गरीबों से कई गुना तेजी से अमीर हो रहे हैं अमीरः रिपोर्ट
३ अक्टूबर २०२३आर्थिक गैरबराबरीपिछले दो दशकों के दौरान इतनी तेजी से बढ़ी है कि अमीर चार गुना ज्यादा तेजी से अमीर हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के एक ताजा अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने इन हालात को बेहद गंभीर और चिंताजनक बताया है.
ऑस्ट्रेलियन काउंसिल ऑफ सोशल सर्विस (ACOSS) और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (UNSW) ने मिलकर यह अध्ययन किया है, जिसमें पता चला कि सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की दौलत सबसे गरीब 20 फीसदी से चार गुना ज्यादा तेजी से बढ़ी है.
पावर्टी एंड इनिक्वलिटी पार्टनरशिप की ताजा रिपोर्ट ‘इनिक्वलिटी इन ऑस्ट्रेलियाः 2023 ओवरव्यू' दिखाती है कि पिछले दो दशकों में देश में गैरबराबरी बढ़ने की रफ्तार चिंताजनक रूप से तेज रही है. 2003 से 2022 के बीच सबसे धनी 20 फीसदी लोगों की औसत संपत्ति 82 फीसदी बढ़ी है. सबसे अमीर पांच फीसदी लोगों की दौलत तो 86 फीसदी बढ़ी है.
बीच के 20 फीसदी लोगों की संपत्ति में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि सबसे गरीब 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति सिर्फ 20 प्रतिशत बढ़ी है. इस गैरबराबरी के बढ़ने की मुख्य वजहों में सुपरएन्युएशन या प्रोविडेंट फंड में 155 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
यह अनिवार्य बचत है, जो नौकरीपेशा लोगों को करनी होती है प्रॉपर्टी में निवेश भी गैरबराबरी की तस्वीर को साफ करता है. ऑस्ट्रेलिया में जितनी इन्वेस्टमेंट प्रॉपर्टी हैं, उनमें से 82 फीसदी तो सबसे धनी 20 फीसदी लोगों के पास ही हैं.
कैसे घटे असमानता?
रिपोर्ट में कोविड़ महामारी के दौरान हालात पर विशेष अध्ययन किया गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक महामारी के दौरान सरकार द्वारा समय पर उठाये गये कदमों के कारण असमानता कुछ कम हुई लेकिन यह अस्थायी थी.
2020 में सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों की आय 5.3 प्रतिशत बढ़ी जबकि मध्य वर्ग के 20 फीसदी लोगों की आय सिर्फ दो फीसदी बढ़ी. सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की संपत्ति में 2.4 फीसदी का इजाफा हुआ. इस तरह गैरबराबरी में कुछ हद तक कमी आयी.
लेकिन 2021-22 में जब महामारी के दौरान लागू विशेष उपाय हटा दिये गये तो गरीबों की आय फिर से घट गयी. यूं तो सबकी ही आय घटी लेकिन सबसे गरीब लोगों की आय में ज्यादा कमी देखी गयी. सबसे गरीब 20 फीसदी की आय 3.5 फीसदी घटी जबकि सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की आय में सिर्फ 0.1 फीसदी की गिरावट आयी.
यूएनएसडब्ल्यू के सोशल पॉलिसी रिसर्च सेंटर की प्रोफेसर कार्ला ट्रेलोअर कहती हैं, "यह रिपोर्ट सरकार की हालिया जनहित संरचना पर आधारित है जो दिखाती है कि आय आधारित असमानता औसतन स्थिर रही है लेकिन संपत्ति के आधार पर देखा जाए तो बीते दशकों में इसमें गिरावट आयी है. सस्ते घर और ज्यादा न्यायसंगत कर वह सुपरएन्युएशन प्रणाली से हम इस चलन को उलट सकते हैं. साथ ही, आय समर्थन जैसे भुगतान को स्थायी करके भी आय असमानता को कम किया जा सकता है.”
भारत में भी बढ़ रही है असमानता
भारत में भी बीते सालों में असमानता तेजी से बढ़ी है. हाल ही में समाजसेवी संस्था ऑक्फैम ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके मुताबिक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत असल में दुनिया में सबसे ज्यादा असमानता वाले देशों में है.
ऑक्सफैम के मुताबिक भारत के सबसे धनी दस फीसदी लोगों के पास 77 प्रतिशत संपत्ति है. 2017 में देश में जितनी संपत्ति पैदा हुई, उसका 73 फीसदी सिर्फ एक फीसदी लोगों को मिला जबकि निचले तबके के 67 करोड़ लोगों की संपत्ति में सिर्फ एक फीसदी की वृद्धि हुई. 2021 में देश की 40.5 प्रतिशत संपत्ति सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास थी.
भारत में अरबपतियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. 2020 में वहां 102 अरबपति थे जो 2022 में बढ़कर 166 हो गये. इसी साल जनवरी में स्विट्जरलैंड के दावोस में जारी ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचस्ट‘ रिपोर्ट में कहा गया था कि 2012 से 2021 के बीच भारत में जितना धन पैदा हुआ, उसका 40 फीसदी से ज्यादा सिर्फ एक फीसदी लोगों को मिला.