यूक्रेन में बर्बादी का हाल बयां करती हैं ये तस्वीरें
यूक्रेन पर रूस के हमले से करोड़ों लोगों की जिंदगी उलट पुलट हो गई. घर नष्ट हो गए हैं, रसद की कमी हो गई है और कई दुकानें भी तेजी से खाली हो रही हैं. कई लोग हताशा में बस वहां से भाग जाने की कोशिश कर रहे हैं.
मदद के लिए
यूक्रेनी सैनिक राजधानी कीव में इरपिन नदी पार करने में छोटे बच्चों वाले एक परिवार की मदद कर रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश पुल ध्वस्त हो चुके हैं. इस तरह के दृश्य अब यूक्रेन में आम हो गए हैं. रूसी सेना कई शहरों पर हमला कर रही है.
गोलाबारी से बचाव
कीव से कुछ ही किलोमीटर दूर इरपिन शहर भी है जहां पांच मार्च को रूसी सेना ने पूरे दिन बमबारी की. बम के गोलों से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने एक टूटे हुए पुल के नीचे शरण ली. बाद में लोगों ने इस शहर को भी छोड़ कर जाना शुरू कर दिया.
जोखिम भरा अभियान
कुछ स्थानीय लोग बस में बैठ कर इरपिन से बच कर निकलने में सफल रहे. लेकिन कई लोगों को पैदल ही नदी पार करना पड़ा. उन्होंने लकड़ी के फट्टों से बने एक कामचलाऊ पुल का इस्तेमाल किया. इसमें यूक्रेनी सिपाहियों ने भी उनकी मदद की. पूरा अभियान बेहद जोखिम भरा रहा क्योंकि इस दौरान रूसी सेना की बमबारी लगातार जारी रही.
भागने की हताशा
कई लोगों ने भाग निकलने के लिए ट्रेनों को भी जरिया बनाया. यह तस्वीर इरपिन स्टेशन की है जहां बड़ी संख्या में लोगों को कीव जाने वाली ट्रेनों में सवार होने की कोशिश करते देखा जा सकता है. इन लोगों को उम्मीद है कि कीव पहुंचने के बाद उन्हें देश से बाहर निकलने का रास्ता मिल जाएगा.
आखिरी बार मुड़ कर देखना
जाने वालों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं है कि वो कभी अपने शहर, अपने घर वापस लौट भी पाएंगे या नहीं और जब लौटेंगे तब वहां क्या मंजर होगा. ट्रेनों में भारी भीड़ है, जिसका मतलब है भागने वाले लोग अपने साथ ज्यादा सामान भी नहीं ले जा सकते हैं.
जलते घर
इस मकान पर बम का गोला गिरा था और इस तस्वीर में घर के लोग जलते हुए मकान से जो सामान बचा सकें उसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अभी तक 15 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना कि यह संख्या एक करोड़ तक जा सकती है.
बमबारी का असर
इरपिन में इस आवासीय इमारत पर इतनी बमबारी हुई कि यह मिट्टी में मिल जाने के कगार पर पहुंच गई थी. रूसी सेना ने रिहायशी इमारतों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर हमले बढ़ा दिए हैं और माना जा रहा है कि शरणार्थियों की संख्या में भारी उछाल आने की यह एक बड़ी वजह बन सकती है.
भोजन का संकट
यहां बस कुछ ही दिनों पहले एक आम, चहल पहल वाला सुपरमार्केट था. लेकिन अब इसकी जल्दी जल्दी खाली होती अलमारियां युद्ध कालीन अभाव की स्थिति का चिन्ह बन गई हैं. यूक्रेनी सैनिक बचेखुचे खाने और पानी को लोगों में बांटने के लिए इकट्ठा कर रहे हैं.
सिनेमा घर में बंदूक चलाने की प्रैक्टिस
जो लोग सेना की मदद के लिए पीछे रह गए उन्हें लड़ाई का बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह लवीव का एक सिनेमा घर है जहां आम लोगों को हथियार दिए गए और उन्हें चलाने के बारे में संक्षेप में बताया गया. कई लोगों ने अपनी जिंदगी में पहली बार हाथों में हथियार उठाए हैं. रिपोर्ट- ग्रेटा हामन