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सूरज बनने जा रहा है ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत

१९ अक्टूबर २०२३

2050 तक सूरज दुनिया में ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत होगा. वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च रिपोर्ट में यह बात कही है. सौर ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल और इसकी अनंत संभावनाओं के विकास ने इसे सभी ऊर्जा स्रोतों से आगे पहुंचा दिया है.

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Satellite Solar Orbiter vor der Sonne
तस्वीर: NASA/AP/picture alliance

धरती के लिए सूरज वैसे भी ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है. इसकी रोशनी और ऊष्मा धरती के कण कण और उनमें रहने वाले जीवों को प्रभावित करती हैं. इंसान ने तकनीक के विकास के साथ इससे विद्युत ऊर्जा हासिल करने का भी तरीका निकाल लिया है और उसका इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है.

अब यही ऊर्जा धरती पर ऊर्जा का मुख्य संसाधन बनने जा रही है. फिलहाल पूरी दुनिया में इस्तेमाल हो रही ऊर्जा का करीब 4.5 फीसदी हिस्सा सौर ऊर्जा से मिल रहा है. बहुत तेजी से यह तस्वीर बदल रही है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आयोग के मुताबिक 2027 तक सौर ऊर्जा पूरी दुनिया में कोयला जला कर पैदा होने वाली ऊर्जा से आगे निकल जाएगी.

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किफायती तकनीक से होगा बदलाव

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र संभवतः बदलाव के उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां सौर तकनीक का इस्तेमाल और इसे किफायती बनाने की कंपनियों की कोशिश के बीच का सुदृढ़ पहिया तेजी से घूमने लगा है. 

दुनिया के कोने कोने में सोलर पार्क बनाए जा रहे हैं
अल्बानिया का सोलर पार्कतस्वीर: ADNAN BECI/AFP

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्स्टर और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के रिसर्चरों ने यह स्टडी की है. एक्स्टर यूनिवर्सीटी के ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टिट्यूट के डॉ फेमके निज्से इस टीम की प्रमुख सदस्य हैं. निज्से का कहना है, "अक्षय ऊर्जा की प्रगति का मतलब है कि जीवाश्म ईंधन के दबदबे वाले आकलन अब वास्तविक नहीं रह गए हैं."

यह धारणा बहुत तेजी से मजबूत हो रही है कि अक्षय ऊर्जा की कीमतों में नाटकीय कटौती विकासशील देशों में कार्बन उत्सर्जन की कटौती में बड़ी भूमिका निभा सकती है. सौर ऊर्जा का रास्ता किसी महत्वाकांक्षी जलवायुनीति का समर्थन लिए बगैर भी ऊर्जा का सबसे अहम स्रोत बनने जा रहा है. हालांकि रिसर्चर इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि बाधाएं अब भी इसे प्रभावित कर सकती हैं.

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सौर ऊर्जा के मार्ग की बाधाएं

रिसर्चरों ने चार ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जो सौर ऊर्जा के प्रभुत्व की राह में बाधा बन सकते हैं. इनमें शामिल हैं स्थिर पावर ग्रिड की उपलब्धता, विकासशील देशों में सोलर फाइनेंसिंग, सप्लाई चेन की क्षमता और राजनीतिक प्रतिरोध, खास तौर से उन इलाकों में जहां जीवाश्म ईंधन उद्योग पर नौकरियां निर्भर हैं.

सौर ऊर्जा की किफायती तकनीक से बहुत ज्यादा असर पड़ेगा
सौलर पैनल सिस्टम का निर्माणतस्वीर: Terelyu/Pond5 Images/IMAGO

रिसर्चरों का कहना है कि सरकारों को सौर ऊर्जा की तरफ जाने पर ध्यान देने की बजाय इन चारों बाधाओं को दूर करने पर जोर देना चाहिए. जब सूरज नहीं चमकता है उन दिनों में ऊर्जा की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करना भी इनमें शामिल है. इसके लिए पवन ऊर्जा और ट्रांसमिशन लाइन का उपयोग किया जाना चाहिए.

अफ्रीकी देशों को खासतौर से सौर ऊर्जा की तरफ जाने के लिए धन की जरूरत है. इसके अलावा लिथियम और कॉपर जैसे जरूरी कच्चे माल की सप्लाई चेन को भी मजबूत करना होगा. इनकी जरूरत बैटरी बनाने के लिए होती है.

जीवाश्म ईंधन और उनसे जुड़े उद्योगों पर दुनिया भर में करीब 1.3 करोड़ लोगों की जीविका निर्भर है. इनके रोजगार छिनने का जो असर होगा उसके लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अब सौर ऊर्जा के विकास का वह बिंदु आ गया है जहां वह आगे बढ़ने का रास्ता खुद ही तैयार करेगी.

एनआर/सीके (डीपीए)

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