लंबी उम्र जीने वाले लोगों के झूठ पर शोध
१३ दिसम्बर २०२४लंबी उम्र पाने की चाहत हर किसी को होती है. इसी सपने ने एक नई इंडस्ट्री को जन्म दिया है. इस इंडस्ट्री में सप्लीमेंट्स, किताबें, टेक्नोलॉजी और टिप्स बेचे जा रहे हैं. यह सब कुछ लोगों को यह सिखाने के लिए किया जा रहा है कि दुनिया के सबसे उम्रदराज लोगों के राज क्या हैं.
लेकिन न्यूमैन के अनुसार, जो डेटा इस उद्योग का आधार है, वह अक्सर गलत और अविश्वसनीय होता है. उन्होंने कहा, "बहुत ज्यादा पुरानी उम्र का डेटा, जिसे हम सच मानते हैं, वह ज्यादातर कचरा है."
शोध में क्या पता चला?
न्यूमैन का शोध अभी समीक्षा की प्रक्रिया में है. इस शोध के लिए उन्होंने अमेरिका, इटली, इंग्लैंड, फ्रांस और जापान जैसे देशों में 100 साल और 110 साल से अधिक उम्र के लोगों पर अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि "सुपर सेंटिनेरियन" यानी 110 साल से अधिक उम्र के लोग अक्सर ऐसे इलाकों से आते हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं खराब होती हैं, गरीबी का स्तर ऊंचा होता है, और रिकॉर्ड-कीपिंग या दस्तावेजीकरण अच्छा नहीं होता.
न्यूमैन ने मजाक में कहा, "लंबी उम्र का असली राज यह है कि ऐसी जगह जाओ जहां जन्म प्रमाणपत्र दुर्लभ हों, अपने बच्चों को पेंशन फ्रॉड सिखाओ और झूठ बोलना शुरू करो."
इस विषय को समझाने के लिए न्यूमैन ने जापान का उदाहरण दिया. सोगेन काटो, जिन्हें कभी जापान का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति माना जाता था, 2010 में उनके ममीकृत अवशेष उनके घर में पाए गए. असल में उनकी मौत 1978 में ही हो चुकी थी. उनका परिवार तीन दशकों तक उनकी पेंशन का लाभ लेता रहा.
जब इस घटना की जांच की गई, तो पता चला कि जापान में 82 प्रतिशत यानी करीब 2.3 लाख सेंटिनेरियन या तो गायब थे या मृत पाए गए. सरकार के अनुसार, "कागजात सही थे, लेकिन लोग मर चुके थे." यह मामला बताता है कि ऐसे रिकॉर्ड कितने अविश्वसनीय हो सकते हैं.
ब्लू जोन: सच या भ्रम?
ब्लू जोन वे स्थान माने जाते हैं जहां लोग औसतन ज्यादा लंबे समय तक और स्वस्थ जीवन जीते हैं. 2004 में इस शब्द का पहली बार उपयोग इटली के सार्डिनिया द्वीप के लिए किया गया. इसके एक साल बाद नेशनल जियोग्राफिक के रिपोर्टर डैन बुएटनर ने जापान के ओकिनावा और कैलिफोर्निया के लोमा लिंडा को ब्लू जोन में शामिल किया. चीन में एक गांव है जिसे 100 की उम्र देने वाला गांव कहा जाता है.
हालांकि, बुएटनर ने बाद में माना कि लोमा लिंडा को उनकी सूची में इसलिए जोड़ा गया क्योंकि उनके संपादक ने कहा था, "अमेरिका का ब्लू जोन ढूंढो." इसके बाद, उन्होंने कोस्टा रिका के निकोया प्रायद्वीप और ग्रीस के इकारिया को भी इस सूची में जोड़ दिया. लेकिन जैसे-जैसे डेटा की जांच हुई, इन दावों पर सवाल उठने लगे.
कोस्टा रिका में 2008 में हुए शोध से पता चला कि 42 प्रतिशत सेंटिनेरियन ने अपनी उम्र के बारे में झूठ बोला था. ग्रीस में 2012 में सामने आए डेटा से पता चला कि 72 प्रतिशत ग्रीस के सेंटिनेरियन या तो मर चुके थे या काल्पनिक थे. न्यूमैन ने मजाक में कहा, "वे सिर्फ पेंशन के दिन जिंदा होते हैं."
विवाद और जवाब
ब्लू जोन पर शोध करने वाले कई वैज्ञानिकों ने न्यूमैन की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उनका काम "अकादमिक और नैतिक रूप से गैर-जिम्मेदाराना" है. इन वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने सेंटिनेरियन की उम्र की पुष्टि के लिए ऐतिहासिक रिकॉर्ड और रजिस्ट्रियों को सावधानीपूर्वक जांचा है.
न्यूमैन का जवाब है कि अगर शुरुआती जन्म प्रमाणपत्र ही गलत हो, तो बाद के सारे रिकॉर्ड भी गलत होंगे. उन्होंने कहा, "गलत जन्म प्रमाणपत्र से शुरू करें, फिर वही डेटा हर जगह कॉपी होता है, और आपको एकदम सटीक लेकिन गलत रिकॉर्ड मिलता है."
न्यूमैन का मानना है कि इस समस्या से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है लोगों की उम्र को वैज्ञानिक तरीकों से मापना. स्टीव हॉरवथ, जो उम्र बढ़ने पर शोध करते हैं, ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसे "मेथिलेशन क्लॉक" कहा जाता है. यह डीएनए का उपयोग करके उम्र की पुष्टि कर सकती है और गंभीर धोखाधड़ी का पता लगा सकती है. हालांकि, यह 115 और 120 साल की उम्र के बीच के अंतर को सटीकता से नहीं बता सकती.
हॉरवथ ने 122 साल की उम्र में मरी फ्रांस की जीन कॉलमां का डीएनए सैंपल जांचने की पेशकश की है, जो अब तक की सबसे उम्रदराज व्यक्ति मानी जाती हैं.
तो, लंबी उम्र के बारे में इस बहस से आम लोगों को क्या समझना चाहिए? न्यूमैन का सरल जवाब है, "अगर आप लंबा जीना चाहते हैं, तो कुछ भी मत खरीदो. डॉक्टर की सलाह सुनो, एक्सरसाइज करो, शराब और सिगरेट से दूर रहो, बस इतना ही काफी है."
वीके/सीके (एएफपी)