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यूक्रेन की मंत्री ने की भारत से सही पक्ष चुनने की अपील

१२ अप्रैल २०२३

यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिने जापारोवा ने अपने भारत दौरे के दौरान कहा कि यूक्रेन युद्ध में रूस का साथ देना गलत ऐतिहासिक पक्ष को चुनना है. उन्होंने भारत से इस युद्ध में एक संतुलित रास्ता अपनाने को कहा है.

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एमिने जापारोवा
यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिने जापारोवातस्वीर: John Minchillo/AP/picture alliance

जापारोवा यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत आने वाली पहली यूक्रेनी वरिष्ठ अधिकारी हैं. वो नई दिल्ली में राज्य विदेश मंत्री मीनाक्षी लेखी से मिलीं और उन्हें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र सौंपा. जापारोवा विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा से भी मिलीं. इसके अलावा वो पत्रकारों, शोधकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों से भी मिलीं और उनसे यूक्रेन युद्ध के अलग अलग पहलुओं पर चर्चा की.

इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए) संस्थान में एक भाषण में जापारोवा ने कहा कि भारत युद्ध में "और बड़ी भूमिका अदा कर सकता है" और यूक्रेन "युद्ध के समाधान की दिशा में की गई किसी भी कोशिश का स्वागत करेगा."

संतुलन की अपील

भारत की अभी तक रही भूमिका पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "हम एक बार फिर ईमानदारी से कहना चाहेंगे कि रूस के साथ होना ऐतिहासिक रूप से गलत पक्ष को चुनना है. रूस का समर्थन करने का मतलब दुनिया के बारे में एक शैतानी योजना का हिस्सा होना."

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जापारोवा ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल "संतुलन की खातिर" कीव आ सकते हैं. डोभाल युद्ध शुरू होने के बाद तीन बार मॉस्को जा चुके हैं. भारत कई बार युद्ध की निंदा कर चुका है लेकिन उसने रूस की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निंदा नहीं की है.

संयुक्त राष्ट्र में भी रूस के खिलाफ लाए गए पश्चिमी देशों के प्रस्तावों पर मतदान से भारत ने खुद को बाहर रखा है. भारत ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों में भी पश्चिमी देशों का साथ नहीं दिया है और रूस से तेल, कोयला आदि सामान सस्ते दामों पर खरीदना जारी रखा है.

आईसीडब्ल्यूए में अपने भाषण में जापारोवा ने यह भी कहा, "मुझे लगता है कि मैं यहां जो सुझाव लाई हूं वो भारत के साथ संबंध को और बेहतर और और गहरा बनाने का है और इसके लिए पारस्परिकता की जरूरत है. हमने दरवाजे पर दस्तक दी है लेकिन अब यह घर के मालिक के ऊपर है कि वो दरवाजा खोलेगा या नहीं."

पेचीदा प्रस्ताव

उन्होंने यूक्रेन-पाकिस्तान रिश्तों को लेकर भारत में असहजता को भी संबोधित किया. यूक्रेन लंबे समय से पाकिस्तान को टैंक और अन्य सैन्य उत्पाद बेचता रहा है. इस पर जापारोवा ने कहा, "पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते भारत के साथ हमारे संबंधों के खिलाफ निर्देशित नहीं हैं. मुझे मालूम है कि सैन्य ठेकों को लेकर कुछ संवेदनशीलता है, लेकिन मैं यह स्पष्ट कहना चाहती हूं कि ये ठेके 90 के दशक से हैं."

भारत की जिम्मेदारी बड़ी

जापारोवा ने भारत की जी20 की अध्यक्षता के दौरान संगठन में यूक्रेन की भागीदारी बढ़ाने की भी अपील की और फिर एक ऐसा प्रस्ताव भी रखा जिस पर प्रतिक्रिया देना भारत के लिए थोड़ा पेचीदा सकता है. उन्होंने कहा कि जेलेंस्की को सितंबर में भारत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करने में खुशी होगी.

यह प्रस्ताव दिलचस्प इसलिए है कि क्योंकि अभी तक भारत ने जेलेंस्की को न्योता नहीं दिया है. लेकिन साथ ही इस प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र में भारत के कदम हैं क्योंकि भारत ने जेलेंस्की द्वारा संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था. रूस ने प्रस्ताव का विरोध किया था.

इन सब बातों के बावजूद जापारोवा ने कहा कि उनकी भारत यात्रा दोनों देशों के बीच "दोस्ती का एक प्रतीक" है और उन्हें उम्मीद है कि इससे भारत की यूक्रेन के साथ बातचीत शुरू हो जाएगी.