2027 से पहले बढ़ सकता है 1.5 डिग्री औसत तापमान
१८ मई २०२३संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जाहिर की है कि अगले पांच साल में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री की सीमा को पार कर जाएगा. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि क्षणिक होगी और ज्यादा चिंताजनक नहीं होगी. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने यह अनुमान जाहिर किया.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अल निन्यो प्रभाव के अस्थायी उभार के कारण कोयला, तेल और गैस के जलने से बढ़ रहे तापमान को अस्थायी उछाल मिल सकता है. उसके बाद तापमान कुछ नीचे आ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम संगठन (WMO) का अनुमान है कि अब से 2027 के बीच धरती का तापमान 19वीं सदी के मध्य की तुलना में सालाना 1.5 डिग्री से ज्यादा पर पहुंच जाएगा. यह सीमा महत्वपूर्ण है क्योंकि 2015 के पेरिस समझौते में इसी 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान को दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक सीमा माना गया था और विभिन्न देशों ने शपथ ली थी कि इस सीमा को पार होने से रोकने के लिए कोशिश करेंगे.
2018 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा था कि इस सीमा को पार करना घातक होगा क्योंकि इससे पारिस्थितिकी तंत्र को इतना नुकसान होगा कि जान और माल का भारी विनाश होगा.
अभी तो बस झांकी है
ताजा रिपोर्ट कहती है कि यह विनाश अभी नहीं होगा. युनाइटेड किंग्ड के मौसम विभाग में पर्यावरण विज्ञानी और ताजा रिपोर्ट के मुख्य लेखक लियोन हरमैनसन कहते हैं, "संभवतया इस साल ऐसा नहीं होगा. शायद अगले साल या उसके साल तापमान 1.5 डिग्री की सीमा को पार कर जाएगा.”
जलवायु संकट: वैश्विक औसत तापमान में 2.8 डिग्री सेल्सियस की हो सकती है बढ़ोतरी
हालांकि जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि अगले पांच साल में तापमान का 1.5 डिग्री सेल्सियस की औसत सीमा को पार करना उतना खतरनाक नहीं होगा. डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी टालस कहते हैं, "इस रिपोर्ट का अर्थ यह नहीं है कि तापमान स्थायी रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाएगा. पेरिस समझौता जिस सीमा की बात करता है, वो कई सालों तक लगातार तापमान का बढ़ा रहना है. डब्ल्यूएमओ की चेतावनी है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा अस्थायी तौर पर पार होगी और बार-बार होगी.”
टालस ने कहा कि अब तक हम तापमान का बढ़ने रोकने में कामयाब नहीं रहे हैं और अब भी एकदम गलत दिशा में बढ़े चले जा रहे हैं. हरमैनसन चेताते हैं कि वैज्ञानिक आमतौर पर 30 साल के औसत के आधार को मानते हैं और एक साल का कोई खास मतलब नहीं है.
धीरे-धीरे 1.5 डिग्री की ओर
किसी एक साल में 1.5 डिग्री की सीमा पार हो जाने की संभावना लगातार बढ़ती जा रही है. एक दशक पहले ऐसा होने की संभावना सिर्फ दस फीसदी थी. 2020 में यह 20 फीसदी हो गई. 2021 में 40 फीसदी, और पिछले साल 48 फीसदी पर पहुंच गई. इस साल यह संभावना 66 फीसदी बताई गई है. डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्थित 11 मौसम केंद्रों की गणनाओं के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है.
इसका एक अर्थ यह है कि सालाना 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत से ज्यादा तापमान बढ़ जाने की संभावना लगातार बढ़ रही है और पृथ्वी लगातार मानव-जनित कारणों से ऐसा स्थायी तौर पर हो जाने की ओर बढ़ रही है. जलवायु विज्ञानी जेके हाउसफादर टेक कंपनी स्ट्राइप एंड बर्कली अर्थ के लिए काम करते हैं, जो डब्ल्यूएमओ के अध्ययन में शामिल नहीं थी. वह कहते हैं, "अल निन्यो के कारण धरती के गर्म होने से हम करीब एक दशक पहले ही सीमा पार कर जाएंगे. हालांकि अगले दशक के मध्य तक ऐसा नहीं होगा कि ज्यादा अवधि के लिए तापमान सीमा से ज्यादा रहे.”
लेकिन, हरेक साल जिसमें 1.5 डिग्री से ज्यादा औसत तापमान रहता है, वह महत्वपूर्ण होगा. हरमैनसन कहते हैं, "इस रिपोर्ट हम एक पैमाने के रूप में देखते हैं कि हम कितनी तेजी से सीमा पार करने की ओर बढ़ रहे हैं. क्योंकि आप सीमा के जितने ज्यादा नजदीक जाएंगे, ऊपर की ओर जाते वक्त उतना ज्यादा शोर होगा.”
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)