1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिअफ्रीका

बुरकिना फासो में तख्तापलट, संविधान रद्द

२५ जनवरी २०२२

माली और गिनी के बाद बुरकिना फासो तीसरा पश्चिम अफ्रीकी देश है जिसमें बीते 18 महीनों में तख्तापलट हुआ है. ये देश अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के हमलों से जूझ रहा है.

https://p.dw.com/p/462Zz
बुरकीना फासो में सेना
बुरकीना फासो में सेनातस्वीर: AP/picture alliance

पश्चिम अफ्रीकी देश बुरकिना फासो में तख्तापलट हो गया है. तख्तापलट करने वाले सैनिकों ने राष्ट्रीय चैनल पर सोमवार को इसकी घोषणा की. राजधानी औगाडौगू के कुछ इलाकों में रविवार से ही गोलीबारी हो रही थी. लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए राष्ट्रपति रॉक मार्क क्रिश्चियन कोबोगे को तख्तापलट के बाद से किसी अज्ञात जगह पर रखने का दावा किया जा रहा है. माली और गिनी के बाद बीते डेढ़ साल में तख्तापलट देखने वाला ये तीसरा पश्चिम अफ्रीकी देश है. करीब 2 करोड़ की आबादी वाले बुरकिना फासो को कुछ समय पहले तक स्थिर देश माना जाता था. लेकिन साल 2016 से ये चरमपंथी इस्लामिक जिहादियों से जूझ रहा है. इसे सैनिकों ने तख्तापलट करने की एक वजह की तरह पेश किया है.

तख्तापलट के बाद देश को संबोधित करते सैन्य अधिकारी
तख्तापलट के बाद देश को संबोधित करते सैन्य अधिकारीतस्वीर: Radio Télévision du Burkina/AFP

तख्तापलट की घोषणा करते हुए कैप्टन सिडसो केबर उडारगौ ने कहा, राष्ट्रपति कोबोगे के शासन में सुरक्षा के हालात बिगड़ रहे थे और वो इन्हें संभालने में नाकाम रहे. इसलिए "देशभक्तों के आंदोलन ने ये जिम्मेदारियां संभाल लीं." सेना ने दावा किया है कि ये तख्तापलट बिना किसी हिंसा के हुआ है. गिरफ्त में लिए गए (राष्ट्रपति समेत) लोगों की गरिमा का सम्मान करते हुए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है. न्यूज एजेंसी एपी से पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर तख्तापलट करने वाले एक सैनिक ने कहा कि राष्ट्रपति कोबोगे ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, कोबोगे की राजनैतिक पार्टी ने दावा किया है कि तख्तापलट करने वाले सैनिकों ने राष्ट्रपति समेत कई मंत्रियों की हत्या कर दी है. हथियारबंद सैनिकों से घिरे राष्ट्रपति भवन से ये बयान जारी हुआ है.

संविधान रद्द, सड़कों पर जश्न

नए सैन्य शासन ने कहा है कि उन्होंने बुरकिना फासो का संविधान रद्द कर दिया है और संसद भंग कर दी है. तख्तापलट के वक्त देश की सीमाएं बंद थीं. इसके अलावा रात 9 बजे से 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया था. प्रवक्ता उडारगौ ने कहा कि देश के नए नेता जल्द ही चुनावों के लिए तारीखों का एलान करेंगे. उडारगौ ने जो संदेश पढ़ा, उस पर देश के संभावित सैन्य नेता लेफ्टिनेंट कर्नल पॉल हेनरी सेंडागो डामीबा के हस्ताक्षर थे. डामीबा सरकारी चैनल पर हुई तख्तापलट की घोषणा के वक्त प्रवक्ता के साथ मौजूद थे, लेकिन बोले कुछ नहीं.

सेना का समर्थन करते लोग
सेना का समर्थन करते लोग तस्वीर: OLYMPIA DE MAISMONT/AFP/Getty Images

तख्तापलट की घोषणा होने के बाद लोग सड़कों पर आ गए और जश्न मनाने लगे. एक प्रदर्शनकारी मेनुअल सिप ने एपी से कहा कि "ये बुरकिना फासो के लिए दोबारा एक होने का मौका है. पिछली सरकार ने हमें डुबो दिया था. रोज लोग मर रहे हैं, सैनिक मारे जा रहे हैं. हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं. सेना को ये पहले ही कर देना चाहिए था." हालांकि सेना ने सड़कों पर जश्न मना रहे लोगों को आंसू गैस का इस्तेमाल करके भगा दिया.

पहले भी हुआ है तख्तापलट

कोबोगे साल 2015 में बुरकिना फासो के राष्ट्रपति बने थे. नवंबर 2020 में वो दोबारा चुने गए थे. लेकिन जिहादी हिंसा पर नकेल कसने में नाकाम रहने की वजह से उनके खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा था. बीते 5 सालों में अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के हमलों में करीब दो हजार लोग मारे गए हैं और लगभग 15 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. चरमपंथी हमलों में सेना को काफी नुकसान हुआ है. अकेले दिसंबर 2021 में 59 जवानों की मौत हुई है. तख्तापलट करने वाले सैनिकों का दावा है कि सरकार सेना के साथ संपर्क खो चुकी थी. घायल सैनिकों का बेहतर इलाज और मृतक सैनिकों के परिवारों का ख्याल रखना उनकी मुख्य मांग थी.

अफ्रीका की सेनाओं की खराब प्रतिष्ठा का मूल्यांकन

सूडान में सेना ने किया तख्तापलट, दुनियाभर में आलोचना

ये पहली बार नहीं है जब बुरकिना फासो में तख्तापलट हुआ हो. कोबोगे से पहले देश के राष्ट्रपति रहे ब्लैस कुंपोरे भी साल 1987 में ताकत के बल पर सत्ता में आए थे. भारी विरोध के बाद उनका 27 साल का कार्यकाल 2014 में समाप्त हुआ. अगले ही साल 2015 में कुंपोरे समर्थक सैनिकों ने अस्थायी सरकार का तख्तापलट करने की कोशिश की थी, जिसे आर्मी ने किसी तरह कुचल दिया था.

संयुक्त राष्ट्र ने बुरकिना फासो की स्थिति पर चिंता जताई है. महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने तख्तापलट करने वाले नेताओं से हथियार डालने की बात कही है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय और पश्चिमी अफ्रीका के क्षेत्रीय संघ ने बुरकिना फासो की स्थिति को बड़ी चिंता बताया है. बुरकिना फासो के पड़ोसी देशों माली और गिनी में भी इसी तरह से तख्तापलट हुए हैं. वहां भी चुनाव की बात कही गई थी, लेकिन काफी समय बीतने के बाद भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कोई निशान नहीं दिख रहे हैं.

आरएस/ओएसजे (एपी, एएफपी)