परमाणु हथियारों का परीक्षण खत्म करने की मांग
५ जुलाई २०२१जर्मनी और 15 अन्य देशों ने परमाणु सत्ताओं से निरस्त्रीकरण के ठोस कदम उठाने की अपील की है. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में स्टॉकहोम पहलकदमी के सम्मेलन में जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास और दूसरे भागीदारों ने अमेरिका और रूस के बीच हथियार नियंत्रण पर बातचीत की शुरुआत का स्वागत किया है लेकिन साथ ही सभी 9 परमाणु सत्ताओं से ऐसे कदम उठाने की अपील की है जो परमाणु हथियार अप्रसार संधि के तहत उनके कर्तव्यों के अनुकूल हों.
परमाणु हथियार नियंत्रण कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले कहा कि "जहां तनाव और अविश्वास का बोलबाला है" वहां परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ने का खतरा है. जर्मन विदेश मंत्री ने कहा, "पहले के मुकाबले आज परमाणु हथियारों से लैस देशों के बीच हमें ऐसी सच्ची संधियों को बढ़ावा देने की जरूरत है." जर्मनी, स्पेन और स्वीडन समेत 16 देश दुनिया भर में परमाणु हथियारों की संख्या घटाने की पहल कर रहे हैं.
बाइडेन पुतिन वार्ता से उत्साह
जून में स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच पहली शिखर वार्ता हुई. रूस और अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार वाले देश हैं. जेनेवा में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच एटमी हथियारों पर नियंत्रण के लिए बातचीत करने पर सहमति बनी.
वार्ता के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि अमेरिका और रूस "भविष्य में हथियारों पर नियंत्रण और जोखिम कम करने वाले कदम उठाने के लिए जरूरी बुनियाद रखने की कोशिश करेंगे." जेनेवा में हुई वार्ता से उत्साहित जर्मन विदेश मंत्री मास ने कहा, "हमें इसे आधार बनाकर ऐसे स्पष्ट कदम उठाने होंगे जिनसे परमाणु हथियार वाले देश निशस्त्रीकरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी और अपने कर्तव्य को पूरा कर सकें."
परमाणु परीक्षणों का हमेशा के लिए अंत
एक साझा संपादकीय में मास, स्पेन के विदेश मंत्री अरांशा गोंत्सालेस लाया और स्वीडिश विदेश मंत्री आन लिंडे ने परमाणु हथियारों के निशस्त्रीकरण के लिए कदम भी सुझाए. जर्मन अखबार राइनिषे पोस्ट में छपे संपादकीय में तीनों विदेश मंत्रियों ने लिखा, "रणनीतिक और सैद्धांतिक रूप से परमाणु हथियारों की भूमिका को घटाया भी जा सकता है, विवाद के जोखिम को कम करना और दुर्घटनावश परमाणु हथियारों की तैनाती को कम करना और इसके साथ ही परमाणु जखीरे को कम करके नई पीढ़ी की हथियार नियंत्रण संधियों की नींव रखी जा सकती है."
संपादकीय में आगे कहा गया, "हमें एक बार और सबके साथ मिलकर परमाणु हथियारों की टेस्टिंग को खत्म करना होगा, इसके लिए एक विस्तृत न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी को अमल में लाना होगा. साथ ही सैन्य इस्तेमाल वाले नाभिकीय पदार्थों के उत्पादन प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर भी बातचीत करनी होगी, परमाणु निशस्त्रीकरण के कदमों के मूल्यांकन के लिए असरदार और विश्वसनीय क्षमताएं भी बनानी होंगी."
परमाणु हथियार वाले देशों की स्टेटस
फरवरी 2021 में रूस और अमेरिका नई स्टार्ट निशस्त्रीकरण संधि को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए. संधि के तहत दोनों देश अपने लॉन्चरों की सीमा 800 और हमले के लिए तैयार परमाणु हथियारों की संख्या 1,550 से आगे नहीं बढ़ाएंगे. रूस और अमेरिका के बीच फिलहाल हथियारों पर नियंत्रण की सबसे बड़ी संधि न्यू स्टार्ट ट्रीटी ही है.
2021 की शुरुआत तक अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के पास करीब 13,080 परमाणु हथियार होने का अनुमान लगाया गया. स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 की तुलना में परमाणु हथियारों की संख्या में 320 की कमी जरूर आई लेकिन कई नए देश भी गुपचुप परमाणु हथियार विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं. ईरान, सीरिया और लीबिया जैसे देशों पर ऐसी तैयारियों के आरोप लग चुके हैं.
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स, डीपीए)