सिंगापुर में "द कश्मीर फाइल्स" पर बैन
१० मई २०२२फिल्म पर प्रतिबंध लगाते हुए एक बयान में सिंगापुर सरकार ने कहा, "फिल्म में मुसलमानों के भड़काऊ और एक पक्षीय चित्रण और कश्मीर में जारी संघर्ष में हिन्दुओं के उत्पीड़न के चित्रण की वजह से अनुमति नहीं दी जाएगी."
बयान में आगे कहा गया, "इस चित्रण से समुदायों के बीच वैमनस्य फैलने की और हमारे बहुजातीय और बहुधार्मिक समाज में सामाजिक एकजुटता और धार्मिक समरसता के भंग होने की संभावना है."
(पढ़ें: सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने किया नेहरू का जिक्र, भारत सरकार नाखुश)
फिल्म पर विवाद
फिल्म की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी समर्थकों ने तारीफ की है. वह बॉक्स ऑफिस पर हिट भी रही है लेकिन आलोचकों का कहना है कि उसमें तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया है और वह मुस्लिम विरोधी भावनाएं भड़काती है.
सिंगापुर की आबादी 55 लाख है जिनमें मुख्य रूप से चीनी, मलय और भारतीय मूल के लोग शामिल हैं. अंतरजातीय और धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिशों के लिए वहां के कानून के तहत कड़ी सजा दी जाती है.
(पढ़ें: "द कश्मीर फाइल्स" को लेकर उत्साहित बीजेपी, उलझन में कांग्रेस)
170 मिनट की इस फिल्म में 1989 में कश्मीर में आतंकवाद के शुरू होने के बाद वहां कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने और फिर उनके वहां से पलायन को दिखाने की कोशिश की गई है. फिल्म के समर्थकों का मानना है कि वह कश्मीर के इतिहास के एक नजरअंदाज किए हुए पन्ने पर रोशनी डालती है.
ध्रुवीकरण का सबूत
आलोचक फिल्म को उस बढ़ते हुए धार्मिक ध्रुवीकरण का सबूत मानते हैं जिसे, प्रधानमंत्री मोदी के आलोचकों के मुताबिक, उन्होंने 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रोत्साहन दिया.
(पढ़ें: पिछले पांच साल में बॉलीवुड ने भी खूब राजनीति की है)
सिंगापुर में बैन की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्म के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सिंगापुर को दुनिया का सबसे प्रतिगामी देश बताया. अग्निहोत्री ने यह भी दावा किया है कि फिल्म अमेरिका और इस्राएल जैसे देशों में सफलतापूर्वक चल रही है.
कुछ ही महीनों पहले सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली शिन लॉन्ग ने देश की संसद में एक बहस के दौरान कहा था कि भारत की लोकसभा में लगभग आधे सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, जो नेहरू के भारत से अब तक की लोकतांत्रिक राजनीति में हुए पतन का संकेत है.
(पढ़ें: इस्लामिक सहयोग संगठन में इमरान ने उठाया कश्मीर मु्द्दा)
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत में सिंगापुर के राजदूत को तलब किया और उनके प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराई. भारतीय मीडिया ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा कि सिंगापुर के प्रधानमंत्री की टिप्पणी गैरवाजिब थी.
सीके/एए (रॉयटर्स)