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अर्थव्यवस्थासंयुक्त राज्य अमेरिका

क्या सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने से 2008 वाली मंदी आएगी

१३ मार्च २०२३

ऊंची उड़ान भरने वाले तकनीकी स्टार्टअप के साथ रिश्तों और वेंचर कैपिटल मुहैया कराने के लिए विख्यात सिलिकॉन वैली बैंक की नाकामी के पीछे बैंकिंग सेक्टर की एक पुरानी समस्या का ही हाथ है.

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 सिलिकॉन वैली बैंक टेक स्टार्टअप से जुड़ा है
सिलिकॉन वैली बैंक के ज्यादातर ग्राहक अमीर लोग और कारोबार हैंतस्वीर: Justin Sullivan/Getty Images

शुक्रवार को इस बैंक के डूबने की खबर आई और इसके बाद से ही चिंता बनी हुई है. हालांकि अमेरिकी अधिकारी निवेशकों का पैसा नहीं डूबने की बात कह रहे हैं. एक दशक पहले आर्थिक मंदी के दौर के बाद इस तरह किसी बैंक के डूबने की यह पहली घटना है. इसके तात्कालिक नतीजों में कुछ स्टार्टअप अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान की समस्या और इस डर से जूझ रहे हैं कि उन्हें अपनी कुछ परियोजनाएं रोकनी पड़ेंगी या फिर कर्मचारियों को हटाना पड़ेगा जब तक कि उन्हें फंड हासिल नहीं हो जाता.

इस बीच सिलकॉन वैली बैंक की ब्रिटिश ईकाई को हांगकांग शंघाई बैंक कॉर्पोरेशन यानी एचएसबीसी ने खरीद लिया है. एचएसबीसी ने दावा किया है कि सोमवार से ब्रिटिश शाखा में बैंक का कामकाज सामान्य रहेगा.

आखिर ये बैंक डूबा क्यों?

बीते एक साल में तकनीकी कंपनियों के शेयरों में आई भारी गिरावट ने सिलिकॉन वैली बैंक पर सबसे ज्यादा असर डाला है. इसके साथ ही महंगाई रोकने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व की बड़े पैमाने पर ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी ने भी बैंक को बहुत प्रभावित किया है. 

बीते कुछ सालों में सिलिकॉन वैली बैंक ने अरबों डॉलर के बॉन्ड खरीदे. इसके लिए सामान्य बैंकों की तरह ग्राहकों की बैंक में जमा रकम का इस्तेमाल किया गया. ये निवेश तो सुरक्षित हैं लेकिन उन पर मिले ब्याज की दर कम थी. फिलहाल जो ब्याज की दर चल रही है उससे यह काफी कम था जिसके कारण बैंक को नुकसान हुआ.

सिलिकॉन वैली बैंक के ज्यादातर ग्राहक अमीर लोग और कारोबार हैं
अमेरिकी अधिकारी कह रहे हैं कि बैंक डूबने के बावजूद ग्राहकों का नुकसान नहीं होगातस्वीर: Justin Sullivan/Getty Images

हालांकि मोटे तौर पर यह नुकसान उतना बड़ा नहीं हैं क्योंकि बैंक लंबे समय के लिए इन बॉन्डों में किए निवेश को बनाए रख सकता है बशर्ते कि उन्हें आपातकाल में इन्हें बेचने पर मजबूर ना होना पड़े. समस्या यह है कि सिलिकॉन वैली के ग्राहकों को बीते एक साल में ज्यादा नगदी की जरूरत पड़ गई. वेंचर कैपिटल फंड से पैसा मिल नहीं रहा है. कंपनियों के पास मुनाफा नहीं देने वाले कारोबार के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं मिला तो वो अपने मौजूदा फंड का इस्तेमाल करना चाहती हैं जो सिलिकॉन वैली बैंक के पास जमा है.

नतीजा ये हुआ कि सिलिकॉन वैली बैंक के ग्राहकों ने अपनी जमा रकम निकालनी शुरू कर दी. शुरुआत में यह बड़ा मुद्दा नहीं था, लेकिन बाद में बैंक को भी अपनी संपत्ति बेचने पर मजबूर होना पड़ा ताकि ग्राहकों की मांग पूरी की जा सके. सिलिकॉन वैली बैंक के ज्यादातर ग्राहक बड़े कारोबार और अमीर लोग हैं तो उन्हें ढाई लाख डॉलर से ऊपर की जमा रकम के लिए चिंता सता रही है. सरकार ने जमा रकम पर बीमे के लिए ढाई लाख डॉलर की ऊपरी सीमा तय कर रखी है. यानी बैंक के डूबने की स्थिति में उन्हें इतना ही पैसा मिल सकता है. 

ऐसे में सुरक्षित माने वाले बॉन्डों को भी नुकसान उठा कर बेचने की नौबत आ गई. इस घाटे के बढ़ने का यह नतीजा हुआ कि सिलिकॉन वैली बैंक एक तरह से दिवालिया हो गया. बैंक ने बाहरी निवेशकों से पूंजी जुटाने की कोशिश की लेकिन यह संभव नहीं हुआ. यह बैंकों के डूबने की एक पुरानी समस्या रही है. अब बैंक नियामकों के पास बैंक की संपत्ति को जब्त करने के अलावा और कोई उपाय नहीं है ताकि जो संपत्ति है उसे बचाया जा सके.

अब आगे क्या होगा?

सिलिकॉन वैली बैंक के साथ दो बड़ी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं. अगर इनका समाधान नहीं हुआ तो कई और समस्याएं खड़ी होंगी. सबसे बड़ी समस्या बैंक में जमा बड़ी रकमों की है. संघीय सरकार 2.5 लाख डॉलर तक की रकम पर बीमा मुहैया कराती है लेकिन इसके ऊपर की रकम के लिए कोई बीमा नहीं है.

सिलिकॉन वैली बैंक स्टार्ट अप कंपनियों को वेंचर कैपिटल मुहैया कराता है
सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने से शेयर बाजार में उठा पटकतस्वीर: Noah Berger/AFP/Getty Images

संघीय बीमा एजेंसी फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन का कहना है कि जिन रकमों का बीमा है, वो सोमवार सुबह से मुहैया करा दी जाएंगी. हालांकि सिलिकॉन वैली बैंक की ज्यादातर जमाओं को इससे फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि रकम तय सीमा से ज्यादा होने के कारण वो बीमा के दायरे में नहीं आएंगी. बैंक के ग्राहकों को तुरंत उनका पैसा नहीं मिलेगा और एक प्रक्रिया के तहत धीरे धीरे यह पैसा जारी होगा. ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान और दूसरे खर्चों के लिए हफ्तों इंतजार नहीं कर सकतीं. नतीजा लोगों की छुट्टी.

दूसरी समस्या यह है कि सिलिकॉन वैली बैंक का कोई खरीदार नहीं है. आमतौर पर बैंक नियामक एजेंसियां ऐसी स्थिति में किसी मजबूत बैंक को इस बात के लिए तैयार करती हैं कि वह नाकाम बैंक की संपत्ति खरीद ले. जो कोई भी सिलिकॉन वैली बैंक को खरीदेगा, उसे भी स्टार्टअप कंपनियों के पैसे की समस्या से जूझना होगा.

क्या अमेरिका में दोबारा आर्थिक मंदी की आशंका है?

अभी तक किसी विशेषज्ञ ने इस घटना का बड़ा असर बैंकिंग सेक्टर पर होने की आशंका नहीं जताई है. सिलिकॉन वैली बैंक बड़ा है लेकिन वह ज्यादातर टेक्नोलॉजी और वेंचर कैपिटल से जुड़ी कंपनियों के साथ ही काम करता रहा है. इसने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के उस सेक्टर के लिए काफी काम किया है जिस पर बीते एक साल में बहुत मार पड़ी है.

दूसरे बैंक ना सिर्फ कई तरह के उद्योगों बल्कि कई तरह के ग्राहकों और अलग अलग देशों में काम करते हैं. हाल ही में फेडरल रिजर्व ने बड़े बैंकों का "स्ट्रेस टेस्ट" किया तो पता चला कि उनमें से ज्यादातर रोजगार में बड़ी कमी और आर्थिक मंदी का सामना करने में सक्षम हैं. ऐसे में 2008 जैसी स्थिति की आशंका तो नहीं है लेकिन इस बैंक के डूबने का भी कुछ असर तो आसपास के सेक्टरों में हो सकता है.

एनआर/एडी (एपी)