ताइवान पर अमेरिका ने चीन को याद दिलाया टीआरए
६ अक्टूबर २०२१अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि हम ‘ताइवान समझौते' का पालन करेंगे. चीन और ताइवान के बीच ताजा तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को कहा कि इस बारे में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग से उनकी बातचीत हो चुकी है.
उन्होंने कहा, "मैंने ताइवान के बारे में शी से बात की है. हम इस बात पर सहमत हैं कि हम ताइवान समझौते का पालन करेंगे. हमने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है कि समझौते का पालन करने के अलावा उन्हें (चीन को) और कुछ नहीं करना चाहिए.”
जानिए, कैसे शुरू हुआ चीन-ताइवान में झगड़ा
चीन ने हाल ही में ताइवान के इर्दगिर्द सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हैं जिस कारण इलाके में तनाव है. पिछले हफ्ते चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के 120 से ज्यादा विमान ताइवान के एयर डिफेंस आईडेंटिफिकेशन जोन में उड़ान भरते देखे गए थे.
क्या है ताइवान समझौता?
ताइवान समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति का अभिप्राय 1979 के ताइवान रिलेशंस एक्ट (TRA) से है. इस समझौते के अनुसार अमेरिका के चीन के साथ कूटनीतिक संबंध इस पर निर्भर करेंगे कि ताइवान के भविष्य को शांतिपूर्ण तरीकों से तय किया जाएगा.
मेलबर्न यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले चीन मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रदीप तनेजा कहते हैं कि यह स्थिति अमेरिका के लिए भी दोधारी तलवार है.
डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "ताइवान ने ये माना हुआ है कि हम रिपब्लिक ऑफ चाइना हैं. और 1970 के दशत तक बाकी दुनिया भी यही मानती रही है. तब के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की चीन यात्रा के बाद अमेरिका ने चीन को मान्यता दी और तब ताइवान यानी रिपब्लिक ऑफ चाइना की मान्यता खत्म हो गई.”
निक्सन की यात्रा के बाद अमेरिका की संसद ने ताइवान रिलेशंस एक्ट पास किया था जिसमें यह बात कहीं नहीं है कि अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी.
प्रोफेसर तनेजा बताते हैं, "उस एक्ट में यह लिखा है कि अमेरिका ताइवान को समर्थन देगा ताकि ताइवान अपनी रक्षा कर सके. अब कुछ लोग कहते हैं कि चीन को मान्यता देने और ताइवान की मान्यता खारिज करने का अर्थ यह है कि अमेरिका को इसे चीन का अंदरूनी मामला मानना चाहिए. लेकिन अमेरिका इस बात को लेकर स्पष्ट रहा है कि इस मामले में ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.”
ताइवान संतुष्ट
ताइवान ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस बयान पर संतोष जताया है और कहा है कि अमेरिका को उसका समर्थन बना हुआ है. ताइवान की राष्ट्रपति के प्रवक्ता जेवियर चैंग ने बुधवार को कहा कि अमेरिका की ताइवान के प्रति नीति चट्टान की तरह मजबूत है.
चीन के पांच सिरदर्द
दरअसल 1982 में ‘छह आश्वासन' नाम से एक नीति के तहत ताइवान को अमेरिकी हथियार बेचे जाने पर फैसला हुआ था, जिसे ताइवान अपने पक्ष में मानता है.
1949 से ही ताइवान की एक स्वतंत्र सरकार है लेकिन चीन उसे अपना हिस्सा मानता है और इस बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच लगातार तनाव बना रहता है.
क्यों बढ़ा तनाव?
1 अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस था. उसी दिन पीएलए के 39 विमान ताइवानी इलाके में उड़ान भरकर आए. इनमें परमाणु हथियार ले जा सकने वाले लड़ाकू विमान भी शामिल थे. इस घटना की ताइवान के अलावा अमेरिका ने भी निंदा की थी.
सोमवार को ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने युद्ध की चेतावनी दी थी. ऑस्ट्रेलिया के सार्वजनिक टीवी चैनल एबीसी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में वू ने चेतावनी दी कि चीन के साथ युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर चीन की सेना हमला करती है तो उनका देश जवाब देने के लिए तैयार है.
वू ने कहा, "ताइवान की रक्षा हमारे हाथ में है और उसे लेकर हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. मुझे पूरा यकीन है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ेगा."
विवेक कुमार (डीपीए)