लंदन में अमित शाह और जनरल नरवणे के खिलाफ शिकायत
२१ जनवरी २०२२ब्रिटेन की राजधानी लंदन की एक कानूनी फर्म ने ब्रितानी पुलिस को एक एप्लिकेशन दी है. इस एप्लिकेशन में कश्मीर में कथित युद्ध अपराधों में भूमिका के लिए भारत के सेना प्रमुख और भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तार करने की मांग की गई है.
लॉ फर्म स्टोक व्हाइट ने बताया कि उन्होंने मेट्रोपॉलिटन पुलिस की वॉर क्राइम्स यूनिट में कई सुबूत जमा किए हैं. फर्म का दावा है कि ये सुबूत इशारा करते हैं कि कश्मीर में एक्टिविस्टों, पत्रकारों और आम नागरिकों के अपहरण, उन्हें प्रताड़ित करने और उनकी हत्याओं के पीछे जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के नेतृत्व वाली भारतीय सेना और देश के गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं.
रिपोर्ट में किन लोगों का है जिक्र?
लॉ फर्म की यह रिपोर्ट 2020 से 2021 के बीच इकट्ठा की गईं दो हजार से ज्यादा गवाहियों पर आधारित है. इसमें भारतीय सेना के आठ वरिष्ठ बेनाम अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है. इन पर कश्मीर में लोगों को प्रताड़ित करने और युद्ध अपराध में सीधे तौर पर शामिल होने के आरोप हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट की जानकारी न होने की बात कहते हुए इस पर कोई बयान देने से इनकार कर दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है.
किस आधार पर दी गई अर्जी?
लॉ फर्म की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए लिखा गया है, "इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि भारतीय प्रशासन जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों के खिलाफ वॉर क्राइम और अन्य हिंसक अपराध कर रहा है." लंदन पुलिस के पास इसकी शिकायत 'वैश्विक अधिकार क्षेत्र' के आधार पर की गई है, जो देशों को दुनिया में कहीं भी मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने का अधिकार देता है.
अंतरराष्ट्रीय लॉ फर्म का मानना है कि उनकी एप्लिकेशन के जरिए ऐसा पहली बार हो रहा है, जब कश्मीर में कथित युद्ध अपराधों को लेकर भारतीय अधिकारियों के खिलाफ विदेश में कोई कानूनी कदम उठाया गया है. फर्म के डायरेक्टर हकन कामू ने उम्मीद जताई है कि ब्रितानी पुलिस उनकी रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू करेगी और इसमें दर्ज लोगों के ब्रिटेन में दाखिल होने पर इन्हें गिरफ्तार करेगी.
एप्लिकेशन में किन लोगों का जिक्र?
पुलिस को यह एप्लिकेशन पाक प्रशासित कश्मीर के निवासी जिया मुस्तफा के परिवार की ओर से दी गई है. लॉ फर्म के मुताबिक यह परिवार 2021 में भारतीय अधिकारियों द्वारा की गई एक न्यायिक हत्या का पीड़ित है. साथ ही, यह एप्लिकेशन मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद अहसान उन्टू के हवाले से भी दी गई है, जिन्हें पिछले सप्ताह गिरफ्तार किए जाने से पहले कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था.
साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की अपील की थी. भारत सरकार बार-बार इन आरोपों से इनकार करती रही है. सरकार का कहना है कि अलगाववादी ये आरोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और भारतीय सैनिकों की छवि खराब करने के लिए लगाते हैं.
वहीं लॉ फर्म अपनी जांच के आधार पर कहती है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में यह दमन और बुरा हो गया. रिपोर्ट में इलाके के प्रमुख एक्टिविस्ट खुर्रम परवेज का भी जिक्र किया गया है, जिन्हें पिछले साल भारत की आंतकरोधी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था. 'जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसायटी' के लिए काम कर चुके 42 साल के परवेज ने भारतीय सैनिकों पर हिंसा करने के आरोपों को लेकर काफी कुछ लिखा था.
क्या है 'वैश्विक अधिकार क्षेत्र'?
मानवाधिकार वकील दुनियाभर में 'वैश्विक अधिकार क्षेत्र' के सिद्धांत का इस्तेमाल करते हुए ऐसे लोगों के लिए इंसाफ पाने की कोशिश करते हैं, जो अपने घरेलू देशों में या द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट में अपने खिलाफ हुए अपराध की शिकायत दर्ज नहीं करा पाते हैं.
पिछले सप्ताह जर्मनी की एक अदालत ने सीरियाई खुफिया पुलिस के एक पूर्व अधिकारी को मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के जुर्म में दोषी करार दिया था. इस अधिकारी पर एक दशक पहले दमिश्क के पास एक जेल में हजारों बंदियों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप था.
वीएस/ओएसजे (एपी)