अमेरिका ने कहाः भारत का है अरुणाचल
२१ मार्च २०२४अमेरिका ने कहा है कि उसकी सरकार अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा मानती है और उस पर अन्य किसी दावे का "पूरी सख्ती से विरोध करती है.” मंगलवार को चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग जियाओगांग ने कहा था कि जिजांग (तिब्बत का चीनी नाम) का दक्षिणी भाग चीन का हिस्सा है.
इस पर भारत ने तो प्रतिक्रिया दी ही थी, बुधवार को अमेरिका ने भी चीन के इस दावे को गलत बताते हुए कहा कि भारत के साथ सीमा साझा करने वाला कोई देश अगर कोई एकतरफा दावा करता है, वह उसका विरोध करेगा.
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को "बेतुका" बताया था.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारत के अंग के रूप में मान्यता देता है और सैन्य या असैन्य तरीके से लाइन ऑफ कंट्रोल में घुसपैठ या अवैध कब्जे के रूप में किसी भी तरह की एकतरफा कोशिश का विरोध करेगा."
अमेरिका बीच में क्यों आया?
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने अरुणाचल प्रदेश पर भारत के अधिकार का अनुमोदन किया है. पिछले साल जून में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, उसके कुछ ही हफ्ते बाद अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को "भारत का अभिन्न अंग” बताया गया था.
13 जुलाई 2023 को यह प्रस्ताव सेनेटर जेफ मर्कली, बिल हैगर्टी, टिम केन और क्रिस वान होलेन ने पेश किया था. कांग्रेशनल एग्जेक्यूटिव कमीशन ऑन चाइना के उपाध्यक्ष तब सेनेटर मर्कली ने कहा, "दुनियाभर में हमारे संबंधों और गतिविधियों का केंद्र अमेरिका की नियमबद्ध शासन और स्वतंत्रता के मूल्यों पर आधारित नीतियां होनी चाहिए, खासतौर पर तब जबकि चीन एक वैकल्पिक विचार थोपने की कोशिश करे."
पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने चीन का प्रभाव कम करने के लिए भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने की बड़ी कोशिशें की हैं. अरुणाचल प्रदेश के लिए उसका समर्थन उसी रणनीति का हिस्सा है. हैगर्टी कहते हैं कि जब एक स्वतंत्र भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए चीन बड़ा खतरा बनता जा रहा है, तब अमेरिका को उस क्षेत्र में अपने रणनीतिक साझीदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होने की जरूरत है.
उनके सहयोगी सेनेटर कोरनिन ने कहा, "साझा सीमा को लेकर भारत और चीन में जब तनाव बढ़ रहा है, तब अमेरिका को लोकतंत्र की रक्षा के लिए और आजाद इंडो-पैसिफिक के लिए मजबूत दिखना होगा.”
भारत चीन विवाद
चीन अरुणाचल प्रदेश को जंगान प्रांत के नाम से अपना बताता है. उसका कहना है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है. लेकिन भारत ऐतिहासिक रूप से इस इलाके को अपना बताता रहा है. 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने सेला सुरंग का उद्घाटन किया था जो 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है. यह दुनिया की सबसे लंबी दोहरी लेन वाली सुरंग है.
मोदी के दौरे पर चीन ने आपत्ति दर्ज कराई थी. झांग ने कहा कि भारत को "सीमा विवाद को जटिल बनाने वाला कोई कदम नहीं उठाना चाहिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में ईमानदारी से शांति और स्थिरता बनाए रखनी चाहिए."
उन्होंने कहा कि सुरंग का उद्घाटन "सीमा पर हालात को शांत बनाने के दोनों पक्षों द्वारा किए गए प्रयासों के विपरीत है."
परमाणु शक्ति-संपन्न भारत और सीमा के बीच तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा है लेकिन इसके अधिकतर हिस्से को लेकर दोनों के बीच विवाद है. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है. 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक और कम से कम चार चीनी सैनिक मारे गए थे.
विवेक कुमार (रॉयटर्स)