अमेरिकी रिपोर्ट: "पाकिस्तान है आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना'
२५ जून २०२०काउंटर टेररिज्म पर 24 जून को जारी हुई अमेरिकी सरकार की 2019 की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान ने अपनी सीमाओं में आतंकियों को पाल कर ना केवल भारत को बल्कि अफगानिस्तान को भी निशाने पर रखा. अफगानिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे गुटों के पाकिस्तान में होने की खबरें हैं. वहीं भारत को लेकर लिखा है कि उसे "जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों और केंद्रीय भारत के कुछ हिस्सों में कई आतंकवादी हमले सहने पड़े." रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत अपनी सीमाओं के भीतर होने वाली आतंकी गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें हर तरह से रोकने के लिए लगातार दबाव बनाता आया है.”
अमेरिकी रिपोर्ट में उल्लेख है कि अमेरिकी और भारत आपस में आतंकवाद-रोधी सहयोग को लगातार बढ़ाते रहे हैं. वहीं पाकिस्तान के बारे में लिखा है कि उसने "2019 में आतंकवादियों को मिलने वाले धन की सप्लाई रोकने के कुछ कदम उठाए थे और फरवरी हमले के बाद से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकी गुटों पर भी पाबंदियां लगाई थीं." फरवरी 2019 में भारत के तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में भारतीय सेना के एक दस्ते पर बड़ा जानलेवा हमला हुआ था जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित गुट जैश ए मुहम्मद ने ली थी.
पाकिस्तान पर एफएटीएफ की राय
इस साल फरवरी में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में भी पाकिस्तान को साफ साफ कह दिया गया था कि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की उसकी "सारी समय-सीमाएं” बीत गई हैं. पाकिस्तान को कहा गया कि अगर उसने जून 2020 तक आतंकियों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वालों को दंडित नहीं किया तो पाकिस्तान के खिलाफ ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं जिससे उसे वित्तीय परेशानियां झेलनी पड़ेंगी.
फरवरी में एफएटीएफ की इस बैठक से ठीक पहले ही ब्लैकलिस्ट होने का खतरा झेल रहे पाकिस्तान ने आतंकवादी हाफिज सईद को दो मामलों में साढ़े पांच साल जेल की सजा सुना दी थी. सईद, लश्कर ए तैयबा का संस्थापक और जमात उद दावा का प्रमुख है. संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर ए तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
कैसा रहा है अमेरिका का बर्ताव
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में ही पाकिस्तान को मिलती आ रही अमेरिकी मदद राशि को रोकने की घोषणा कर दी थी और पूरे 2019 में भी स्थिति ऐसी ही बनी रही. अब नई रिपोर्ट में उस पर आरोप लगाए गए हैं कि आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए जैसे कि "ना तो दूसरे जाने माने आतंकियों जैसे जैश के संस्थापक और यूएन द्वारा आतंकवादी घोषित किए जा चुके मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की और ना ही 2008 मुंबई हमलों के 'प्रोजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर के खिलाफ, जबकि ये दोनों ही पाकिस्तान में आजाद बताए जाते हैं."
रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस बात के लिए श्रेय दिया गया है कि उसने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में कुछ सकारात्मक सहयोग प्रदान किया. लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट में इसे लेकर असंतोष है कि पाकिस्तान की "सरकार और सेना ने देश भर में फैले आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को मिटाने के लिए लगातार काम नहीं किया. अमेरिकी कांग्रेस की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म 2019' में कहा गया कि पाकिस्तान "प्रशासन ने कुछ आतंकी संगठनों और व्यक्तियों को देश में आजादी से अपना काम करने दिया और उनके खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की."
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