मनमोहन सिंह के 7 फैसले, जिन्होंने बदला भारत
मनमोहन सिंह जब भारत के वित्त मंत्री बने तो देश दिवालिया होने के कगार पर था. वहां से दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में आने का भारत का सफर मनमोहन सिंह के लिए फैसलों पर आधारित रहा. क्या थे वे फैसले?
1991 के आर्थिक सुधार
वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को खोलने का बड़ा फैसला लिया. लाइसेंस राज खत्म किया और निजीकरण को बढ़ावा दिया. इस कदम ने देश को आर्थिक संकट से निकाला और विकास की राह पर डाला.
रुपये का अवमूल्यन (1991)
मनमोहन सिंह ने 1991 में रुपये का मूल्य घटाने का साहसिक फैसला लिया. यह फैसला विवादित था, लेकिन इससे निर्यात बढ़ा, विदेशी निवेश आया और विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत हुआ.
वैट लागू करना
प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने वैट (मूल्य वर्धित कर) लागू किया. इसने टैक्स सिस्टम को सरल बनाया और राज्यों के अलग-अलग टैक्स की समस्या को खत्म किया. यह भारत में जीएसटी के रास्ते की तैयारी का बड़ा कदम था .
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (2008)
डॉ. सिंह ने अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया. इससे भारत को परमाणु ऊर्जा और तकनीक हासिल हुई. यह समझौता देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अहम साबित हुआ.
मनरेगा
उन्होंने मनरेगा जैसी योजना शुरू की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित हुआ. साथ ही, शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया, जिससे बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी मिली.
बैंकिंग सुधार
डॉ. सिंह ने बैंकिंग सेक्टर में बड़े सुधार किए. ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक खोले गए और डिजिटल बैंकिंग की शुरुआत हुई. इससे गरीबों को भी बैंकिंग सेवाओं का फायदा मिलने लगा.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर
उन्होंने शहरी विकास के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन की शुरुआत की. देशभर में सड़कों और हाईवे को बेहतर बनाने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को भी आगे बढ़ाया.