मिसाइल हमलों से यूक्रेन को कितना बचायेंगे एयर डिफेंस सिस्टम
१२ अक्टूबर २०२२मंगलवार को नाटो के सदस्य देशों की ब्रसेल्स में हुई बैठक में भी एयर डिफेंस सिस्टम का मांग पुरजोर उठी थी. यूक्रेन ने तो इसकी बात की ही पश्चिमी देशों ने भी इस मांग का भरपूर समर्थन किया था. इसका नतीजा है कि जर्मनी का आईरिस टी एसएलएम एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेन पहुंच गया है. पिछले कुछ दिनों से इसकी चर्चा हो रही थी लेकिन हाल ही में हुए रूसी मिसाइल हमलों के बाद तेजी दिखा कर इसे यूक्रेन पहुंचा दिया गया है.
जर्मनी का आभार
यूक्रेनी रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेस्नीकोव ने ट्वीटर पर लिखा है, "हवाई सुरक्षा के एक नये युग की शुरुआत हुई है. जर्मनी से आईरिस टी पहले ही आ चुका है और अमेरिका का एनएएसएम आ रहा है." यूक्रेनी रक्षा मंत्री ने अपनी जर्मन समकक्ष क्रिस्टीने लामब्रेष्ट का यूक्रेन को समर्थन देने के लिए आभार जताया है.
जर्मनी ने शुरुआती तौर पर यूक्रेन को चार जमीनी आईरिस टी टाइप सिस्टम मुहैया कराया है. इनकी कीमत 14 करोड़ यूरो है. इसके अलावा तीन और ऐसे सिस्टम के लिए पैसा दे दिया गया है.
तीन और एयर डिफेंस सिस्टमों की अगली खेप कब जायेगी इसका फैसला कुछ हद तक मिस्र के हाथ में है. मिस्र ने अपने लिये इस सिस्टम के ऑर्डर दिये हैं और उसी के लिए नये सिस्टम तैयार किये जा रहे हैं. मिस्र अपनी डिलीवरी में देरी कबूल करके उन्हें यूक्रेन भेजने के लिए तैयार हो सकता है.
आईरिस टी टाइप एयर डिफेंस सिस्टम
यह एयर डिफेंस सिस्टम हमला करने वाले हेलीकॉप्टरों, विमानों, क्रूज मिसाइलों या रॉकेटों से बचाव के लिए मिसाइल दागता है. एक सिस्टम से मध्यम आकार के एक शहर की रक्षा की जा सकती है. एसएलएम 20 किलोमीटर की ऊंचाई और 40 किलोमीटर की दूरी तक के रेंज में लक्ष्य को अपना निशाना बना सकता है.
यूक्रेनी सैनिकों को इस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए जर्मनी में ट्रेनिंग दी गई है. उद्योग जगत ने तकनीकी सहयोग दिया है जबकि एयर फोर्स ने ट्रेनिंग मुहैया कराई है. यह एयर डिफेंस सिस्टम मोबाइल है और शत्रु अगर इसका ठिकाना जान ले तो आसानी से इसकी जगह बदली जा सकती है.
मिसाइल हमलों से बचाव
रूस ने क्रीमिया से जोड़ने वाले पुल पर धमाके के जवाब में यूक्रेन पर 84 मिसाइलों से हमला किया है. कई विश्लेषक इस हमले को यूक्रेन की सेना को मिली बढ़त का जवाब भी मान रहे हैं. यूक्रेनी सेना ने कई इलाकों में रूसी सैनिकों को पीछे धकेल दिया है और आगे बढ़ रहे हैं.
रूसी मिसाइलों के हमले को यूक्रेनी एयर डिफेंस सिस्टम ने काफी कमजोर किया और काफी संख्या में मिसाइलों को डिफेंस सिस्टम के सहारे ध्वस्त किया गया. हालांकि फिर भी नुकसान हुआ. अब तक कम से कम 19 लोगों की इन हमलों में मौत हुई है. कई इलाकों में इसकी वजह से बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित हुई और जाड़े के मौसम में लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा है. यूक्रेन के कई शहरों में हवाई हमलों की आशंका में सायरन बजते रहे और लोग अपने घरों से निकल कर सुरक्षित ठिकानों की तलाश करते रहे.
फिलहाल यूक्रेन सोवियत जमाने के एस 300 डिफेंस सिस्टम पर निर्भर है. अमेरिका ने अपने उन्नत एनएएसएम सिस्टम देने की बात कई महीने पहले ही की थी. अब उसका कहना है कि वह सिस्टम भेजने की प्रक्रिया तेज कर रहा है. सितंबर में कहा गया था कि अभी दो महीने और लगेंगे.
क्या यूक्रेन अपनी रक्षा कर सकता है?
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करना उनकी पहली प्राथमिकता है. पश्चिमी देशों के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी ज्यादा सिस्टम देने का वादा किया है.
सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि व्यावहारिक रूप से यूक्रेन कभी भी अपने संपूर्ण जमीनी क्षेत्र की रक्षा नहीं कर सकेगा. यूक्रेन जमीन के लिहाज से रूस के बाद यूरोप का सबसे बड़ा देश है. कम अहमियत वाले इलाकों में जो हमले हो रहे हैं उन्हें तो नहीं रोका जा सकता. हां इतना जरूर है कि सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक लिहाज से अहम इमारतों, शहरों और इलाकों की रक्षा की जा सकती है.
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अमेरिका का पैट्रियट मिसाइल सिस्टम केवल बहुत अहमियत वाले खास ठिकानों की ही रक्षा कर सकता है. वो ज्यादा सुरक्षा दे सकते हैं लेकिन तुलनात्क रूप से छोटी जगहों को. इस्राएल का आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम उसकी रक्षा तो करता है लेकिन उसकी कवरिंग रेंज यूक्रेन की जमीन का 20वां हिस्सा है.
यूरोप में अमेरिकी थल सेना के पूर्व कमांडर मार्क हर्टलिंग ने लिखा है, "जिस तरह से सद्दाम को स्कड मिसाइल दागने से रोकना मुश्किल था उसी तरह यूक्रेन की मदद करने की इच्छा के बाद भी पुतिन के युद्ध अपराधों को पूरी तरह रोकना पाना मुश्किल है, दुर्भाग्य से इसमें नागरिक ठिकानों पर मिसाइल हमले में भी शामिल हैं."
हालांकि फिर भी सोमवार के हमलों ने दिखा दिया है कि यूक्रेन पूरी तरह से बचावहीन नहीं है. यूक्रेन का दावा है कि आधी से ज्यादा मिसाइलों को मार गिरा गया और रूसी मिसाइल किसी भी रणनीतिक लिहाज से अहम या फिर राजधानी की प्रमुख सरकारी इमारतों को निशाना नहीं बना सके. जाहिर है कि उनकी रक्षा के लिए इंतजाम भी पुख्ता हैं.
एनआर/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स)