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सैलानी सफेद सारस अब स्पेन के स्थायी निवासी हैं

२२ जुलाई २०२२

हजारों साल तक महासागर पार कर यूरोप से अफ्रीका जाने वाले सारसों ने अब अपनी यात्रा बंद कर दी है. अब वे स्पेन के कूड़ेदानों में कचरा चुग रहे हैं. वैज्ञानिक उनके इस व्यवहार में इंसान के लिए चेतावनी देख रहे हैं.

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सारस
सारसतस्वीर: Emin Sansar/AA/picture alliance

स्पेन की राजधानी मैड्रिड से 30 किलोमीटर दूर कूड़े के बड़े ढेर (लैंडफिल) में हजारों सफेद सारस, कचरे की गाड़ी का इंतजार करते हैं. जैसे ही कोई ट्रक कचरा डंप करने पहुंचता है, वैसे ही सारसों में होड़ सी छिड़ जाती है. नया कचरा यानि नई खुराक.

लंबे पैरों और सफेद पंखों वाले ये सारस अब तक अपनी लंबी यात्रा के लिए मशहूर थे. सर्दियों से ठीक पहले वे अपने झुंड के साथ डेनमार्क, नीदरलैंड्स और जर्मनी से अफ्रीका के लिए उड़ान भरते थे. स्पेन में तो वे बस कुछ दिन आराम के लिए रुका करते थे. वहां पर्याप्त ताकत और हिम्मत जुटाने के बाद वे जिब्राल्टर की खाड़ी के ऊपर नॉन स्टॉप उड़ान भरते थे और अफ्रीका पहुंचकर ही दम लेते थे.

गर्मियों में डेनमार्क, नीदरलैंड्स और जर्मनी आते थे सफेद सारस
गर्मियों में डेनमार्क, नीदरलैंड्स और जर्मनी आते थे सफेद सारसतस्वीर: Vladyslav Musiienko/REUTERS

अब मैड्रिड के लैंडफिल में उन्हें पर्याप्त भोजन और गर्माहट मिल रही है. पहले कुछ सारसों ने अफ्रीका जाना बंद किया, फिर धीरे धीरे ये संख्या बढ़ती गई. मैड्रिड के लैंडफिल में सफाई का काम करने वाले कार्लोस पिंटो कहते हैं, "अब वे इस प्राकृतिक दृश्य का हिस्सा बन चुके हैं."

मैड्रिड के बाहर मौजूद लैंडफिल में हर दिन 200 से 300 टन बर्बाद खाना आता है. लैंडफिल अलकाला दे हेनारेस कस्बे के पास है. कस्बे की पशु चिकित्सक अलमुडेना सोरिआनो कहती हैं, "जहां देखो वहां सारस ही दिखते हैं." कस्बे में हर वक्त सारसों की आवाज सुनाई पड़ती है. 1970 के रिकॉर्ड में वहां सारसों के सिर्फ 10 घोंसले मिले थे. 2021 में यह संख्या 109 दर्ज की गई. सोरिआनो के मुताबिक, "लैंडफिल सारसों के लिए एक बुफे सा बन गया है," जहां तरह तरह का खाना उन्हें मिल जाता है.

सोरिआनो का अनुमान है कि करीब 70 फीसदी सारसों ने अफ्रीका जाना बंद कर दिया है. वजह है, जब गुनगुना मौसम और खुराक आराम से मिले तो जोखिम क्यों लिया जाए. उड़ान के दौरान भले ही संमदर के ऊपर 14 किलोमीटर का सफर करना हो, लेकिन इस दौरान थकान से कई सारस मारे जाते हैं. अटलांटिक महासागर और भूमध्यसागर को जोड़ने वाली जिब्राल्टर की खाड़ी में हवा बेहद तेज चलती है. कई सारस इसके कारण बुरी तरह थक जाते हैं.

जिब्राल्टर की खाड़ी के ऊपर उड़ान भरते सारस
जिब्राल्टर की खाड़ी के ऊपर उड़ान भरते सारसतस्वीर: M. Varesvuo/WILDLIFE/picture alliance

स्पेन के दूसरे लैंडिफिल्स में भी ऐसा ही नजारा है. कई सारसों ने तो कचरे के ढेरों के पास ही घोंसला बना लिया है और साल भर वहीं पसरे रहते हैं. गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) एसईओ बर्ड लाइफ के मुताबिक 2020 की गणना में उन्हें स्पेन में 36,217 सफेद सारस मिले.

एसईओ बर्ल्डलाइफ के पंक्षी विज्ञानी ब्लास मोलिना के मुताबिक नन्हे सारसों में अब भी अफ्रीका जाने का सहज ज्ञान है, लेकिन मां बाप के बिना वे अकेले इतनी लंबी यात्रा नहीं कर सकते. इसका असर सिर्फ अफ्रीका में नहीं बल्कि यूरोप में भी दिख रहा है. कई सारसों ने अब गर्मियों में डेनमार्क, जर्मनी और नीदरलैंड्स जाना भी बंद कर दिया है. वे स्थायी रूप से स्पेनवासी हो गए हैं.

वैज्ञानिकों को मानना है कि भोजन की उपलब्धता के साथ साथ जलवायु परिवर्तन भी सारसों के व्यवहार को प्रभावित कर रहा है. अफ्रीका में बिज्जू, लोमड़ी, सियार, जंगली बिल्ली, बाज, चीते, मरमच्छ और तेंदुए सारसों को खूब शिकार बनाते हैं. लेकिन अगर सारस वहां जाएंगे ही नहीं तो आहार चक्र बिखरने लगेगा. दूसरी तरफ स्पेन में सांप, छिपकलियां और छोटे जलीय जीव घटने की आशंका है. सारसों के चक्कर में शिकारी जीवों की कुछ नई प्रजातियां स्पेन पहुंचने लगेंगी. तीसरी छोर पर डेनमार्क, जर्मनी और नीदरलैंड्स में सांप, केंचुओं, चूहों और जलीय जीवों की संख्या बढ़ने लगेगी.

अफ्रीका में सारसों पर निर्भर हैं कई जीव
अफ्रीका में सारसों पर निर्भर हैं कई जीवतस्वीर: Photoshot/picture alliance

इन बदलावों का असर हर जगह इंसानों समेत पूरे इकोसिस्टम पर पड़ेगा.  ब्लास मोलिना कहते हैं कि इंसान जैवविविधता को किस कदर  प्रभावित कर सकता है, सफेद सारस इसका सबूत हैं. स्थानीय प्रशासन अब यह कोशिश कर रहा है कि सारस कम से कम प्लास्टिक खाएं. उनकी संख्या नियंत्रित करने की कोशिश भी की जा रही है.

ओएसजे/ एनआर (एएफपी)