1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

श्रीलंकाई शरणार्थी पहुंच रहे तमिलनाडु

चारु कार्तिकेय
२३ मार्च २०२२

श्रीलंका का आर्थिक संकट अब वहां के लोगों के लिए इतना असहनीय हो गया है कि कई लोग देश छोड़ कर समुद्र के रास्ते भारत आ रहे हैं. 16 श्रीलंकाई तमिल नावों में तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंच गए हैं.

https://p.dw.com/p/48tpc
श्रीलंका
श्रीलंकातस्वीर: Dinuka Liyanawatte/REUTERS

रामनाथपुरम के जिला कलेक्टर शंकर लाल कुमावत ने डीडब्ल्यू संवाददाता अपर्णा राममूर्ति को बताया कि 22 मार्च को कुल 16 लोग नावों में तमिलनाडु तट पर पहुंचे और 23 मार्च को 31 और लोगों के आने की उम्मीद है.

कुमावत ने यह भी बताया कि शरणार्थियों को अभी समुद्री पुलिस की निगरानी में रखा गया है क्योंकि इस समय उन्हें अवैध प्रवासी माना जा रहा है. उनके पास उनके पासपोर्ट नहीं हैं. लेकिन कुमावत ने कहा कि मानवीय आधार पर जिला प्रशासन उनके लिए प्रबंध करने के लिए तैयार है.

हजारों लोग आ सकते हैं

(पढ़ें: आर्थिक संकट से जूझते श्रीलंका ने मांगी आईएमएफ से मदद)

अन्य मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि मंगलवार को श्रीलंका के जाफना और मन्नार इलाकों से ये लोग समुद्र के रास्ते दो जत्थों में तमिलनाडु पहुंचे. सबसे पहले जत्थे में तीन बच्चों समेत छह शरणार्थी थे. सबसे छोटा बच्चा चार महीने का है.

श्रीलंका
कोलंबो में किरासन तेल के लिए कतारों में लगे लोगों के बीच झगड़ातस्वीर: Dinuka Liyanawatte/REUTERS

वो लोग रामेश्वरम के नजदीक एक द्वीप पर फंस गए थे जहां से भारतीय कोस्ट गार्ड ने उन्हें निकाल लिया. दूसरे जत्थे में 10 और लोग मंगलवार देर रात रामेश्वरम पहुंचे.

मीडिया रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि तमिलनाडु में खुफिया अधिकारियों को जानकारी मिली है कि आने वाले हफ्तों में करीब 2,000 शरणार्थी श्रीलंका से तमिलनाडु आ सकते हैं.

(पढ़ें: तकनीकी रूप से दीवालिया हुए श्रीलंका ने चीन से लगाई मदद की गुहार)

तमिलनाडु सरकार आने वाली स्थिति से निपटने के लिए क्या तैयारियां कर रही है, यह अभी सामने नहीं आया है. शरणार्थियों ने बताया कि उनके अपना देश छोड़ कर भारत आ जाने का कारण श्रीलंका का गंभीर आर्थिक संकट है.

भारी संकट

पर्यटन पर निर्भर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर पहले ही कोविड के दौरान पर्यटन बंद रहने से मार पड़ी थी. अब देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई जिसकी वजह से सरकार आम जरूरत के सामान के आयात की कीमत नहीं चुका पा रही है. इस वजह से दवाओं, ईंधन, दूध का पाउडर, रसोई गैस आदि जैसी चीजों की भारी कमी हो गई है.

श्रीलंका
कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर विपक्ष का प्रदर्शनतस्वीर: Dinuka Liyanawatte/REUTERS

जितना भंडार उपलब्ध है उसके दाम छप्पर फाड़ कर निकल गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक श्रीलंका में चावल और चीनी के दाम लगभग 300 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं और आने वाले दिनों में 500 रुपए किलो तक पहुंच सकते हैं. दूध का पाउडर करीब 1600 रुपए किलो बिक रहा है.

ईंधन की कमी की वजह से बिजली संयंत्र भी ठीक से नहीं चल पा रहे हैं और रोज बिजली कट रही है. पेट्रोल पंपों और किरासन तेल की दुकानों के बार लंबी लंबी कतारें लग रही हैं जिनमें लोगों को घंटों खड़े रहना पड़ रहा है.

(पढ़ें: सिर्फ एक परिवार के जिम्मे पूरा श्रीलंका, ऐसा कैसे हुआ)

इसी सप्ताह इन्हीं कतारों में खड़े खड़े कम से कम तीन बुजुर्गों की मौत हो गई, जिसके बाद सरकार ने पेट्रोल पंपों और किरासन की दुकानों पर सेना के सिपाहियों को तैनात कर दिया है. इन्हीं हालत से परेशान हो कर जो लोग कुछ रकम जुटा कर तस्करों को देने में सफल हो पा रहे हैं, तस्कर उन्हें भारत भेज दे रहे हैं.

श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे पिछले हफ्ते ही भारत आए थे और उनकी यात्रा के दौरान भारत ने उनके देश को एक अरब डॉलर का कर्ज देने की घोषणा की. श्रीलंका सरकार ने आईएमएफ से भी मदद की गुहार लगाई है.

(एपी, एएफपी, रॉयटर्स से जानकारी के साथ)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी