दौरान या भीड़भाड़ वाले इलाके में एक बच्चा आता है और लोगों से कहता है कि उसके पास नकदी है. कोई रुपये लेकर उसके खाते में भेज दे, ताकि वह बिना डर के यात्रा कर सके. आसपास मौजूद गिरोह के लोग उसके पक्ष में माहौल बनाते हैं. अगर कोई बच्चे की मदद करने को तैयार हो गया, तो वे लोग अकाउंट में रुपया भेजने में उसकी मदद करते हैं. थोड़ी देर बाद उस व्यक्ति को अपने अकाउंट से पैसा निकाले जाने की जानकारी मिलती है. आशय यह कि किसी तरह आपकी व्यक्तिगत जानकारी शातिरों को मिल जाए या फिर आप उनके झांसे में आ जाएं.

कई बार डराने-धमकाने के लिए तो अपराधी पुलिस या जांच एजेंसियों के फर्जी मुहर या लेटर पैड का भी सहारा ले रहे हैं. इससे वे सामने वाले पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में कामयाब होते हैं. पटना के एक डॉक्टर से तो उनके पते पर भेजे गए कूरियर में ड्रग्स मिलने की बात कहकर दो लाख रुपये की ठगी कर ली गई थी. अपराधियों ने मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर उन्हें डराया-धमकाया. उन्हें उनके आधार नंबर के अंतिम चार अंक बताकर मुंबई कस्टम द्वारा पार्सल जब्त किए जाने की बात कही गई थी.

बिहार में विद्युत विभाग द्वारा बिजली काटे जाने की सूचना देकर भेजे गए लिंक के जरिए तुरंत स्मार्ट मीटर को रिचार्ज करने का फर्जी मेसेज भेजे जाने के मामले सामने आए हैं. जैसे ही लोग लिंक खोलते हैं, उनके अकाउंट से पैसे निकाल लिए जाते हैं. पटना के एक व्यवसायी ने अपने घर में लगी टीवी के सब्सक्रिप्शन संबंधी शिकायत के लिए एक प्रतिष्ठित कंपनी को ट्वीट किया.

थोड़ी देर बाद उसी कंपनी का अधिकारी बताते हुए उनके पास फोन आया और उनसे शिकायत के संबंध में जानकारी ली गई. थोड़ी देर बाद दूसरे नंबर से कॉल कर उन्हें एक लिंक ओपेन करने को कहा गया. व्यवसायी महोदय तो तब तक कंपनी की कार्यप्रणाली के कायल हो चुके थे. उन्होंने लिंक खोला. पंद्रह-बीस मिनट बाद उनके कई अकाउंट का इस्तेमाल कर करीब 50,000 रुपये की खरीदारी का मेसेज आया. तब जाकर उन्हें ठगे जाने का अहसास हुआ.

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