जर्मनी में हुआ अनोखा कोरोना एक्सपेरिमेंट
२४ अगस्त २०२०जर्मनी में 24 घंटों में कोरोना के 2,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. आखिरी बार इस तरह की संख्या अप्रैल के महीने में देखी गई थी. लिहाजा अब माना जा रहा है कि देश में सेकंड वेव आ ही चुकी है. बावजूद इसके जर्मनी में एक कॉन्सर्ट आयोजित किया गया जिसमें लगभग दो हजार लोगों ने हिस्सा लिया. यूं तो कम से कम नवंबर तक किसी भी तरह के बड़े इवेंट पर रोक है लेकिन यह एक खास इवेंट था जिसे वैज्ञानिकों ने एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर आयोजित किया.
यहां हिस्सा लेने वाले सभी लोग जवान थे, हृष्ट पुष्ट थे और किसी तरह की बीमारी का शिकार नहीं थे. इन सब के लिए कॉन्सर्ट में आने से पहले कोरोना टेस्ट कराना भी अनिवार्य था. अंदर आने से पहले इन सबका तापमान जांचा गया, सभी को पूरा वक्त एफएफपी2 मास्क पहन कर रखना था और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप का इस्तेमाल भी करना था. इसके अलावा कॉन्सर्ट हॉल की छत पर ऐसे सेंसर भी लगे थे जो इन लोगों की मूवमेंट पर नजर रख रहे थे.
इस शोध के मुख्य रिसर्चर श्टेफान मोरित्स का कहना है, "हम यह पता करना चाहते हैं कि इस तरह के कॉन्सर्ट में लोग एक दूसरे से कितने संपर्क में आते हैं. यह बात अब तक साफ नहीं है." ऐसा करने के लिए लोगों के हाथों पर एक विशेष प्रकार का फ्लोरसेंट डिसइन्फेक्टेंट स्प्रे किया गया. कॉन्सर्ट के अंधेरे कमरे में यह स्प्रे अल्ट्रा वायलेट रोशनी में चमकता है. मोरित्स ने बताया, "इवेंट खत्म होने के बाद हम अल्ट्रा वायलेट रोशनी के जरिए पता कर पाए कि किन सतहों को सबसे ज्यादा बार छुआ गया था."
यह शोध जर्मनी की हाले यूनिवर्सिटी कर रही है और इस इवेंट को हाले के ही पास मौजूद शहर लाइपजिग में आयोजित किया गया था. जर्मनी के जाने माने पॉप सिंगर टिम बेंडस्को ने एक ही दिन में तीन कॉन्सर्ट किए ताकि अलग अलग लोगों के साथ यह टेस्ट किया जा सके. इस शोध की सबसे अहम बात यह रही कि वैज्ञानिकों ने हवा में मौजूद एरोजेल की मूवमेंट को समझने की कोशिश की. एरोजेल हवा में मौजूद पानी के सबसे छोटे कण होते हैं. किसी के खांसने या छींकने पर जो बूंदें मुंह और नाक से निकलती हैं, उसका सबसे छोटा हिस्सा लंबे वक्त तक हवा में बना रहता है. यह काफी लंबी दूरी तय कर लेता है. यही वजह है कि कोरोना दौर में लोगों को एक दूसरे से दो मीटर की दूरी बनाने को कहा जा रहा है.
दिन भर में कुल तीन कॉन्सर्ट किए गए ताकि तीन अलग अलग मानदंडों की तुलना की जा सके. पहले मामले में कॉन्सर्ट को उसी तरह आयोजित किया गया जैसे महामारी से पहले किया जाता था यानी बिना सोशल डिस्टेंसिंग, बिना डिसइन्फेक्टेंट के. दूसरे मामले में लोगों को स्वास्थ्य से जुड़े सभी दिशा निर्देशों को मानने को कहा गया और तीसरे मामले में उन्हें एक दूसरे से 1.5 मीटर दूर रहने को कहा गया.
फिलहाल इस शोध के नतीजों पर काम चल रहा है. पूरा आकलन होने में अभी एक महीने का वक्त लग सकता है. मकसद यह समझना है कि कोरोना के खतरे के बावजूद किस तरह से सामान्य जीवन में लौटा जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि महामारी दो साल तक चलेगी. ऐसा भी कहा जा चुका है कि कोरोना संक्रमण भले ही महामारी के रूप में ना रहे लेकिन खांसी जुकाम और फ्लू की तरह अब यह हमेशा हमेशा के लिए हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगा. ऐसे में पूरी जिंदगी लॉकडाउन में तो नहीं बिताई जा सकती. कोरोना वायरस की मौजूदगी में भी बड़े इवेंट कैसे आयोजित किए जा सकते हैं, उनके लिए किन सावधानियों और तैयारियों की जरूरत पड़ेगी, यह शोध इसे ठोस रूप से पेश करना चाहता है.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया (डीपीए, एएफपी)
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