अदाणी मामले में सेबी ने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा: हिंडनबर्ग
२ जुलाई २०२४अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर छपे एक लेख में दावा किया गया है कि कंपनी ने जनवरी 2023 में अदाणी समूह को लेकर जो खुलासे किए थे, उनके जवाब में भारत में शेयर बाजार की नियामक संस्था सिक्यॉरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने उसे ही एक नोटिस भेज दिया है.
हिंडनबर्ग के मुताबिक, सेबी ने 27 जून 2024 को ईमेल के जरिए उसे 'कारण-बताओ' नोटिस भेजा, जिसमें नियामक ने हिंडनबर्ग पर भारतीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
क्या हैं सेबी के आरोप
नोटिस के मुताबिक, सेबी का आरोप है कि हिंडेनबर्ग और उसके एकमात्र मालिक नेथन एंडरसन ने अदाणी समूह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी कर जानबूझ कर समूह का नुकसान कराया और अपने एक क्लायंट मार्क किंग्डन और उनकी कंपनी का मुनाफा करवाया. आरोप यह भी है कि खुद हिंडनबर्ग ने भी इस मुनाफे में से 25 प्रतिशत हिस्सा लिया.
सेबी की जांच के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी रिपोर्ट जारी करने से पहले किंग्डन को दिखाई, जिसके बाद किंग्डन ने अदाणी के शेयरों में शॉर्ट-सेलिंग की तैयारी कर ली. रिपोर्ट जारी होने के बाद शॉर्ट-सेलिंग हुई और शेयर का मूल्य 59 प्रतिशत गिर गया.
क्या था अदाणी के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट में
रिपोर्ट ऐसे समय पर जारी की गई थी, जब अदाणी समूह एक फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के बीच में था. बाद में समूह को एफपीओ वापस लेना पड़ा था.
सेबी के नोटिस के मुताबिक, रिपोर्ट छपने से कुछ ही दिन पहले 'के. इंडिया अपॉरच्यूनिटीज फंड लिमिटेड - क्लास एफ' नाम की एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कंपनी (एफपीआई) ने भारत में ट्रेडिंग के लिए खाता खोला और अदाणी के शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की.
एक भारतीय कंपनी की भी है भूमिका
फिर इसी एफपीआई ने रिपोर्ट छपने के बाद अपने सारे शेयर बेच दिए और 183.24 करोड़ का मुनाफा कमाया. सेबी ने अपने नोटिस में इस एफपीआई का पूरा नाम नहीं बताया है, लेकिन हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में बताया कि यह कोटक बैंक का एफपीआई था जिसका किंग्डन ने अदाणी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किया.
सेबी ने हिंडनबर्ग को 21 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. कारण-बताओ नोटिस जारी करने के बाद अगर सेबी आरोपी को दोषी पाता है, तो उसपर जुर्माना लगा सकता है और भारतीय शेयर बाजार में भाग लेने से प्रतिबंधित कर सकता है.
हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर छपे लेख में सेबी के सभी आरोपों से इनकार किया है और सेबी पर ही सवाल उठाए हैं. कंपनी ने कहा है कि उसने पहले ही बताया था कि वह अदाणी के शेयरों में शॉर्ट-सेलिंग कर रही है.
अदाणी पर सवालों को दबाने के भी आरोप
साथ ही कंपनी का कहना है कि उसने उसकी रिपोर्ट के पाठकों से खुल कर कहा था कि वह इस मामले में खुद भी रिसर्च करें. अपने मुनाफे के बारे में हिंडनबर्ग ने कहा कि उसने अपने निवेशक के जरिए करीब 34 करोड़ रुपए और अदाणी में खुद शॉर्ट-सेलिंग कर करीब 25 लाख रुपए कमाए हैं.
कंपनी ने आगे कहा कि उसकी रिपोर्ट दो साल तक चली एक वैश्विक जांच का नतीजा थी, जिसका सिर्फ खर्च ही इस कमाई से निकल पाएगा, यानी कोई मुनाफा नहीं बचेगा. कंपनी ने कहा है कि यह रिपोर्ट उसके लिए कमाई का साधन नहीं थी, बल्कि उसकी मंशा भारत में हो रही एक बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने की थी.
हिंडनबर्ग ने सेबी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सेबी का काम इस तरह की गतिविधियों को रोकना है जिन्हें कंपनी ने उजागर किया, लेकिन नियामक ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है. कंपनी ने आरोप लगाया कि ऐसा लग रहा है कि सेबी निवेशकों को धोखा करने वालों से बचाने की जगह धोखेबाजों को ही बचाने की ज्यादा कोशिश कर रही है.