सबसे ज्यादा प्लास्टिक महासागरों में ले जाने वाली नदियां
विकसित देशों के संगठन ओईसीडी की एक रिपोर्ट बताती है कि अगर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो 2060 तक प्लास्टिक का कचरा लगभग दोगुना हो सकता है. सबसे ज्यादा प्लास्टिक समुद्र में पहुंचाने वाली 50 नदियों में से 44 एशिया में हैं.
प्लास्टिक प्रदूषण में नदियों की भूमिका
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की रिपोर्ट कहती है कि केवल 1,000 नदियां महासागरों में जाने वाले 80 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि बाकी कचरा 30,000 अन्य नदियों से आता है.
एशिया की नदियां सबसे ऊपर
महासागरों में प्लास्टिक पहुंचाने वाली 50 प्रमुख नदियों में से 44 एशिया में हैं, जहां जनसंख्या घनत्व और कचरा प्रबंधन की कमी इसका मुख्य कारण है. हजारों द्वीपों का देश फिलीपींस सबसे ज्यादा प्लास्टिक समुद्र में पहुंचाता है. उसकी पासिज नदी सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा समुद्र में पहुंचाने वाली नदी है.
भारत की उल्हास नदी टॉप 5 में
फिलीपींस और मलेशिया की नदियों के साथ, भारत की उल्हास नदी को महासागरों में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा ले जाने वाली टॉप 5 नदियों में शामिल किया गया है. महाराष्ट्र के ठाणे, रायगढ़ और पुणे जिलों से होकर बहने वाली उल्हास नदी पश्चिमी घाट पर अरब सागर में मिलती है.
जमा हुआ प्लास्टिक कचरा
रिपोर्ट बताती है कि 1950 से 2019 के बीच 14 करोड़ टन प्लास्टिक जलाशयों में जमा हो चुका है, जिसमें से 22 फीसदी महासागरों में और 78 फीसदी ताजे पानी के स्रोतों में पाया जाता है.
प्रदूषण के स्रोत
प्लास्टिक का खुले में जलाना और अवैध डंपिंग पानी में प्लास्टिक प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. इनमें बोतलें और निर्माण क्षेत्र में उपयोग होने वाला प्लास्टिक मुख्य रूप से नदियों और झीलों में डूब जाता है.
माइक्रोप्लास्टिक का खतरा
बड़े प्लास्टिक टुकड़े धीरे-धीरे छोटे टुकड़ों में टूटकर माइक्रोप्लास्टिक बन जाते हैं, जिनके जलीय जीवों द्वारा खाए जाने की अधिक संभावना होती है. एक अध्ययन के मुताबिक 2.76 कण प्रति घन मीटर माइक्रोप्लास्टिक महासागरों के पानी में मौजूद है.
प्लास्टिक के इस्तेमाल में वृद्धि
अनुमान है कि 2060 तक वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल 123.1 करोड़ टन प्रति वर्ष तक पहुंच सकता है, जिसमें सबसे अधिक योगदान सब-सहारा अफ्रीका, चीन, भारत और अन्य विकासशील एशियाई देशों का होगा. वीके/एए (एएफपी)