यूएन: जलवायु संकट का गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर ज्यादा असर
२२ नवम्बर २०२३दुबई में जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक पार्टियों कॉप 28 के सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा मंगलवार को जारी कॉल फॉर एक्शन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को जलवायु आपदाओं से अत्यधिक स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ता है, जिसे हमेशा उपेक्षित किया जाता है और कम करके आंका जाता है.
रिपोर्ट इस बात पर रोशनी डालती है कि बहुत कम देशों की जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया योजनाओं में मातृ या बाल स्वास्थ्य का उल्लेख किया गया है, इसे "जलवायु परिवर्तन चर्चा में महिलाओं, नवजात शिशुओं और बच्चों की जरूरतों पर अपर्याप्त ध्यान देने की एक स्पष्ट चूक और प्रतीक" के रूप में वर्णित किया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने कहा, "जलवायु परिवर्तन हम सभी के अस्तित्व के लिए खतरा है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को इसके सबसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है."
उन्होंने कहा, "बच्चों के भविष्य को सचेत रूप से संरक्षित करने की जरूरत है, इसका मतलब है कि उनके स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए अभी से जलवायु कार्रवाई करना, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि जलवायु प्रतिक्रिया में उनकी अनूठी जरूरतों को मान्यता दी जाए."
जलवायु परिवर्तन का सभी पर असर
साल 2023 को विनाशकारी जलवायु आपदाओं के साल के तौर पर माना जा रहा है. जंगल की आग, बाढ़, लू और सूखा लोगों को विस्थापित कर रहे हैं. बदलते मौसम की वजह से फसलें और पशुधन मर रहे हैं और वायु प्रदूषण की स्थिति खराब हो रही है.
अत्यधिक गर्म होती दुनिया में हैजा, मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियों का प्रसार बढ़ रहा है, इसके गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनके लिए ये संक्रमण विशेष रूप से गंभीर हो सकते हैं.
शोध से पता चलता है कि नुकसान गर्भ में भी शुरू हो सकता है, इससे गर्भावस्था से संबंधित जटिलताएं, समय से पहले जन्म, कम वजन और मृत बच्चे का जन्म हो सकता है. बच्चों के लिए परिणाम जीवन भर रह सकते हैं, इससे उनके बड़े होने पर उनके शरीर और मस्तिष्क का विकास प्रभावित होता है.
यूएन एजेंसियों की अपील
यूएन एजेंसियों ने दुबई में जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष सम्मेलन कॉप 28 से ठीक पहले अपनी यह अपील जारी की है, जिसमें तत्काल सात कदम उठाए जाने पर जोर दिया गया है.
इनमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सतत कटौती, जलवायु वित्त पोषण कार्रवाई और गर्भवती महिलाओं, शिशुओं व बच्चों की आवश्यकताओं को नीतियों में समाहित करना है.
यूनिसेफ कार्यक्रमों के लिए उप कार्यकारी निदेशक उमर अब्दी ने कहा, "जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई अक्सर इस बात को नजरअंदाज करती है कि बच्चों के शरीर व दिमाग प्रदूषण, घातक बीमारियों और चरम मौसम के प्रति विशिष्ट रूप से संवेदनशील होते हैं."
एए/एसबी (एएफपी)