सूरज बनने जा रहा है ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत
१९ अक्टूबर २०२३धरती के लिए सूरज वैसे भी ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है. इसकी रोशनी और ऊष्मा धरती के कण कण और उनमें रहने वाले जीवों को प्रभावित करती हैं. इंसान ने तकनीक के विकास के साथ इससे विद्युत ऊर्जा हासिल करने का भी तरीका निकाल लिया है और उसका इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है.
अब यही ऊर्जा धरती पर ऊर्जा का मुख्य संसाधन बनने जा रही है. फिलहाल पूरी दुनिया में इस्तेमाल हो रही ऊर्जा का करीब 4.5 फीसदी हिस्सा सौर ऊर्जा से मिल रहा है. बहुत तेजी से यह तस्वीर बदल रही है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आयोग के मुताबिक 2027 तक सौर ऊर्जा पूरी दुनिया में कोयला जला कर पैदा होने वाली ऊर्जा से आगे निकल जाएगी.
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किफायती तकनीक से होगा बदलाव
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र संभवतः बदलाव के उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां सौर तकनीक का इस्तेमाल और इसे किफायती बनाने की कंपनियों की कोशिश के बीच का सुदृढ़ पहिया तेजी से घूमने लगा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एक्स्टर और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के रिसर्चरों ने यह स्टडी की है. एक्स्टर यूनिवर्सीटी के ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टिट्यूट के डॉ फेमके निज्से इस टीम की प्रमुख सदस्य हैं. निज्से का कहना है, "अक्षय ऊर्जा की प्रगति का मतलब है कि जीवाश्म ईंधन के दबदबे वाले आकलन अब वास्तविक नहीं रह गए हैं."
यह धारणा बहुत तेजी से मजबूत हो रही है कि अक्षय ऊर्जा की कीमतों में नाटकीय कटौती विकासशील देशों में कार्बन उत्सर्जन की कटौती में बड़ी भूमिका निभा सकती है. सौर ऊर्जा का रास्ता किसी महत्वाकांक्षी जलवायुनीति का समर्थन लिए बगैर भी ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत बनने जा रहा है. हालांकि रिसर्चर इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि बाधाएं अब भी इसे प्रभावित कर सकती हैं.
सौर ऊर्जा की मदद से दुनिया की सैर
सौर ऊर्जा के मार्ग की बाधाएं
रिसर्चरों ने चार ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जो सौर ऊर्जा के प्रभुत्व की राह में बाधा बन सकते हैं. इनमें शामिल हैं स्थिर पावर ग्रिड की उपलब्धता, विकासशील देशों में सोलर फाइनेंसिंग, सप्लाई चेन की क्षमता और राजनीतिक प्रतिरोध, खास तौर से उन इलाकों में जहां जीवाश्म ईंधन उद्योग पर नौकरियां निर्भर हैं.
रिसर्चरों का कहना है कि सरकारों को सौर ऊर्जा की तरफ जाने पर ध्यान देने की बजाय इन चारों बाधाओं को दूर करने पर जोर देना चाहिए. जब सूरज नहीं चमकता है उन दिनों में ऊर्जा की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करना भी इनमें शामिल है. इसके लिए पवन ऊर्जा और ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग किया जाना चाहिए.
अफ्रीकी देशों को खासतौर से सौर ऊर्जा की तरफ जाने के लिए धन की जरूरत है. इसके अलावा लिथियम और कॉपर जैसे जरूरी कच्चे माल की सप्लाई चेन को भी मजबूत करना होगा. इनकी जरूरत बैटरी बनाने के लिए होती है.
जीवाश्म ईंधन और उनसे जुड़े उद्योगों पर दुनिया भर में करीब 1.3 करोड़ लोगों की जीविका निर्भर है. इनके रोजगार छिनने का जो असर होगा उसके लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अब सौर ऊर्जा के विकास का वह बिंदु आ गया है जहां वह आगे बढ़ने का रास्ता खुद ही तैयार करेगी.
एनआर/सीके (डीपीए)