स्कूल जिसने स्क्रीन छोड़ किताबें अपनाईं
फिनलैंड के एक छोटे शहर के जानेमाने स्कूल ने अपने यहां स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर दिया है. जब बाकी दुनिया के स्कूल तकनीकी रूप से आधुनिक होने की होड़ में लगे हैं, इस स्कूल का कदम लोगों को हैरान कर रहा है.
डिजिटल उपकरणों को हटाने वाला स्कूल
फिनलैंड के रिमाकी शहर में इस साल छात्रों ने स्कूल में किताबों और कागज का इस्तेमाल शुरू किया है. स्कूल से लैपटॉप और डिजिटल उपकरणों को हटा दिया गया है.
नीति में यू-टर्न
फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली इनोवेशन के लिए जानी जाती है. पहले 11 साल की उम्र से ही स्कूली छात्रों को मुफ्त लैपटॉप दिया जाता था. लेकिन अब देश में स्क्रीन के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं.
माता-पिता भी चिंतित
फिनलैंड के माता-पिता और शिक्षक बच्चों पर स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग के नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंतित हो गए हैं. ऐसी चिंता दुनियाभर में जताई जा रही है. हाल के वर्षों में फिनलैंड में बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन में गिरावट देखी गई है, जिससे सरकार स्कूलों में व्यक्तिगत उपकरणों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है.
स्क्रीन को लेकर आतुरता
रिमाकी के शिक्षकों ने देखा कि बच्चे डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर आतुर रहते थे. वे जल्दी असाइनमेंट पूरा करके गेम और सोशल मीडिया पर जाने की जल्दी में रहते थे.
किताबों पर वापसी का असर
रिमाकी के छात्रों ने बताया कि किताबों की वापसी के बाद उनकी एकाग्रता और ध्यान में सुधार हुआ है, और स्क्रीन की तुलना में पढ़ना अब आसान हो गया है.
स्क्रीन के असर
न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट मिन्ना पेल्टोपुरो बताते हैं कि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से शारीरिक समस्याएं, जैसे आंखों की दिक्कतें, और मानसिक समस्याएं, जैसे एंग्जाइटी बढ़ रही है. पेल्टोपुरो ने यह भी चेतावनी दी कि बच्चों के मस्तिष्क मल्टीटास्किंग के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिससे उन्हें डिजिटल उपकरणों से होने वाले ध्यान भटकाव को संभालना मुश्किल हो जाता है.