दक्षिण अफ्रीका में बिजली की कमी से आई राष्ट्रीय आपदा
१० फ़रवरी २०२३दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने 9 फरवरी को अपने सालाना भाषण में कहा, "हम राष्ट्रीय आपदा की घोषणा कर रहे हैं, ताकि बिजली संकट और इसके असर से निपटा जा सके." राष्ट्रपति ने कहा कि असाधारण परिस्थितियों में असाधारण फैसले लेने पड़ते हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार एक विशेष मंत्री नियुक्त करेगी, जो बिजली के लिए जिम्मेदार होगा. रामाफोसा ने कहा, "ऊर्जा संकट हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए अस्तित्व का संकट बन गया है."
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बहुत गंभीर है बिजली संकट
दक्षिण अफ्रीका अपने सबसे गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है. कई सालों से कायम यह समस्या हालिया महीनों में चरम पर पहुंच गई है. बिजली आपूर्ति का नेटवर्क सरकारी ऊर्जा कंपनी एस्कोम के हाथों में है, लेकिन उसपर काफी कर्ज है. आधारभूत ढांचा मुख्य तौर पर कोयले पर आधारित है. एस्कोम बिजली की मांग से रफ्तार बिठाने में नाकाम रहा है.
राष्ट्रीय आपदा की घोषणा से अतिरिक्त फंड और संसाधन मिल सकेंगे. आशा है कि इससे संकट दूर करने में मदद मिलेगी. रामाफोसा पहले ही यह घोषणा करना चाहते थे, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसमें देरी हुई. 13 महीने पहले आगजनी में दक्षिण अफ्रीकी संसद क्षतिग्रस्त हो गई थी. अबतक उसकी मरम्मत नहीं हो सकी है. ऐसे में केप टाउन के सिटी हॉल में संसद बैठ रही है.
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राष्ट्रपति के प्रस्तावित भाषण पर विपक्ष के विरोध के कारण यहां माहौल काफी गरम रहा. रामाफोसा जब भाषण देने वाले थे, उस समय विपक्षी इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स (ईएफएफ) मंच पर पहुंच गए. सुरक्षाबलों और पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उन्हें वहां से हटाया.
बिजली संकट अकेली चुनौती नहीं
दक्षिण अफ्रीका में अर्थव्यवस्था बदहाल है. इसके अलावा बढ़ते अपराध, बेरोजगारी दर, बेकाबू होती महंगाई और पानी की कमी से भी लोग बहुत परेशान हैं. मगर बिजली संकट लोगों की सबसे बड़ी शिकायत है. देश की करीब छह करोड़ आबादी को हर दिन करीब 12 घंटे बिना बिजली के रहना पड़ रहा है.
मांग और आपूर्ति के बीच बड़े फासले को देखते हुए बड़े स्तर पर लोडशेडिंग की जा रही है. बिजली संकट के कारण विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. ऐसे ही एक प्रदर्शन में शामिल एक प्रदर्शनकारी डीना बोश ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "हमारा देश पहले से ही आपदा की स्थिति में है. हर चीज तबाह है."
2024 में चुनाव होना है
रामाफोसा पांच साल पहले सुधार के वायदे के साथ सत्ता में आए थे. पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा का कार्यकाल भ्रष्टाचार और स्कैंडलों के कारण चर्चित रहा था. ऐसे में रामाफोसा ने जनता को "नई सुबह" लाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अर्थव्यवस्था के अलावा और भी कई मोर्चों पर सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं बताया जा रहा है. खासतौर पर बिजली की रिकॉर्ड कमी के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है.
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अनुमान है कि पिछले साल की 2.5 फीसदी विकास दर के मुकाबले इस साल रफ्तार 0.3 फीसदी के करीब होगी. इसी हफ्ते एक मंत्री ने अनुमान जताया था कि बिजली संकट के कारण देश को हर दिन करीब 57 मिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस संकट के कारण रामाफोसा का राजनैतिक भविष्य भी प्रभावित हुआ है.
2024 में यहां आम चुनाव होने हैं. जानकारों के मुताबिक, दोबारा सत्ता में आने की रामाफोसा की संभावनाएं फिलहाल बहुत मजबूत नहीं हैं. दक्षिण अफ्रीकी थिंक टैंक "सेंटर फॉर डेवेलपमेंट एंड एंटरप्राइज" के ऐन बर्नस्टाइन कहते हैं, "दुखद है कि मौजूदा राष्ट्रपति के सुधारक होने की छवि अब विश्वसनीय नहीं रही, बल्कि असल में यह छवि एक मायाजाल है."
एसएम/आरपी (एएफपी)