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आपदायमन

कैसे हो युद्ध से तबाह यमन की मदद

१६ मार्च २०२२

यमन की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 4.27 अरब डॉलर की जरूरत का अनुमान लगाया है. एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के सभी देशों से चंदा देने की अपील की जाएगी ताकि काम जल्दी शुरू हो सके.

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BG Im Jemen vertriebene Zivilisten erhalten Hilfspakete
तस्वीर: Mohammed Al Wafi/AA/picture alliance

यमन में जो हालात हैं उन्हें संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया का सबसे बुरा मानवीय संकट बताया है. संभावना है कि इस साल देश में 1,61,000 लोगों को अकाल का सामना करना पड़ सकता है. देश की मदद के लिए एक वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसकी मेजबानी स्वीडन और स्विट्जरलैंड मिल कर कर रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश सम्मेलन में शामिल होने वाले देशों को संबोधित करेंगे और उन्हें यमन की जरूरतों के बारे में बताएंगे. सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय पर हो रहा है जब पूरी दुनिया का ध्यान यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित है.

यूक्रेन युद्ध का असर

24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यूक्रेन ने दुनिया के दूसरे मानवीय संकटों को इस कदर पीछे कर दिया है कि ऐसी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं कि कहीं दुनिया उन्हें भूल ही न जाए. यूक्रेन खुद भी एक बहुत बड़ी मानवीय त्रासदी में तब्दील हो चुका है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप ने पहले कभी इस स्तर की जंग नहीं देखी.

सना, यमन
सना में एक मकान पर सऊदी हवाई हमलों का असरतस्वीर: Khaled Abdullah/REUTERS

इसकी वजह से 30 लाख से भी ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. नार्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल में यमन निदेशक एरिन हचिंसन कहते हैं, "यूक्रेन का संकट नाटकीय ढंग से यमन के लोगों के लिए भोजन की आपूर्ति पर असर डाल सकता है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि यमन के लोगों को भी वही समर्थन मिलेगा जैसा हमने यूक्रेन के लोगों के लिए देखा है."

अगर यूक्रेन युद्ध और लंबा चला तो खाने पीने की चीजों के दाम, विशेष रूप से अनाज के दाम, बढ़ने की संभावना है. इससे यमन के लोगों की मूल जरूरतों के पूरा होने पर असर पड़ेगा. खाने पीने की चीजों के लिए यमन लगभग पूरी तरह से आयात पर निर्भर रहता है. संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक यमन में आयात होने वाले गेहूं का 22 प्रतिशत यूक्रेन से आता है.

एक बड़ी त्रासदी

पिछले साल भी ऐसा ही सम्मेलन आयोजित किया गया था लेकिन उसमें सिर्फ 1.7 अरब डॉलर धनराशि ही इकट्ठा हो पाई थी, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 3.85 अरब डॉलर के लिए अपील की थी. उस समय कोरोना वायरस महामारी और उसके परिणामों की वजह से पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्थाओं पर असर हुआ था. गुटेरेश ने 2021 के नतीजे को "निराशाजनक" बताया था.

सना, यमन
हवाई हमलों में टूट चुके अपने मकान में बैठे दो बच्चेतस्वीर: Khaled Abdullah/REUTERS

यमन युद्ध की शुरुआत 2014 में हुई थी जब ईरान द्वारा समर्थित बागी हूथियों ने राजधानी सना समेत उत्तर के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया था. महीनों बाद अमेरिका द्वारा समर्थित और सऊदी अरब के नेतृत्व में एक गठबंधन ने हस्तक्षेप किया. गठबंधन ने बागियों से सत्ता छीन ली और एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार बनवा दी.

लेकिन हाल के सालों में यह एक छद्म युद्ध बन गया है जिसने 1,50,000 लोगों की जान ले ली है. मरने वालों में 14,500 से भी ज्यादा आम लोग थे. युद्ध ने दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट को भी जन्म दे दिया है. आज देश की करीब 3.2 करोड़ आबादी में अधिकांश लोग हूथी नियंत्रत इलाकों में हैं. बागियों पर सालों से मदद का सामान चोरी करने के आरोप लग रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि बागी "सिर्फ इस आधार पर परिवारों तक मदद पहुंचने देते हैं कि उनके बच्चे लड़ाई में शामिल हुए थे या नहीं." इस समय शांति के प्रयास रुके हुए हैं, बल्कि पिछले कुछ महीनों में युद्ध और बढ़ गया है.

सीके/एए (एपी)

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