20 साल तक घटने के बाद टीबी के मरीजों की संख्या फिर बढ़ी
२८ अक्टूबर २०२२20 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि टीबीके मामले बढ़े हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी का इलाज और निदान बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ, जिसका असर हुआ है कि सालों से लगातार घट रहे टीबी के मामलों में वृद्धि देखी गई.
2021 में टीबी से होने वाली मौतों में भी बड़ी मात्रा में वृद्धि हुई है. एक अनुमान के मुताबिक बीते साल 16 लाख लोगों की मौत टीबी से हुई है, जो दो साल में 14 फीसदी की वृद्धि है. 2019 में 14 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हुई थी जबकि 2020 में अनुमानतः 15 लाख लोग इस संक्रामक रोग का शिकार बने.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक टीबी प्रोग्राम की निदेशक टेरेजा कसाएवा ने कहा कि एक भयानक रोग के खिलाफ लड़ाई में दुनिया इस वक्त एक अहम मोड़ पर खडी है. कसाएवा ने कहा, "करीब दो दशक में पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी के रोगियों और मरने वालों की संख्या में वृद्धि दर्ज की है.”
अपनी सालाना ग्लोबल टीबी रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ ने अनुमान जाहिर किया है कि 2021 में लगभग एक करोड़ लोग टीबी से बीमार हुए, जो कि 2020 के मुकाबले 4.5 प्रतिशत ज्यादा है. बीते साल जिन इलाकों में सबसे ज्यादा लोगों को यह रोग हुआ, उनमें दक्षिण पूर्व एशिया सबसे ऊपर है. दुनिया के कुल मरीजों में से 45 प्रतिशत इसी इलाके से आए. अफ्रीका में 23 फीसदी और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 18 प्रतिशत लोग टीबी का शिकार हुए.
कोविड के कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि टीबी का यह उभार कोविड-19 महामारी के कारण हुआ है. एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा, "इस रिपोर्ट का मुख्य आकलन यह है कि कोविड-19 अब भी टीबी के मूल्यांकन और इलाज तक पहुंच में बड़ी बाधा बना हुआ है और टीबी रोग के असर को और बुरा बना रहा है.”
कोविड-19 के कारण कमजोर पड़ी 15 लाख लोगों को बचाने की कोशिश
डब्ल्यूएचओ कहता है कि टीबी को खत्म करने की दिशा में दुनिया ने 2019 तक जो प्रगति की थी, वह धीमी पड़ गई है और कई जगह तो उलटी भी हो गई है. संस्था ने कहा, "वैश्विक स्तर पर टीबी के लक्ष्य भटक गए हैं. टीबी पर महामारी के प्रभावों को उलटने के लिए धन उपलब्ध कराते हुए पूरी गहनता के साथ फौरी तौर पर कोशिश करने की जरूरत है.”
लगभग दो दशक तक घटने के बाद 2020 और 2021 हर एक लाख लोगों पर टीबी के मामलों की दर में 3.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है. पिछले दो दशकों में यह सालाना दो प्रतिशत की दर से घट रहा था.
टीबी एक संक्रामक रोग है जो एक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह बैक्टीरिया सीधा फेफड़ों पर हमला करता है. कोविड की तरह ही यह भी हवा के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में जा सकता है. जैसे कि खांसने से. हालांकि इसका इलाज संभव है और इसे फैलने से भी रोका जा सकता है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी युद्ध, वैश्विक ऊर्जा संकट और खाद्य संकट के कारण टीबी की स्थिति आने वाले समय में और खराब हो सकती है. रिपोर्ट कहती है, "टीबी संबंधित सेवाओं की तक मरीजों की पहुंच को दोबारा शुरू करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि टीबी के मामलों का पता लगना और इलाज 2019 के स्तर पर वापस लाया जा सके.”
भारत सबसे ऊपर
दुनिया के सिर्फ आठ देशों में टीबी के दो तिहाई से ज्यादा मामले पाए जाते हैं. ये देश हैः भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2005 से 2019 के बीच टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी देखी गई थी लेकिन अनुमान दिखाते हैं कि 2020-21 में यह चलन पलट गया है.
टीबी के खिलाफ कोविड जैसी लड़ाई लड़ सकेगा भारत?
दुनिया में जिन चार देशों में टीबी से सर्वाधिक मौतें हुईं, उनमें भारत पहले नंबर पर है.उसके बाद इंडोनेशिया, म्यांमार और फिलीपींस का नंबर है. रिपोर्ट कहती है कि यह संभव है कि किसी एक कारण से होने वाली मौतों में टीबी एक बार फिर दुनिया में पहले नंबर पर आ जाए. बीते साल यह कारण कोविड-19 रहा था. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऐसा पहले ही हो चुका है.
समाजसेवी संस्था टीबी अलांयस के अध्यक्ष मेल श्पीगलमान कहते हैं कि टीबी की सालाना मृत्यु दर को कोविड-19 के ताजा आंकड़ों से तुलना करें तो टीबी ने सर्वाधिक मौतों के मामले में कोविड को पछाड़ दिया है.
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेडरोस अडनम गेब्रियासुस कहते हैं, "अगर महामारी ने हमें कुछ सिखाया है तो वह है कि एकजुटता, प्रतिबद्धता और नवोन्मेष व उपलब्ध उपायों का बराबर बंटवारा करते हुए इस्तेमाल करने से हम स्वास्थ्य खतरों से पार पा सकते हैं. आइए, ये सबक टीबी पर लागू करें. इस हत्यारे को रोकना जरूरी है.”
वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)