स्वीडन: हमले की आशंका के बीच कुरान जलाने वाली रैली हुई बैन
९ फ़रवरी २०२३हाल ही में हुई कुरान जलाने की घटना समेत कई घटनाक्रमों के चलते स्वीडन हिंसक इस्लामिक चरमपंथियों के निशाने पर आ गया है. यह चेतावनी स्वीडन की घरेलू सुरक्षा एजेंसी एसएपीओ ने 8 फरवरी को जारी अपने एक बयान में कही. एजेंसी ने अंदेशा जताया कि बीते हफ्तों में स्वीडन पर हमलों का खतरा बढ़ गया है. एसएपीओ ने कहा कि स्वीडन और स्वीडिश हितों से जुड़े खतरे गंभीर हैं और इससे देश की सुरक्षा प्रभावित होती है. 2017 में स्टॉकहोम में एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें पांच लोग मारे गए थे.
9 फरवरी को प्रस्तावित रैली में प्रदर्शनकारी तुर्की दूतावास के बाहर जमा होकर विरोध करने वाले थे. इस दौरान कुरान की एक प्रति जलाने की भी योजना थी. स्वीडिश पुलिस ने सुरक्षा संबंधी गंभीर खतरों को वजह बताते हुए इस रैली पर रोक लगा दी है. पुलिस ने बताया, "जनवरी 2023 में तुर्की के दूतावास के बाहर कुरान की प्रति जलाने की घटना के कारण ना केवल स्वीडिश जनता और देश पर खतरा बढ़ा है, बल्कि देश के बाहर रहने वाले स्वीडन के लोगों और स्वीडिश हितों के लिए भी जोखिम बढ़ गया है. स्वीडन हमलों के लिए एक बड़ा निशाना बन गया है." पुलिस ने इससे पहले हुई ऐसी रैलियों के आयोजन को अनुमति देने के फैसले का बचाव किया और कहा कि हालात बदल गए हैं.
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स्वीडन में ऐसा आयोजन प्रतिबंधित करना आम नहीं है
यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध प्रदर्शनों की आजादी बहुत मजबूत है. ये अधिकार स्वीडन की बुनियाद का हिस्सा माने जाते हैं. संविधान के मुताबिक, लोगों द्वारा बोलकर या लिखकर या तस्वीरों के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति में प्रशासन कोई दखलंदाजी नहीं दे सकता. हालांकि यह आजादी निरंकुश नहीं है. मसलन, किसी देश या नस्ल के लोगों के खिलाफ प्रदर्शन करना या उनकी बेजा निंदा करने की आजादी नहीं है. मगर जहां तक धर्म का सवाल है, तो धार्मिक मामलों को अभिव्यक्ति की आजादी से सुरक्षा नहीं दी गई है. धार्मिक रीतियों या संदेशों की आलोचना की जा सकती है.
इसी तरह विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को भी संविधान में मजबूती से जगह दी गई है. इसमें सार्वजनिक जगहों पर जमा होना, रैली या प्रदर्शन आयोजित करना और इनमें हिस्सा लेने की आजादी भी शामिल है. संविधान के मुताबिक, स्वीडिश पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि लोग बिना किसी दिक्कत के जुट सकें. ऐसे आयोजनों को अनुमति ना देने के लिए प्रशासन के पास बेहद मजबूत आधार होना जरूरी है. स्वीडिश संविधान के पब्लिक ऑर्डर ऐक्ट का चैप्टर दो, सेक्शन 10 कहता है कि किसी जनसभा के आयोजन को केवल उसी स्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती, जब ऐसा करना कानून-व्यवस्था, या संबंधित आयोजन की सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी हो.
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जनवरी 2023 के प्रदर्शनों के बाद तनाव
21 जनवरी, 2023 को राजधानी स्टॉकहोम में तुर्की के विरोध में एक रैली हुई थी. प्रदर्शनकारी स्वीडन के नाटो में शामिल होने की कोशिशों का भी विरोध कर रहे थे. इसी दौरान कट्टरपंथी नेता राश्मुश पेलुडैन ने तुर्की दूतावास के पास कुरान की एक प्रति जलाई. पेलुडैन डेनमार्क की दक्षिणपंथी पार्टी स्त्राम कुर्स के नेता हैं. उनके पास स्वीडन की नागरिकता है. पेलुडैन पहले भी कई रैलियों में कुरान जला चुके हैं.
इस घटना पर तुर्की ने तीखी प्रतिक्रिया दी. इस्तांबुल ने नाराजगी जताई कि स्वीडन ने अपने यहां तुर्की विरोधी प्रदर्शनों के आयोजन की अनुमति दी और इस्लाम विरोधी एक्टिविस्ट को कुरान की प्रति जलाने से नहीं रोका. उसका यह भी आरोप है कि स्वीडन अपने यहां उन कुर्दिश कार्यकर्ताओं पर रोक नहीं लगा रहा, जिन्हें तुर्की आतंकवादी बताता है. तुर्की के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "हम अपने पवित्र ग्रंथ पर हुए इस हमले की बेहद सख्त निंदा करते हैं. मुस्लिमों को निशाना बनाने और हमारे धार्मिक मूल्यों का अपमान करने वाली इस इस्लाम विरोधी गतिविधि को अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में मंजूरी देना किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता है."
नाटो सदस्यता का आवेदन
इस घटना के कारण स्वीडन की नाटो में शामिल होने की कोशिशों को भी धक्का लगा. तुर्की पहले भी स्वीडन की नाटो सदस्यता का विरोध करता आ रहा है. वह स्पष्ट कह चुका है कि उसे फिनलैंड की सदस्यता से उतनी दिक्कत नहीं, लेकिन स्वीडन को लेकर कई आपत्तियां हैं.
ताजा घटनाक्रम से स्वीडन की नाटो सदस्यता का मामला फिर गरमा गया. राष्ट्रपति एर्दोवान ने कहा कि जब तक स्वीडन ऐसे आयोजनों को अनुमति देना जारी रखता है, तब तक तुर्की उसे नाटो में नहीं शामिल होने देगा. एर्दोवान ने कहा, "स्वीडन, सोचो भी मत! जब तक तुम मेरे पवित्र ग्रंथ कुरान को जलाने और फाड़ने की अनुमति देते रहोगे, तब तक हम नाटो में तुम्हारे दाखिले को मंजूरी नहीं देंगे."
स्वीडन में पहली बार सत्ता के करीब धुर दक्षिणपंथी पार्टी
स्वीडिश सरकार का रुख
कुरान जलाए जाने की घटना पर स्वीडिश सरकार ने खेद जताया था. प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसोन ने ऐसा करने वाले प्रदर्शनकारियों की निंदा करते हुए उन्हें "मूर्ख" कहा. पीएम ने कहा कि ये लोग उन विदेशी ताकतों के काम आए, जो नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहे स्वीडन को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. सीधे नाम लिए बगैर पीएम ने कहा कि कुछ विदेशी शक्तियां ऐसे प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर हालात भड़काती हैं और यह स्वीडन की सुरक्षा के लिए खतरा है.
एर्दोवान के बयान पर स्वीडिश विदेश मंत्री तोबियास बिलस्ट्रोम ने कहा कि उनका देश 2022 में फिनलैंड और तुर्की के साथ हुए करार का पालन कर रहा है, लेकिन धर्म उस समझौते का हिस्सा नहीं था. हालांकि उन्होंने यह भी कहा, "मैं अच्छी तरह समझता हूं कि धार्मिक ग्रंथों को जलाए जाने से लोग आहत हो सकते हैं और उन्हें गहरी चोट पहुंच सकती है."
बिलस्ट्रोम ने यह संकेत भी दिया कि एर्दोवान के रुख की मंशा तुर्की के आगामी चुनाव से जुड़ी हो सकती है. 14 मई, 2023 को तुर्की में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होना है. स्वीडिश विदेश मंत्री का संकेत था कि मुमकिन है, चुनावी फायदों के लिए एर्दोआन राष्ट्रवाद और धार्मिक भावनाओं पर लोगों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "फिलहाल तुर्की में चुनावी माहौल है और चुनाव प्रचार के दौरान कई चीजें कही जाती हैं."
एसएम/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)