इंसान की तरह 3 तक बोल सकते हैं कैरियन कौवेः शोध
२४ मई २०२४कैरियन कौवों को ‘पंखों वाले बंदर' कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी समझदारी का स्तर काफी कुछ इंसानों जैसा है. वे इंसानों के चेहरे पहचान सकते हैं. बीजों को फोड़ने के लिए वे सड़क पर फेंक देते हैं ताकि कारों के पहियों के नीचे आकर वे खुल जाएं. यहां तक कि वे 3 तक गिनती भी गिन सकते हैं.
अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ये कौवे इंसान के बच्चों की तरह बोल-बोलकर भी गिन सकते हैं. साइंस पत्रिका में छपे एक शोध में बताया गया है कि इन कौवों के गिनने का तरीका इंसानों जैसा है. यानी ऐसा करने वाली यह इंसान के अलावा एकमात्र प्रजाति है.
संख्याएं बोलने की क्षमता
जर्मनी की ट्यूबिंगेन यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट डायना लियाओ और उनके सहयोगियों ने यह शोध किया है. लियाओ के मुताबिक कैरियन प्रजाति के कौवे बहुत हद तक इंसानों जैसे होते हैं. साइंस पत्रिका से बातचीत में लियाओ ने बताया कि कौवों के इसी गुण ने उन्हें शोध करने के लिए प्रेरित किया.
शोधकर्ता कहते हैं कि इंसानी भाषा की एक विशेष बात यह है कि इंसान किसी भी शब्द को ध्वनि के साथ यानी बोलकर कह सकता है. जैसे कि पांच संतरे देखकर वे इस संख्या को बोलकर बता सकते हैं. लेकिन एकदम पांच तक पहुंचने से पहले इंसान अपने बचपन में एक-एक करके उन्हें गिनता है. जैसे कि वह एक, दो, तीन, चार, पांच करके पांच तक गिनेगा या फिर एक-एक करके.
वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि क्या कैरियन कौवे भी ऐसा ही करते हैं. इसके लिए डायना लियाओ और ट्यूबिंगेन यूनिवर्सिटी में उनके सहयोगी, प्राणीविज्ञानी आंद्रियास नीडर ने तीन कौवों पर अध्ययन किया. इन तीनों को यूनिवर्सिटी की ही न्यूरोबायोलॉजी लैब में पाला-पोसा गया है.
कैसे सिखाया गया?
वैज्ञानिकों ने इन कौवों को अरबी गिनती को एक से चार तक पढ़ना सिखाया. हर अंक पर उन्हें आवाज निकालनी होती थी. इसके लिए गिटार और ड्रम जैसी आवाजों का इस्तेमाल किया गया. मसलन, गिटार की धुन पर वे एक बोलते और ड्रम की धुन पर तीन.
गिनती पूरी करने के बाद इन कौवों को स्क्रीन पर अपनी चोंच से एक बटन को दबाना होता था. जो कौवे सही अंक पढ़ते, उन्हें खाने में एक कीट मिलता था.
एक हजार बार परीक्षण के बाद कौवों ने आमतौर पर सही गिनती गिनना सीख लिया. लियाओ कहती हैं कि यह इस बात का संकेत था कि वे काम को समझ गए थे. हालांकि तीन या चार तक पहुंचने में वे गलतियां करने लगे थे.
लियाओ बताती हैं, "उन्हें नंबर एक तो बहुत पसंद था लेकिन चार उन्हें कतई पसंद नहीं था.” कई बार तो अंक 4 के प्रति अपनी नापसंदगी जाहिर करने के लिए उन्होंने आवाज निकालने के बजाय स्क्रीन पर चोंच मारकर परीक्षण बंद करने का भी इशारा किया.
शोधकर्ता कहते हैं कि यह अध्ययन इस बात को भी पुख्ता करता है कि कुछ पक्षी जानकारियां साझा करने के लिए आवाजों का इस्तेमाल करते हैं.