परेशान हैं श्रीलंका के कैंसर मरीज
पिछले साल श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया था, जो अब तक जारी है. देश के कैंसर मरीज अब भी इलाज के लिए भटक रहे हैं.
कैंसर मरीजों का बुरा हाल
पिछले साल जब श्रीलंका आर्थिक संकट से घिर गया तब कई कैंसर के मरीज अपना इलाज कराने में असमर्थ हो गए. एक ओर आर्थिक संकट और दूसरी ओर राजनीतिक उथल-पुथल ने देश में अशांति पैदा कर दी. इस बीच कैंसर के मरीज इलाज के लिए बड़े अस्पतालों तक नहीं पहुंच पा रहे थे. उनकी मुश्किल अब भी जारी है.
"सही इलाज होता तो नहीं फैलता कैंसर"
श्रीलंका के छोटे से शहर महारग्मा के 32 साल के किसान प्रियंथा कुमारसिंघे कैंसर से पीड़ित हैं. साल 2021 में उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो गया. जिसके बाद उन्होंने 2022 में कोलंबो के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल में इलाज कराना शुरू किया, लेकिन उसी दौरान देश की स्थिति खराब हो गई और वे इलाज के लिए 155 किलोमीटर का सफर कर नहीं पाए. वे बताते हैं कि अगर उनका बेहतर उपचार होता तो शायद फेफड़ों का कैंसर कम हो जाता.
इलाज पर आर्थिक संकट का असर
कुमारसिंघे की तरह सैकड़ों कैंसर मरीज हैं जिनका इलाज आर्थिक संकट के कारण रुक गया है. 1948 में अंग्रेजी शासन से आजादी के बाद से अब तक श्रीलंका के ऐसे बुरे दिन कभी नहीं आए थे. अस्पतालों में दवा की कमी हो गई है जो अब तक सामान्य नहीं पाई है.
अस्पतालों में दवाओं की किल्लत
गवर्नमेंट मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता वासन रत्नासिंघम ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "सभी अस्पतालों को दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक कि पेरासिटामोल, विटामिन सी और सलाइन जैसी बुनियादी चीजों को पाने में भी कठिनाई हो रही है." उन्होंने यह भी बताया कि कैंसर और आखों के अस्पताल दान से चल रहे हैं.
कोविड की मार पड़ी भारी
कोविड महामारी के चलते पर्यटन पर निर्भर श्रीलंकाई अर्थव्यवथा की हालत और लचर हो गई. हाल यह हुआ कि देश के पास तेल, भोजन, गैस और दवा के लिए पैसे नहीं रहे. लोग महंगाई से भी परेशान हैं और इलाज के लिए पैसा जुटा नहीं पा रहे हैं.